पाईट खुलवाकर जोनल साहब बना रहे हैं मूर्ख !

पाईट खुलवाकर जोनल साहब बना रहे हैं मूर्ख !
  • बेशर्मी : आदेश भवन के ध्वस्तीकरण का...गिरवाया गया बांस का पाईट
  • सद्दाम के अवैध निर्माण पर मुकदमे, ध्वस्तीकरण का आदेश...फिर किस बात का है इंतजार !
  • वीसी से लेकर जोनल तक जानते हैं धन्नासेठों के अवैध निर्माण को बचाने का गुर
  • अवैध निर्माण को ध्वस्तीकरण से बचाने के लिए धन्नासेठों के आगे लगाते हैं अपनी बोली
  • रणभेरी की खबर से हिली वीडीए की कुर्सी, लेकिन अवैध निर्माण जस का तस
  • वीडीए ने इमारत पर प्लास्टर के लिए लगाया गया पूरा बांस का पाईट 4 दिन लगाकर खुलवाया 

 अजीत सिंह

वाराणसी (रणभेरी): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि सूबे में बुलडोजर बाबा के रूप में स्थापित हो चुकी है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कड़े तेवर, ईमानदार छवि, भ्रष्टाचार के प्रति सख्त के रूप में जाने जाते हैं। यही कारण है कि माफियाओं, भ्रष्टाचारियों और अवैध निर्माणकर्ताओं में सीएम योगी का खौफ देखा जाता है।

लेकिन जब वाराणसी जैसे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में ही सरकारी अफसर धन्नासेठों की दलाली में जुट जाएं, अपने जिम्मेदारी से विमुख हो जाएं, मुख्यमंत्री के आंख में ही धूल झोंकने लगे तो यह न केवल सरकार की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि उस बुलडोजर नीति की भी पोल खोल देता है जिसे पूरे देश में मिसाल बताया जाता है। पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध निर्माण को लेकर जनता के आक्रोश और मीडिया की पैनी निगाहों के बावजूद वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) ने एक बार फिर अपनी छवि पर कालिख पोत दी है। विकास प्राधिकरण के जोन- 4 के नगवां वार्ड के बृज इंक्लेव कॉलोनी में सद्दाम द्वारा करवाए गए अवैध निर्माण पर आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी लगातार अभियान चलाता आ रहा है। बीते दिनों खबर प्रकाशित होने के बाद असर ये हुआ कि वीडीए के अधिकारी  हरकत में आए ज़रूर, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जो हुआ, वह मज़ाक और मक्कारी से कम नहीं था।

जिस अवैध निर्माण पर प्लास्टर के लिए बांस- बल्ली (पाईट) लगा हुआ था उस  बांस- बल्ली (पाईट) को चार दिन में हटवा दिया गया। न अवैध निर्माण रोका गया, न ध्वस्तीकरण किया गया, न जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई की गई। बस खानापूर्ति के तरह-तरह के जुगत लगाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बांस का ढांचा हटाना ही कानून का पालन है? आखिर क्या वजह है कि ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद भी टालमटोल की जा रही है ? क्या पाईट हटवाकर वीडीए के जिम्मेदारान मुख्यमंत्री, अपने उच्चाधिकारियों और आम जनता को मूर्ख बना रहे हैं !

पहले 
 

अब 

नियमों की धज्जियाँ उड़ाता कंक्रीट का किला

सुंदरपुर के बृज इंक्लेव कॉलोनी में जिस जगह सद्दाम द्वारा बहुमंज़िला इमारत बनाई जा रही है, उस जमीन का अधिकांश हिस्सा कब्रिस्तान का है। न नक्शा पास है, न नक्शे की जानकारी सही है, और न ही निर्माण कार्य में कोई वैधता है। कूटरचित दस्तावेज के बलबूते पूरा इमारत तन कर तैयार है। सूत्रों के मुताबिक सद्दाम ने फर्जी नक्शा और जाली दस्तावेज़ों के सहारे निर्माण शुरू किया। निर्माण कार्य दिन-रात जारी रहा, और शिकायतों के बावजूद ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार ने आँखें मूँद लीं क्योंकि सद्दाम ने अपने रसूख के आगे जोनल संजीव कुमार के ईमान की मुंहबोली कीमत लगा दी।

तो पाईट खुलवाकर ली गई वाहवाही ! 

जब आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी ने इस निर्माण पर मुहिम छेड़ी और सद्दाम, अल्ताफ, रिज़वान जैसे धन्नासेठों की मिलीभगत और फरेब को उजागर किया, तब जाकर ज़ोनल संजीव कुमार हरकत में आए। मगर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ इमारत पर लगा बांस का पाईट खुलवा दिया गया। इस कार्य में चार दिन का समय लगा, और फिर वीडीए ने यह प्रचारित किया मानो ध्वस्तीकरण हो चुका हो।  लेकिन सच्चाई यह है कि पाईट हटाना न तो निर्माण रुकवाता है, न ध्वस्तीकरण की श्रेणी में आता है। यह एक छलावा है, जिससे जनता को गुमराह किया जा रहा है।

ध्वस्तीकरण का है आदेश फिर किस बात का है इंतज़ार ?

बृज इंक्लेव कॉलोनी में निर्मित सद्दाम की बहुमंज़िला इमारत सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि कानून और न्याय व्यवस्था की खुली अवहेलना है। इस निर्माण पर वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा पहले से ही मुकदमे दर्ज हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा कई बार नोटिस भी भेजा जा चुका है, सील की कारवाई हुई है, सील के बावजूद निर्माण जारी रखने पर मुकदमा भी दर्ज है, और सबसे बड़ी बात कि निर्माण को अवैध मानकर ध्वस्तीकरण का आदेश भी कई बार जारी किया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद, ज़मीनी हकीकत यही है कि न तो निर्माण रुका और न ही ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। हद तो तब हो गई जब वीडीए ने अपने निर्णय को ताक पर रखकर इमारत पर सिर्फ पाईट हटवाकर निर्माण कार्य रोकने का दिखावा किया गया।

वीसी पुलकित गर्ग और ज़ोनल संजीव कुमार की भूमिका संदेह के घेरे में

पूरे मामले में सबसे ज्यादा उंगलियाँ उठ रही हैं वीडीए के वीसी पुलकित गर्ग और ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार की ओर। पुलकित गर्ग इस पूरे अवैध निर्माण पर मौन क्यों हैं ? सूत्रों का कहना है वीसी को इस निर्माण की जानकारी वर्षों से है।  ज़ोनल अधिकारी को कई बार शिकायत भी की गई बाबजूद इसके किसी की हिमाकत नहीं हुई की सद्दाम के रसूख के आगे अपनी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर सके। सूत्रों ने बताया कि वीसी पुलकित गर्ग, जोनल संजीव कुमार की सद्दाम, अल्ताफ़ और रिज़वान से लगातार बैठकें होती रही हैं, और अंदरखाने समझौता में सबके हिस्से एक-एक फ़्लैट के बटवारे की पुख्ता खबर है। अगर यह सच है, तो सवाल यह उठता है कि क्या वीडीए अब ध्वस्तीकरण की जगह दलाली केंद्र बन चुका है ?

वीडीए का दोहरा मापदंड : गरीबों के निर्माण पर कहर, रसूखदारों के आगे नतमस्तक

वाराणसी में वीडीए की कार्यशैली अब पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और वर्गभेदी हो चुकी है। यदि कोई रिक्शाचालक, मजदूर, या छोटा दुकानदार या फिर मध्यमवर्गीय लोग झोपड़ी या एक कमरा भी बिना अनुमति के बना ले, तो वीडीए की टीम हथौड़ा दस्ता लेकर पहुँच जाती है। बिना नोटिस के निर्माण ध्वस्त कर दिया जाता है, और परिवारों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया जाता है। लेकिन जब बात सद्दाम और अल्ताफ जैसे रसूखदार और रिजवान जैसे फ्राड बिल्डरों की आती है, तो वीडीए का रवैया पूरी तरह बदल जाता है। वहां समझौते, मुलाकातें और पाईट हटाओ, फोटो खिंचवाओ की नीति लागू होती है। बीते कई महीनों में  वीडीए ने दर्जनों अवैध निर्माण के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई दिखाकर अपना दामन साफ़ दिखाया है, लेकिन सद्दाम, अल्ताफ़ और रिज़वान जैसे लोगों के एक भी निर्माण पर आज तक बुलडोजर नहीं चला सका। कई निर्माणों पर ध्वस्तीकरण आदेश होने के बावजूद निष्क्रियता जारी है। ऐसे में साफ़ तौर पर दिखाता है कि वीडीए में अधिकारियों की बोली लगती है...जो ज्यादा पैसा दे, उसका निर्माण बचाया जाता है। और जो गरीब है, उसका आशियाना जमींदोज कर दिया जाता है।

पाईट खुलवाकर जनता को मूर्ख मत बनाइए वीसी साहब !

वाराणसी में सद्दाम जैसे लोगों ने सिस्टम को खरीदकर नियमों की कब्र खोद दी है। ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार जैसे लोग या तो अक्षम हैं या जानबूझकर भ्रष्ट हैं। जब अदालत, कानून और जनता सभी कह रहे हैं कि निर्माण अवैध है, तो फिर कार्रवाई से पीछे हटना सिर्फ और सिर्फ मिलीभगत कहलाएगी। अब वक्त आ गया है कि पाईट हटाने जैसे नाटक बंद हों। अब सिर्फ एक ही विकल्प है...ध्वस्तीकरण आदेश को अमल में लाओ, और भ्रष्टों को हटाओ।

पार्ट- 19 

रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए.....

डीएम साहब ! 
रिजवान के अवैध व अपराधिक कृत्यों को क्यों दिया जा रहा संरक्षण ?