राजर्षि के विद्यार्थी लहरा रहे है दुनियाभर में अपनी योग्यता का परचम 

राजर्षि के विद्यार्थी लहरा रहे है दुनियाभर में अपनी योग्यता का परचम 
राजर्षि के विद्यार्थी लहरा रहे है दुनियाभर में अपनी योग्यता का परचम 

वाराणसी (विशेष संवाददाता/रणभेरी)। शिक्षा की नगरी काशी में शिवपुर स्थित राजर्षि उदय प्रताप कॉलेज की पहचान शिक्षा के एक प्रतिष्ठित केंद्र के रूप में है। राजर्षि की इस तपोभूमि पर शिक्षा के मूल आधारों पर मुख्य रूप से पांच विभिन्न इकाइयां (संस्थान) संचालित हो रही हैं। इस तपोभूमि से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी आज देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता का परचम लहरा रहे हैं। वर्ष 1999 में स्थापित हुये राजर्षि स्कूल आफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी का पूरा श्रेय फॉर्मर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस के.एन सिंह को जाता है। उन्हीं के दृष्टिकोण विजन-मिशन के तौर पर इस विशिष्ट पूर्वांचल क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए इस संस्था की स्थापना की गई थी। मकसद था यहां के विद्यार्थियों को मैनेजमेंट और टेक्निकल एजुकेशन के क्षेत्र में माहिर बनाना।
आरएसएमटी की स्थापना उस दौर में हुई थी जब विद्यार्थियों को मैनेजमेंट एवं कंप्यूटर के एजुकेशन लिए ज्यादातर दिल्ली,गुड़गांव, गाजियाबाद या फिर बेंगलुरु जाना पड़ता था। अपने स्थापना काल से ही आरएसएमटी ने न्यूनतम शुल्क पर यहां के छात्र-छात्राओं को मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक सुनहरा अवसर प्रदान किया। "बेस्ट एजुकेशन एट मिनिमम कॉस्ट और मैक्सिमम नंबर ऑफ़ प्लेसमेंट ऑपच्यरुनिटीज" इस संस्था का मुख्य उद्देश्य रहा है। इस संस्थान की बागडोर फार्मर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया सहित शिपिंग बोर्ड ऑफ कारपोरेशन के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर एनके सिंह के हाथों में दी गयी थी। जिनके कुशल नेत्रित्व में इस संस्थान ने आकार लिया। मात्र 35 विद्यार्थियों से शुरू हुई इस संस्था में आज एक हज़ार से भी अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहां नियमित रूप से बीबीए, एमबीए, एमसीए जैसे कोर्सेज की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी नित नए आयाम छूते हुए रोजगार पाकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता का परचम लहरा रहे हैं। इस संस्थान में विद्यार्थियों को प्लेसमेंट के लिए तैयार किया जाता है। आज बच्चों को केवल कंपनी में भेजने से ज्यादा जरूरी यह है कि इस बात पर ध्यान दिया जाए कि कंपनी क्या चाहती है। कॉर्पोरेट क्या चाहता है। उनके वर्किंग अवर्स डिफरेंट होते हैं। यहाँ विद्यार्थियों को  कॉर्पोरेट सेक्टर के अनुरूप मानसिक तौर पर तैयार किया जाता है। तीन महीने के विशेष ट्रेनिंग के जरिये छात्र-छात्राओं को तैयार किया जाता है जिसके द्वारा छात्र-छात्राओं में उनकी न्यूमेरिकल एबिलिटी इस एनालिटिकल एबिलिटीज और कारपोरेट कल्चर को उनके अंडर ट्रेनिंग के द्वारा समाहित किया जाता है।  ताकि वह जब कहीं काम करते हैं तो लॉन्ग टर्म एस्टेब्लिशमेंट रिलेशनशिप बने यही हमारी एस्टेब्लिश होती है व कंपनी को भी प्रसन्नता होती है कि उन्होंने सही जगह से सही व योग्य लोगों का चयन किया और रही बात आज के परिपेक्ष में तो जैसे कि हम देखते हैं कि हमारे यहां जो कंपनी आती है वह सभी फील्ड से आती है चाहे वह बैंकिंग सेक्टर हो, इंश्योरेंस सेक्टर हो या फिर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी का  क्षेत्र हो। आरएसएमटी आज एक बड़ा नाम बनकर उभरा है उसके साथ उदय प्रताप कॉलेज जुड़ा हुआ है। उदय प्रताप कॉलेज अपने आप में ही एक जाना माना प्रतिष्ठित नाम है जहाँ से निकले छात्र आज देश के हर एक क्षेत्र में नेत्रित्व कर रहे हैं। इए संस्थान में बेहतरीन लाइब्रेरी भी है जहाँ छात्र-छात्राएं अद्यतित पत्रिकाओं और पुस्तकों के साथ अपना गुणवत्तापूर्ण समय बिता सकते हैं। यहाँ उच्च योग्य कंप्यूटर प्रोफेसरों के साथ अच्छे कंप्यूटर लैब भी हैं जो विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।

राजर्षि के सिद्धांतों का पूर्ण रूप से होता है अनुसरण 
राजर्षि स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के वर्तमान प्रेसिडेंट डॉक्टर डीपी सिंह तथा सचिव जस्टिस शिवकुमार सिंह के नेतृत्व में नित नये कीर्तिमान स्थापित करते हुए यह कॉलेज प्रगति पथ पर अग्रसर है। उन्हीं के संरक्षण में छात्र नित नये आयाम हासिल कर रहें है। हम लोग मूल रूप से राजर्षि जी के सिद्धांतों पर ही काम करते हैं उनका कहना था कि बच्चों का समग्र विकास होना चाहिए, मतलब शिक्षा तो अपनी जगह है ही साथ में उन्हें शारीरिक व मानसिक तौर पर प्रबल होना चाहिए। उसके लिए उनको शिक्षा के अलावा योग एवं खेलकूद में एक्टिव पार्टिसिपेशन करना चाहिए जो की मैनेजमेंट के फील्ड में सबसे जरूरी है। चाहें एक्शनफोर हो और डिबेट हो या फिर क्विज हो इन सब का अहम रोल है यह टीचिंग की मेथालॉजी है कि आजकल आधुनिक ऑडियो-विजुअल ट्रेड के इक्विपमेंट से उनका इस्तेमाल करते हुए हम उन सभी तरीके से जो की आज के कॉर्पोरेट युग की आवश्यकता है विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करते हैं। इसके साथ ही विद्यार्थियों को हम ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन प्लेटफार्म पर भी समान रूप से तैयार कर सुदृढ़ बनाने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे यहाँ मेंटर मेंटी का कांसेप्ट है जिसमें कि प्रत्येक 10 छात्र के ऊपर एक अध्यापक को नियुक्त किया जाता है ताकि विद्यार्थियों की जो व्यक्तिगत समस्याएं हैं उनका भी समाधान हो सके। पठन-पाठन के अलावा व्यक्तिगत तौर पर विद्यार्थियों के नैतिक मूल्यों का उत्थान सहित उनके दैनिक समस्याओं का निवारण करना भी हमारी प्राथमिकता में होता है। ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से हम आरएसएमटी को एक परिवार के रूप में देखते हैं ! सबसे जरूरी बात यह है कि विद्यार्थियों का विकास तभी संभव है जब वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से भी स्वस्थ हो तभी वह अच्छी शिक्षा गुणवत्ता के आधार पर ग्रहण कर सकते हैं।  - प्रोफेसर अमन गुप्ता (इंचार्ज डायरेक्टर राजर्षि स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी)।

विद्यालय ने गढ़ा किरदार , कैंपस तक चल के आया रोजगार
आरएसएमटी से एमबीए करने का चयन निस्संदेह मेरी शैक्षणिक और व्यावसायिक यात्रा में मेरे द्वारा लिए गए सबसे अच्छे निर्णयों में से एक था। यहाँ के सरल पाठ्यक्रम, अनुभवी संकाय और उत्कृष्ट शिक्षण वातावरण ने न केवल मुझे व्यवसाय प्रबंधन में एक ठोस आधार प्रदान किया, बल्कि मेरी महत्वपूर्ण सोच और निर्णय लेने के कौशल को तेज करने में भी मदद की। आरएसएमटी को चुनने का एक प्रमुख कारण इसका कैंपस प्लेसमेंट का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड था। आरएसएमटी में करियर सेवा टीम, छात्रों को शीर्ष कंपनियों से जोड़ने और आकर्षक नौकरी की पेशकश सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करती है। उनके प्रयासों और मेरी कड़ी मेहनत की बदौलत, मैं एक अग्रणी निगम में अपने सपनों की नौकरी पाने में सक्षम हुआ, और इस तरह अपने करियर के लक्ष्यों को प्राप्त किया। आरएसएमटी में अपने समय के दौरान मैंने जो कौशल और ज्ञान प्राप्त किया, वह मेरी भूमिका में उत्कृष्टता हासिल करने और मेरे करियर में प्रगति करने में अमूल्य रहा है। मैं आरएसएमटी में मिले अवसरों और समर्थन के लिए आभारी हूं, और मैं व्यवसाय प्रबंधन के क्षेत्र में अपने करियर को आगे बढ़ाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को इसकी अत्यधिक अनुशंसा करूंगी । मुझे आरएसएमटी से उत्कर्ष लघु वित्त बैंक में वरिष्ठ कार्यकारी - मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण के रूप में नियुक्ति मिली।  अब मैं हीरो हाउसिंग फाइनेंस के साथ भौगोलिक एचआरबीपी-गुजरात और राजस्थान के रूप में काम कर रही हूं। 
-नेहा सिंह (भूतपूर्व छात्रा आरएसएमटी)
मैं राजर्षि स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी का हिस्सा बनकर बेहद खुश हूं। यहां के प्रोफेसर अत्यधिक योग्य हैं और अपने छात्रों को ज्ञान, कौशल एवं अन्य पाठ्येतर गतिविधियों के मामले में तैयार करने में व्यक्तिगत रुचि लेते हैं। प्रत्येक विषय के प्रत्येक टॉपिक पर विस्तृत चर्चा सहित छात्रों के साथ गहन जुड़ाव ने मुझे विषयों को आसानी से और प्रभावी ढंग से समझने में मदद की। इस कॉलेज के प्रोफेसर जटिल विषयों को भी आसान तरीकों से पढ़ाने का बेहतरीन हुनर रखते हैं, जिससे विद्यार्थियों को कोइ भी विषय आसानी से समझने में मदद मिलती है।
-अंकित सिंह (भूतपूर्व छात्र आरएसएमटी)

मैं एमबीए बैच 2018-20 की उत्तीर्ण छात्रा हूं। अपने भविष्य को आकार देने के लिए आरएसएमटी का मैं आभार व्यक्त करती हूँ। आरएसएमटी केवल एक कॉलेज नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहां से आप न्यूनतम शिक्षण शुल्क के साथ ही नैतिक रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकती हूं कि मैंने यहाँ अब तक के सबसे बेहतरीन और योग्य शिक्षकों का सानिध्य प्राप्त किया है। यहाँ के सभी शिक्षक बहुत ही मददगार, सहयोगी व उत्कृष्ट साबित हुये हैं।  आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने कॉलेज की वजह से ही हूं। मैंने अपने कॉलेज से जो मार्गदर्शन प्राप्त किया और जो कौशल सीखा है उसका उपयोग मैं अपने पेशेवर करियर के साथ-साथ अपने व्यक्तिगत जीवन में भी कर रही हूँ।  मैं गरिमा मैम के नाम का उल्लेख जरूर करना चाहूंगी, जिस तरह से वह हमारे प्लेसमेंट के समय में हमेशा हमारे साथ रहीं, मॉक सेशन की व्यवस्था की, छात्रों के लिए सभी संभव शिक्षण और विकास सुविधाओं की व्यवस्था की वह भूलाया नहीं जा सकता। मुझे पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को पुन: पुन: आभार ।      
-आकांक्षा सिंह (भूतपूर्व छात्रा आरएसएमटी)
मैंने वर्ष 2011 में बीसीए उत्तीर्ण किया। जिसके बाद अपने अध्यन के साथ-साथ एक मल्टीनेशनल कंपनी ज्वाइन किया और फिर बाद में मैंने एप्पल और आईबीएम के प्रोजेक्ट पर आईबीएम ज्वाइन किया। इसके साथ ही हमने बहुत सारे मोबाइल एप्लीकेशन के लिए काम किया जैसे एम आधार हमारी ही टीम ने बनाया था और इस प्रोजेक्ट को मैंने बतौर डेवलपर लीड किया। फिर मुझे यूएस जाने का मौका मिला ।  मेरा यह सौभाग्य है की जब भी मैं बनारस आता हूं एक बार आरएसएमटी जरूर आता हूं और यहाँ आकर मै अपने अनुभव विद्यार्थियों के साथ जरूर साझा करता हूं जो कि उनके भविष्य निर्माण में कुछ हद तक सहायक हो सकता है। - शशांक कुमार मिश्रा (भूतपूर्व छात्र आरएसएमटी)

विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए प्रयासरत है संस्थान
इस कॉलेज का मिशन और विजन है कि बच्चों को हर तरह की सुविधा और इंडस्ट्री के मापदंडों के हिसाब से बेहतरीन क्वालिटी का एजुकेशन उपलब्ध कराकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सके। एक शिक्षक होने के साथ-साथ बतौर प्लेसमेंट कोऑर्डिनेटर मेरा हमेशा से यही प्रयास रहता है कि जो भी विद्यार्थी यहाँ से अपना कोर्स पूरा करता है उसे एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसके हाथ में एक जॉब उपलब्ध हो वह बेरोजगार न रहे। क्योंकि अगर बच्चों के हाथ में प्लेसमेंट नहीं रहेगी तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमारा सेल इंडस्ट्री और कम्युनिकेशन स्किल पर ख़ास तौर पर वर्क करता है जिसके लिए हम लोग पहले साल से ही प्री-एप्लॉयमेंट की ट्रेनिंग चलाते है। यह 6 महीने की ट्रेनिंग होती है जब तक बच्चों की प्लेसमेंट नहीं होती है उनको लगातार ट्रेनिंग कराई जाती है। यदि कोई विद्यार्थी रिटेन क्लियर नहीं करता है तो आगे चलकर वह न तो जीडी कर सकता है और न ही पीआई कर सकता है। हमारा एक ही विजन है कि बच्चों को इंडस्ट्री के हिसाब से तैयार किया सके । -डॉ. गरिमा आनंद  (प्रोफेसर व प्लेसमेंट इंचार्ज)
इस संस्था से मेरा नाता लगभग 40 वर्ष पुराना है। शिक्षा की इसी कर्मभूमि से मैंने शिक्षा ग्रहण किया और सौभाग्य से इसी विद्यालय में मुझे अध्यापन का मौका मिला। इस कॉलेज में कितना पोटेंशियल है यह आप समझ सकते होंगे, हमारे यहां सीटे हमेशा भरी रहती हैं। हम यह कह सकते है कि सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में इस संस्थान की फीस अन्य संस्थानों की अपेक्षा काफी कम है। हमारा एक मात्र उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा देना है न कि शिक्षा का व्यवसायीकरण करना। आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को भी अच्छी से अच्छी शिक्षा गुणवत्ता के साथ मिल जाए यही हमारा उद्देश्य होता है। हम इंडस्ट्री की डिमांड को ध्यान में रखते हुये ही बच्चों को आज के दौर की शिक्षा उपलब्ध करा रहे है। - प्रोफ़ेसर अनुराग सिंह
विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य दोनो हमारे लिए केंद्र बिंदु रहा है, हम हमेशा से इस बात में विश्वास करते आये हैं। सफलता निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन उसके लिए भी नियमित अभ्यास अत्यंत आवश्यक होता है जिसे बच्चों से हम लगातार कराते रहते हैं। कई कॉलेजों में आप देखेंगे कि थियोरेटिकल वर्कशॉप होती है और सिर्फ थियोरेटिकल बातें ही की जाती है लेकिन हम उन चीजों को प्रैक्टिकल फॉर्म में लेकर जाते हैं जिससे कि इंडस्ट्री और इंस्टीट्यूशन के बीच में जो एक अंतराल है वह मिट जाता है। प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस में कमियां रह जाती है हम उन कमियों को भी दूर करने की कोशिश करते हैं ताकि हमारे स्टूडेंट जब कभी भी इंडस्ट्री में जाये तो वहां उनका प्रदर्शन बेहतरीन हो और अपने दम पर एक अच्छी पोजीशन को हासिल कर सकें। इससे पहले भी हमारे यहां बहुत अच्छा प्लेसमेंट हुआ था हमारे यहां बीसीए और एमसीए दोनों ही डिपार्टमेंट में शानदार प्लेसमेंट हो रहा है।  -डॉ.सी पी सिंह (प्रोफ़ेसर व कोडिनेटर)