जब चौड़ी सड़कों ने तंग कर दी ज़िंदगियाँ, वाराणसी की दालमंडी में विरोध की लहर

जब चौड़ी सड़कों ने तंग कर दी ज़िंदगियाँ, वाराणसी की दालमंडी में विरोध की लहर

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी की पुरातन आत्मा से जुड़ी दालमंडी इन दिनों विकास और विरोध के चौराहे पर खड़ी है। शहर को सँवारने के नाम पर जहाँ प्रशासन चौड़ी सड़कों का सपना बुन रहा है, वहीं इन गलियों में पीढ़ियों से बसे लोग उजड़ने की आशंका में बेचैन हैं।

गुरुवार को इस बेचैनी ने सियासी रंग तब ले लिया, जब समाजवादी पार्टी के चंदौली सांसद वीरेंद्र सिंह  ने दालमंडी पहुंचकर धरना देने की घोषणा की। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें कैंपस अरेस्ट कर लिया।

मौके पर पहुँचे एडीसीपी नीतू कादयान, एसीपी नितिन तनेजा और इंस्पेक्टर शिवकांत मिश्रा ने सांसद से बातचीत की, लेकिन तनाव कम नहीं हुआ। पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के रवैये का विरोध किया। इस बीच सांसद वीरेंद्र सिंह ने दुकानदारों और स्थानीय मकान मालिकों की पीड़ा रखते हुए कहा “विकास तब तक अधूरा है, जब तक उसमें इंसान की इज़्ज़त और न्याय की जगह नहीं।”

प्रशासन के अनुसार, दालमंडी मार्ग को 650 मीटर लंबाई तक 60 फुट चौड़ा किया जाएगा। योजना के तहत बीच में 30 फुट सड़क और दोनों ओर 15-15 फुट की पटरी बनाई जाएगी। सीवर, पानी और बिजली की सभी लाइनों को ज़मीन के नीचे डाला जाएगा ताकि तारों का जाल खत्म हो सके। विभाग का दावा है कि यह परिवर्तन शहर के यातायात और व्यापार को नई दिशा देगा।

लेकिन इस परियोजना का दूसरा चेहरा भी है '189 मकानों की नाप-जोख पूरी हो चुकी है और लगभग 191 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रस्तावित है। लोगों को डर है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलेगा और उनका इतिहास, उनका घर और उनकी पहचान मिट जाएगी।

सबसे विवादित पहलू यह है कि चौड़ीकरण की इस योजना में छह मस्जिदें भी प्रभावित होंगी 'हाफिज खुदा बक्श जायसी (लंगड़े हाफिज मस्जिद), निसारन मस्जिद, रंगीले शाह मस्जिद, अली रज़ा मस्जिद, संगमरमर मस्जिद और मिर्जा करीमुल्ला बैग मस्जिद। इन मस्जिदों के मुतवल्लियों ने भी आवाज़ उठाई है कि धार्मिक धरोहरों को ढहाना न तो ज़रूरी है और न ही न्यायोचित।

प्रशासन कहता है कि “यह विकास की दिशा में ज़रूरी कदम है,” मगर स्थानीय लोगों के लिए यह उनके अतीत से जुदाई की घड़ी है। जिन गलियों में कभी कारोबार की रौनक गूंजती थी, वहाँ आज असमंजस की हवा बह रही है। विकास की एक परिभाषा यहाँ ज़मीन से टकरा रही है।