...तो बेखबर जिम्मेदारों को सट्टेबाजी की नहीं कोई खबर !

...तो बेखबर जिम्मेदारों को सट्टेबाजी की नहीं कोई खबर !
...तो बेखबर जिम्मेदारों को सट्टेबाजी की नहीं कोई खबर !

वाराणसी (रणभेरी / विशेष संवाददाता)। शहर में इन दिनों आइपीएल मैच पर हाईटेक सट्टे का कारोबार चरम पर चल रहा है। चारों तरफ फैले बुकी अब वेबसाइट और एप के जरिए हर गेंद पर हार जीत के दांव लगवा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सटोरियों के तार अन्य प्रदेशों एवं देशों में बैठे सट्टा माफियाओं से जुड़े हुए है। इन सट्टेबाजों को यूएई से सट्टा लिंक मिल रहा है। लिंक का पावर एडवांस रकम देकर बुकी ले लेते हैं। महज कुछ हजार रुपए में अपनी वेबसाइट बनाकर उसमें यूएई की लिंक शेयर कर देते हैं। अपना अलग प्लेटफॉर्म और एक्सचेंज बनाकर धड्ल्ले से क्रिकेट सट्टा चला रहे हैं। ऑनलाइन खेल के फेर में सटोरियों को दबोचना पुलिस के लिए भी मुश्किल हो रहा है। बीते 22 मार्च को शुरू हुए आइपीएल क्रिकेट में सट्टा बाजार इन दिनों अपने चरम पर है। शहर में हर बाल पर लाखों रुपए के दांव लग रहे हैं। पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए शातिर बुकीज ने सट्टा खिलाने का तरीका बदल लिया है। पूरा खेल हाइटेक होकर ऑनलाइन हो गया है। वेबसाइट, एप और मोबाइल पर चल रहे ऑनलाइन सट्टा बुकी कारों में बैठकर और घूम-घूम कर यह खेल खिला रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बड़े बुकियों ने तो अपने अलग-अलग नाम से ऑनलाइन एक्सचेंज बना लिए हैं। इसकी वेबसाइट और एप का पासवर्ड अपने नीचे छोटे बुकी या प्लेयर (सट्टा खेलने वाले) को देते है। एडवांस रकम लेकर ऑनलाइन सट्टा खेलने की क्रेडिट देते है। अपना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने के बाद बुकी पूरा खेल मोबाइल फोन पर कर रहे हैं। मोबाइल पर आसानी से चल सकें इसलिए ये लोग कम जीबी का एप- वेबसाइट बनाते हैं।

टीवी से पहले स्कोर, इसी में हो रहा खेल

अन्य प्रदेशों की पुलिस छानबीन में पता चला है कि सटोरिए के प्लेटफॉर्म पर चलने वाले आइपीएल मैच का स्कोर अन्य लाइव स्कोर दिखाने वाले माध्यमों से ज्यादा तेज है। संभावना है कि बुकी के एजेंट क्रिकेट मैदान में मौजूद रहते हैं। वहीं से हर गेंद का स्कोर उसी समय अपडेट करते हैं। इसके कारण टीवी चैनल के मुकाबले बुकी के लिंक पर मैच का लाइव स्कोर 2-3 गेंद पहले ही आ जाता है। इसमें सट्टा भाव भी रहता है। जो हर बॉल पर अपडेट होता है। इसे देखकर खिलाड़ी बुकी को अपना दांव नोट कराते रहते हैं। लाइव अपडेट पहले होने का फायदा उठाकर सटोरिए हर बॉल के दांव बुक करके लाखों रुपए कमाते हैं।

शहर से बाहर बुकी का ठिकाना

शातिर बुकी ऑनलाइन तरीका अपनाने के साथ ही पुलिस को चकमा देने के लिए जगह बदलते रहते है। पुलिस के राडार से बचने के लिए शहर के बड़े बुकी आसपास के जिलों या प्रदेश अपना ठिकाना बनाकर जा बैठे हैं। शहर में कमीशन पर लडके रख लिए है। ये सिर्फ दांव लिखते हैं। खिलाड़ी से रकम वसूली बुकी सीधे करते हैं।

आईपीएल की हर गेंद पर लगता है लाखों का सट्टा

अब वो दिन चले गए जब मैचों की पूरी जीत हार पर सट्टा लगाया जाता था अब तो इंटरनेट के जमाने में आईपीएल जैसी खेल श्रृंखला में हर गेंद पर सट्टा फिक्स किया जाता है और तो और ओवरों के माध्यम से भी जीत हार तय की जाती है। जिससे शहर में लगातार बुकियों की संख्या के साथ-साथ सट्टेबाजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

बेखबर है बनारस में सारे थानेदार !

सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि वाराणसी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है जिसकी वजह से यहां देश की सभी खुफिया एजेंसियां हमेशा सक्रीय रहती हैं इसके बावजूद वाराणसी जैसे शहर में आज सट्टे का कारोबार अपने चरम पर है सट्टे के इस खेल में शहर के नाबालिग बच्चों से लेकर बड़े-बड़े तक शामिल है। अब तो ये सट्टा पूरी तरह से प्रोफेशनल हो चला है। जहां विशेष आईडी पासवर्ड द्वारा इसे ऑपरेट किया जाता है और तो और बुकियों द्वारा सट्टे बाजों से एडवांस भी जमा कराए जाते है। सट्टेबाज पुलिस के पकड़ से दूर है। यह संभव नहीं कि इस बर्बादी के खेल की भनक स्थानीय थानेदारों को न हो। बावजूद इसके पुलिस और खिफ़िया विभाग आज तक किसी सट्टेबाजों तक नहीं पहुंच पाई है। सूत्रों की माने तो पुलिस के संरक्षण में ही इस बर्बादी के खेल की इबारत लिखी जा रही है।

थाना जहां सट्टेबाजी ने पसार रखा है पैर

लोहता, मंडुवाडीह, भेलूपुर, शिवपुर, चितईपुर, लंका, सिगरा, चौक, दशाश्वमेध, चेतगंज,  कोतवाली, आदमपुर, जैतपुरा, सारनाथ, बड़ागांव।

संकरी-संकरी गलियों में बाहर से बंद मकानों में होता है कारोबार 

सट्टे का ये व्यापार वाराणसी की छोटी-छोटी गलियों से लेकर बड़े-बड़े लोगों के फार्म हाऊसों और निजी आवासों पर संचालित होता है ऐसा नहीं है कि इन ठिकानों के बारे में पुलिस को जानकारी ना हो लेकिन जानकारी का होना और ना होना दोनों ही बराबर होता है क्योंकि पुलिस की सांठ- गांठ पहले से ही इनके साथ होती है।

लोहता में सट्टेबाजी के खेल में हारने पर दे दी थी जान

स‌ट्टा खेलने की लत ने कई मेहनतकश और होनहारों की जान तक ले ली है। बीते दिसम्बर महीने में भी लोहता क्षेत्र एक ऐसा ही मामला सामने आया था जहां बिहार के औरंगाबाद निवासी बनारस में रहकर ब्रेड का कारोबार करता था। उसे जब सट्टे की लत लगी तो उसने इसकी  कीमत जान देकर चुकाई। सुसाइड नोट में कारोबारी ने सट्टेबाज की प्रताड़ना से आजिज होकर जान देने की बात लिखी। यह भी लिखा कि सट्टेबाज ने उसे सट्टा खेलना सिखाया, जिससे छह लाख के कर्ज में डूब गया और उसे मौत को गले लगानी पड़ी। इस पूरी घटना ने लोहता क्षेत्र में सट्टेबाजों की जड़ें गहरी होने की बात उजागर कर दी थी।

बर्बादी के कगार पर खड़े नौजवान

आईपीएल शुरू होते ही शहर के सट्टेबाजों का त्योहार पूरे उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हैरानी की बात ये है बर्बादी का यह त्योहार पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे मनाया जा रहा। सट्टे के खेल में सबसे अधिक भागीदारी युवा पीढ़ी की है। हमारी आज की युवा पीढ़ी तुरंत अमीर बनना चाहती है और वह भी बिना कुछ किए धरे। ऐसे में युवा कहीं न कहीं स्वयं को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की दुनिया में धकेलना शुरू कर देता है और यह अपराध की दुनिया उस व्यक्ति विशेष को कहीं का भी नहीं छोड़ती, उसे बर्बाद कर देती है। पिछले कुछ महीनों से सट्टाबाजो की जो गतिविधियां देखने को मिल रही है उससे यह आईने की तरह साफ हो गया है कि तमाम असामाजिक, आपराधिक और अवांछनीय तत्वों की काली कमाई व गोरखधंधे को पुलिस के संरक्षण के बिना संचालित किया जाना संभव नहीं है। इस प्रकार की गतिविधियों से वर्तमान राज्य सरकार की जो बदनामी हो रही है उसे सत्तारूढ दल के लोग समझ नहीं रहे है या समझने का प्रयास नहीं कर रहे है। शहर में तेजी से ऑनलाइन सट्टा और जुआ के जो फड़ चल रहे है इसके एवज में कुछ जिम्मेदारों द्वारा जमकर कमीशनखोरी की जा रही है और ऐसा भी कहा जा सकता है कि यह कारोबार ही इनका है । इनकी कमीनशनखोरी के चक्कर में जिले का होनहार युवा वर्ग बर्बाद हो रहा है।

आईपीएल में सट्टेबाजों के सब्जबाग और प्रलोभन के चलते किशोर व युवा इस दलदल में फँसते जा रहे है। करोड़ों रुपए के इस गोरखधंधे के कुचक्र में फँसने के बाद इससे छुटकारा नहीं मिलता और किशोर और युवा पीढ़ी फिर अपराधों के चक्रव्यूह में उलझती जा रही है। हालात यह हैं कि अब सट्टे में मानवीय रिश्ते भी बलि चढ़ रहे हैं और लोगों की जान तक जा रही है।

सट्टा और जुआ के मकडज़ाल में फंसकर अनेक परिवार बुरी तरह से बर्बाद हो गये है वहीं आत्महत्या जैसे मामले भी सामने आए हैं। युवाओं के बर्बादी के इस खेल में परिवार के लोगों की हालत बिगड़ गयी है युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है। सट्टेबाजी के इस खेल में जहां खेलाने वाले मोटी कमाई कर रहे है वहीं खेलने वाले दूसरे दिन सड़क पर आ जा रहे है।