नेपाल में उथल-पुथल: पीएम केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा,संसद भवन में प्रदर्शनकारियों ने लगाई आग

(रणभेरी): नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़के विरोध प्रदर्शनों ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया। राजधानी काठमांडू समेत कई बड़े शहरों में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की। हालात बिगड़ने पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार के कई अन्य मंत्री भी दबाव में पद छोड़ चुके हैं। इनमें गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव शामिल हैं।
नेताओं के घरों पर हमला
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल संसद तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घरों में आगजनी की।
हवाई उड़ानें ठप
काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं। हवाई अड्डा प्राधिकरण ने बताया कि कोटेश्वर इलाके में धुएं के कारण सुरक्षा कारणों से दोपहर 12:45 बजे से उड़ानें स्थगित की गईं। बुद्ध एयर समेत घरेलू एयरलाइनों ने भी सुरक्षा का हवाला देते हुए संचालन रोक दिया।
स्वास्थ्य मंत्री पौडेल का इस्तीफा
स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल ने फेसबुक पोस्ट के जरिए सरकार के दमनकारी रवैये पर सवाल उठाते हुए त्यागपत्र दिया। उन्होंने कहा- “देश का बेहतर भविष्य चाहने वाले युवाओं पर गोलियां चलाना उचित नहीं है। मेरी अंतरात्मा मुझे मंत्रिमंडल में बने रहने की इजाजत नहीं देती।”
सुप्रीम कोर्ट में तोड़फोड़- प्रदर्शनकारियों ने गुस्से में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट और अटॉर्नी जनरल ऑफिस में भी तोड़फोड़ की।
सीमा पर भारत का अलर्ट
नेपाल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। पश्चिम बंगाल के पनिटांकी बॉर्डर पर हाई अलर्ट घोषित किया गया है। एसपी प्रवीण प्रकाश ने बताया कि सीमा चौकियों पर पुलिस की तैनाती बढ़ाई गई है और गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
अब तक 20 की मौत
दो दिनों से जारी इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से जेनरेशन-ज़ेड (18-30 वर्ष आयु वर्ग के युवा) कर रहे हैं, जो सुशासन, पारदर्शिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं।