क्या वाकई रद होगी सेन्ट्रल एकेडमी की मान्यता ?

क्या वाकई रद होगी सेन्ट्रल एकेडमी की मान्यता ?

*प्रवेश के लिए लॉटरी में बच्चों का नाम आने के बाद भी अभिभावक काटते है स्कूलों के चक्कर
*8 वीं तक 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने का है प्रावधान, इसे नहीं कर रहे हैं लागू
*बीएसए ने लिया एक्शन, स्कूल की मान्यता रद करने को लिखा सीबीएसई को पत्र

वाराणसी (रणभेरी)। सरकार ने गरीब बच्चों को 8 वीं तक नि:शुल्क शिक्षा का पूरा बीड़ा उठाया ताकि गरीब बच्चे भी निजी अंग्रेजी मीडियम के विद्यालयों में दाखिला ले सके। पर सरकार के सोच और उम्मीदों पर निजी स्कूल पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लॉटरी में नाम आने के बावजूद अभिभावक स्कूलों और शिक्षा अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काटने। स्कूलों के मनमानी का खामियाजा अभिभावक और उनके बच्चों को भुगतना पड़ता है। पैसों की लालच में अपना ईमान बेच चुके ये निजी विद्यालय हर साल सरकार के आदेशों को ढेंगा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। 
   प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में निजी विद्यालयों की तानाशाही जोरो पर हैं। कई नामचीन स्कूल ऐसे हैं जो गलत डाटा एंट्री कर सरकार को गुमराह करते तो कुछ सेटिंग के बदौलत बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं। अभी ताजा मामला ऐसे ही एक स्कूल केके चतुवेर्दी मेमोरियल सोसायटी सेंट्रल एकेडमी का है जिसके मनमानी ने सरकार के आदेशों को ताख पर रख शिक्षा के नाम पर लूट का अड्डा बना रखा है। बता दे कि वाराणसी में  केके चतुवेर्दी मेमोरियल सोसायटी सेंट्रल एकेडमी के चार ब्रांच है। ये स्कूल शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटने का काम करती है। प्रवेश से लेकर शुल्क तक हर जगह अभिभावकों को लूटा जाता है। यह स्कूल सरकार के आदेशों को ताख पर रख मनमानी करते है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों के बावजूद इस स्कूल के  व्यवहार में एक स्पष्ट विरोधाभास मौजूद है। स्कूल कथित तौर पर आर्थिक रूप से वंचित बच्चों को प्रवेश देने से इनकार करता रहा है। अगर ऐसे लुटेरों और मनमाने ढंग से  चलने वाले विद्यलयों में अगर ताला लटका दिया जाय तो कई अभिभाव लुटने से बच जाएंगे।

ऐसे स्कूलों की क्यों नहीं होती मान्यता रद !
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंर्तगत लॉटरी में नाम आने के बावजूद स्कूल दाखिला नहीं लेता। आनलाइन डाटा एंट्री में गलत डाटा भरकर स्कूल सरकार और अधिकारियों को गुमराह करते रहते है लेकिन इसकी कभी जांच नहीं होती। बता दें कि वाराणसी के केके चतुवेर्दी मेमोरियल सोसायटी सेंट्रल एकेडमी के 4 ब्रांच के कारनामों पर बीएसए की नजर गई है। इनमें, लंका, गिरजाघर, रामापुरा और गुरुधाम सेंटर शामिल है। इन स्कूलों के साथ ही वाराणसी के दो बड़े स्कूलों जयपुरिया और आर्यन इंटरनेशन स्कूल को भी आरटीई के तहत एडमिशन न देने पर नोटिस थमाई गई है। स्पष्टीकरण मांगा गया है। ये तब हुआ जब राइट टू एजुकेशन के तहत 24 बच्चों को एडमिशन न देने के चलते ऐसा कदम उठाया गया। व वाराणसी के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए सीबीएसई बोर्ड को लेटर भेज दिया है। निरस्त होते ही स्कूलों को बंद करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। पर सवाल ये है क्या बीएसए को स्कूलों के इस कारनामे की जानकारी तब हुई जब स्कूल ने डाटा नहीं भेजा। लेकिन ऐसे तमाम स्कूल है जो अपने स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों के प्रवेश में मनमानी करते है। ऐसे कई स्कूल है जो आॅनलाइन डाटा एंट्री में गलत डाटा एंट्री कर सरकार को गुमराह करती है। अगर सही से इसकी जांच की जाय कि बहुतों स्कूल के इस काले कारनामे का पता चल जाएगा।
एक सीट के सापेक्ष इतना किया जाता भुगतान
नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत निजी स्कूलों में कक्षा एक के सीट के सापेक्ष 25 फीसद मुफ्त दाखिला अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को देने का प्रावधान है। निजी विद्यालयों को शासन प्रति छात्र 450 रुपये प्रतिमाह की दर से शुल्क प्रतिपूर्ति देता है। वहीं अभिभावकों को बच्चों की किताब-कॉपी व ड्रेस के लिए 5000 रुपये सालाना देता है। हालांकि बदले नियम में स्कूल के शुल्क में वृद्धि की गई है बावजूद इसके स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश लेने से गुरेज करते है। 
यह है आरटीई अधिनियम के तहत प्रवेश पाने की पात्रता

  • आरटीई का दायरा : आरटीई 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है।
  • आरक्षित सीटें: कानून के तहत, प्रमुख पब्लिक स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से वंचित बच्चों के प्रवेश के लिए अलग रखी गई हैं।
  • पात्रता मानदंड: अर्हता प्राप्त करने के लिए, बच्चे का परिवार भारत का मूल निवासी होना चाहिए, और माता-पिता की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। यह कानून विशेष रूप से एससी, एसटी, ओबीसी, बीपीएल परिवारों, विधवा परिवारों और अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
  • आवेदन प्रक्रिया: परिवार आधिकारिक आरटीई वेबसाइट पर जाकर, अपने संबंधित राज्य का चयन करके और आरटीई प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी करके आवेदन कर सकते हैं। इस चरण के दौरान बच्चे का आधार नंबर सत्यापित किया जाता है।
  • प्रवेश प्रक्रिया: एक बार बच्चे का आधार नंबर सत्यापित हो जाने के बाद, माता-पिता आवेदन पत्र का प्रिंटआउट प्राप्त कर सकते हैं और 25 प्रतिशत आरक्षित कोटा के तहत प्रवेश के लिए अपने क्षेत्र में आवंटित स्कूल से संपर्क कर सकते हैं।
  • शिकायत तंत्र : कानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई स्कूल निर्धारित 25 प्रतिशत कोटा के भीतर प्रवेश प्रदान करने में विफल रहता है या प्रवेश देने के बाद फीस की मांग करता है, तो औपचारिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। शिकायत सही पाए जाने पर स्कूल पर जुमार्ना लगाया जा सकता है और उसकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश को नियंत्रित करने वाले इन स्पष्ट नियमों और विनियमों के बावजूद, व्यवहार में एक स्पष्ट विरोधाभास मौजूद है, स्कूल कथित तौर पर आर्थिक रूप से वंचित बच्चों को प्रवेश देने से इनकार कर रहे हैं।