कभी वीआईपी रहा रामकटोरा मार्ग, आज बदहाली पर बहा रहा आंसू
- रामकटोरा चौराहे से लेकर पिसनहरिया कुआं तक सर्वत्र हैं गड्ढे
- स्ट्रीट लाइट तो लगी है लेकिन जलती नहीं, हाई मास्ट भी कोई काम का नहीं, चारों तरफ है अंधेरा
- टूटी हुई हैं नालियां गंदगी का हर तरफ है बोलबाला, शहर उत्तर व दक्षिणी सीमा का मार झेल रहा है पूरा इलाका
राधेश्याम कमल
वाराणसी (रणभेरी)। बनारस का रामकटोरा रोड एक जमाने में कभी वीवीआीपी रोड के नाम से जाना जाता था। जगतगंज से रामकटोरा रामकुंड-पिसनहरिया कुआं होते हुए यह एक ओर नाटीइमली तो दूसरी ओर पिपलानी कटरा पर जाकर मिलता है। यहीं पर रामपुरी कालोनी है जो शायद बनारस की सबसे पुरानी कालोनियों में एक है। रामकटोरा से लेकर पिसनहरिया कुआं, इधर रामकटोरा चर्च तक, उधर रामकटोरा से नाटीइमली तक मार्ग पर सड़क पर इतने बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं कि इन मार्गोें पर चलना मुश्किल हो गया है। दुपहिया वाहन से अगर कोई आ-जा रहा है तो वह निश्चित तौर पर फिसल कर गिर पड़ेगा और अपना हाथ-पैर तोड़वा लेगा। इन इलाकों में शाम के वक्त अगर कोई गुजरे तो यहां पर उसे अंधकार का साम्राज्य देखने को मिलेगा। स्ट्रीट लाइट के खंभे यहां पर लगे तो है लेकिन उस पर लगे बल्ब कभी जलते नहीं है। लहुराबीर से रामकटोरा चर्च के पास तिराहे पर हाई मास्ट लाइट तो लगी है लेकिन वह भी काफी दिनों से बुझी पड़ी है। चारो तरफ अंधेरा के चलते इस इलाके में आने के बाद यह शहर नहीं बल्कि गांव जैसा प्रतीत होता है। सड़क के किनारे टूटू हुई नालियां, सर्वत्र गंदगी का साम्राज्य इस इलाके की दास्तां को खुद-बखुद बयां करते हैं। जगतगंज से सीधे रामकटोरा की ओर प्रवेश करते ही शहर की सबसे पुरानी माने जाने वाली रामपुरी कालोनी है।

इस कालोनी में कभी राज्यसभा के उपसभापति श्यामलाल यादव का आवास हुआ करता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के नाते इस कालोनी में हर वक्त राजनेताओं का जमघट लगा करता था। शायद यही वजह है कि यह इलाका वीवीआईपी रोड के नाम से मशहूर हो गया था।
श्यामलाल यादव तो अब नहीं रहे लेकिन उनका आवास आज भी इसी कालोनी में है। लेकिन अब उसे वह सब सुविधाएं नहीं हैं जो पहले उसे नसीब थी। रामकटोरा से सटा लिंक रोड है। जो वर्तमान में प्राचीन हनुमान मंदिर जगतगंज गुरुद्वारा के पास जाकर मिलता है। इन मार्गों पर कई होटल, स्कूल व पेइंग गेस्ट हैं लेकिन इस लिंक रोड की हालत बद से बदतर है। इस मार्ग पर चलना दुश्वार है। जगतगंज गुरुद्वारा जो गुरु तेग बहादुर के गुरुद्वारे के रूप में आगामी दिनों में काफी महत्व रखने वाला है। जगतगंज गुरुद्वारे से सटा हनुमान मंदिर काफी जागृत मंदिर है। यह मंदिर वर्तमान में क्रीकुंड शिवाला के पीठाधीश्वर गौतम बाबा के द्वारा संरक्षित है।
रामकटोरा का शाब्दिक अर्थ है राम का कटोरा
जानकारों की मानें तो रामकटोरा का शाब्दिक अर्थ राम का कटोरा है। लोगों का ऐसा मानन है कि इस इलाके में कण-कण में राम विराजमान है। लेकिन इस इलाके की उपेक्षा बरसों से चल रही है। किसी की ध्यान इधर गया ही नहीं। रामकटोरा क्षेत्र में ही रामकुंड स्थित है। यहां पर राम-जानकी का मंदिर विराजमान है। रामकुंड बरसों से उपेक्षित है। रामकटोरा क्षेत्र में प्रसिद्ध चित्रकूट की रामलीला का स्थल भी है। चित्रकूट रामलीला समिति की प्रथम दिन की लीला की पूजा इसी जगह होती है। यहीं पर चित्रकूट रामलीला का कुंड है जहां पर घंडइल पार की लीला होती है। इस कुंड की हालत बद से बदतर हो गई है। इस कुंड के चारों तरफ अतिक्रमण हो गया है। कुण्ड के ऊपर टेम्पो व टोटो वालों ने काफी अतिक्रमण कर रखा है। यहां पर सर्वत्र गंदगी का साम्राज्य कायम है। रामकटोरा चौराहे के पास जो कबीर रोड से लिंक रोड से जुड़ा हुआ है। यहां पर रोजाना सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक छोटी -बड़ी कूड़े से भरी गाड़ियां खड़ी कर जाती है। इस कूड़े को कहीं और डम्प करने के बजाय इसे समीप ही दूसरी तरफ सामने लिंक रोड पर ही फेंक दिया जाता है। इसके चलते इस मार्ग पर आने-जाने वालों की दुर्गंध से इतनी सांसत होती होती है कि बस कुछ पूछिये मत।
लोगों का कहना है कि रामकटोरा का विकास न होने के पीछे यहां पर दो वार्डों का झगड़ा है। यहां पर अक तरफ चेतगंज वार्ड है तो दूसरी तरफ जैतपुरा वार्ड पड़ जाता है। एक क्षेत्र शहर दक्षिणी में आता है तो दूसरा क्षेत्र शहर उत्तरी में पड़ता है। दोनों के प्रतिनिधि अलग-अलग हैं। आपस में तालमेल न होने से रामकटोरा क्षेत्र का विकास शायद थम सा गया है। जगतगंज-रामकटोरा रोड पर कई आलीशान होटल, बैंक्वेट हाल, रेस्टोंरेंट, बैंक, स्कूल आदि हैं लेकिन रात के समय यहां हमेशा अंधेरा छाया रहता है। यही हाल रामकटोरा से पिसनहरिया कुआं, उधर पिसनहरिया कुआं से नाटीइमली, जागेश्वर महादेव, ईश्वरगंगी , डीएवी मोड़, औसानगंज तिराहे तक है। इन इलाकों में सर्वत्र गंदगी का साम्राज्य, टूटी फूटी सड़क, बड़े-बड़े गड्ढे व टूटी हुई नालियां है। यह पूरा इलाका शायद विकास का बाट जोह रहा है। देखना है कि शहर के अति विशिष्ट इलाके की ओर अधिकारियों का ध्यान कब जाता है।











