... तो जुमलेबाजी थी पीएम मोदी की सट्टेबाजों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में ललकार !

... तो जुमलेबाजी थी पीएम मोदी की सट्टेबाजों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में ललकार !
... तो जुमलेबाजी थी पीएम मोदी की सट्टेबाजों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में ललकार !

*सरकार का नौजवानों के भविष्य से कोई सरोकार नहीं  पंकज आर्या ही है वाराणसी के सट्टा कारोबारियों का सबसे बड़ा सरदार *

वाराणसी (रणभेरी )। बीते साल 7 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के बिश्रामपुर सुरजापुर में महादेव सट्टा एप के जरिये कथित भ्रष्टाचार को लेकर भूपेश सरकार को आड़े हाथों लिया था। पीएम मोदी ने कहा था- "कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के युवाओं को क्या-क्या सपने दिखाए थे और दिया क्या? उन्होंने महादेव के नाम पर भी घोटाला कर दिया। महादेव सट्टेबाजी की चर्चा आज देश-विदेश में हो रही है। कांग्रेस ने अपनी तिजोरी भरने के लिए आपके बच्चों से सट्टेबाजी करवाई है। आपके बच्चों को बर्बाद करने वाला काम करने वालों को माफ करेंगे क्या आप ! किसके इशारे पर हुआ, इनको सजा मिलनी चाहिए कि नहीं? पहले सजा आप लोग देंगे, कमल के निशान पर बटन दबा के कड़ी सजा देंगे। यहां सट्टेबाजों का अड्डा कैसे बना हुआ था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सट्टा के बहाने ललकारते हुये छत्तीसगढ़ में कहा था कि "मुख्यमंत्री को एक दिन भी सीएम की कुर्सी पर नहीं रहना चाहिए। आपको मैं गारंटी देता हूं कि भाजपा महादेव सट्टेबाजी केस में दूध का दूध और पानी का पानी करके रहेगी। नि:संदेह छत्तीसगढ़ में यह सब कहते वक्त प्रधानमंत्री मोदी इस बात से बेफिक्र और अंजान रहे होंगे कि  काशी की जिस गंगा मईया ने उनको यहां बुलाया था, उसी गंगा मईया के घर के सैकड़ो लाल सट्टे की लत में हर रोज बर्बाद हो रहे है। जब काशीवासियों ने पीएम को सट्टेबाजों के खिलाफ ललकार सुनी, तो यह आस जगी की पीएम अब अपने भी संसदीय क्षेत्र के युवाओं और उनके परिवारों को भी बबार्दी के गर्त में जाने से रोक लेंगे। काशीवासियों की यह आस बस आस ही बनकर रह गई। पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए आपके अपने अखबार रणभेरी ने लगातार खबर और प्रधानमंत्री के नाम पत्र के माध्यम से सत्ता, प्रशासन और प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया ताकि बर्बाद हो रहे काशी के भविष्य को ससमय बचाया जा सके। लेकिन यह विडंबना है कि इतने के बावजूद भी सट्टेबाजों को लेकर न सिर्फ प्रधानमंत्री खामोश है बल्कि प्रशासन भी कान में तेल डालकर काशी के बबार्दी में अपनी सहभागिता निभा रहा। काशीवासियों (खासकर महिलाओं) को यह आस थी कि जब प्रधानमंत्री 21 मई को महिलाओं को संबोधित करेंगे तो सट्टेबाजों को ललकारेंगे। पर प्रधानमंत्री की खामोशी काशी के उन महिलाओं को निराश कर गई जिनका परिवार सट्टे के वजह से तबाही के मुहाने पर है। ऐसे में अब काशीवासियों का यह मानना है कि प्रधानमंत्री ने सट्टेबाजों को लेकर छत्तीसगढ़ में जो कुछ भी बोला था वह एक मात्र चुनावी ढकोसला था। वास्तव में प्रधानमंत्री को युवाओं के भविष्य की कोई फिक्र नहीं। अगर फिक्र होती तो जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में पीएम ने सट्टेबाजों को ललकारा था उससे दुगुनी ताकत से अपने संसदीय क्षेत्र में जरूर ललकारते। अगर आने वाले दिनों में पीएम सट्टेबाजों को निशाने पर लेते हैं,  तो इसमें कोई दो राय नहीं की पीएम न सिर्फ काशीवासियों के युवाओं को बबार्दी से बचाएंगे बल्कि इतिहास के पन्नो पर अपने कार्यकाल का बेताज बादशाह कहलायेंगे।

सारे अपराधी जेल में नहीं साहब...खुलेआम लिख रहे युवाओं की बर्बादी की इबारत !

वाराणसी में सट्टा माफियाओं ने जिस कदर अपना जाल फैलाकर बबार्दी के कगार पर युवाओं को एक लम्बी कतार में खड़ा करना शुरू कर दिया है उससे तो अब ऐसा ही लगता है कि बनारस को बबार्दी की इस लत से बाहर निकाल पाना मुश्किल है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हुंकार भरने वाले पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारत का भविष्य कहे जाने वाले नौजवान सट्टा माफियाओं के चंगुल में फसकर बड़ी तेजी से फुटपाथ पर आ रहे हैं और अपना सब कुछ गवाने के बाद ऐसे ही युवा खामोशी केई साथ मौत को गले लगाते जा रहे है।  दरअसल सट्टा कारोबारियों के सिस्टम में पहले से ही सेट पुलिस और गुंडों के गठजोड़ के सामने पीड़ित पक्ष को मदद की कोई उम्मीद नहीं रह जाती है। इस काले कारोबार से जुड़े शातिर लोग अपने पीछे मोटे तौर पर कोई सबूत नहीं छोड़ते है जिसकी वजह से तमाम शिकायतों के बावजूद पुलिस हमेशा सेफ जोन में ही रहती है। वही सटोरियों के सिस्टम में खामोशी के साथ अहम किरदार निभाने वाली पुलिस की खुली छुट की बदौलत सट्टा कारोबारियों के लिए वसूली का काम स्थानीय गुंडे आसानी से करते हैं जिन्हें पुलिस के साथ-साथ जेलों में बंद बड़े अपराधियों का संरक्षण भी प्राप्त होता है। बताते चलें कि वाराणसी में अपना पैर जमा चुके तमाम सट्टामाफिया, जेलों में बंद अपराधियों का भी पूरा खर्चा उठाते है। यही वजह है कि सट्टा माफिया बेखौफ होकर सिस्टम के साथ संगठित अपराध की गहरी जड़ों में पानी डाल कर काली कमाई की लहलहाती फसल काट रहे है। इन सबके बावजूद एक सवाल जिंदा है और हमेशा जिंदा रहेगा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ सारे खुफिया तंत्र फेल हो चुके हैं? या मान लिया जाय कि नीचे से लेकर ऊपर तक सब सिस्टम का हिस्सा है। और यदि यही सच है तो प्रधानमंत्री को यह कहना छोड़ देना चाहिए कि "सारे भ्रष्टाचारी जेल में होंगे" और मुख्यमंत्री को भी यह कहना छोड़ देना चाहिए कि "सारे अपराधी जेल में होंगे"।

सट्टेबाजों के इन सरगनाओं ने लिख दी युवाओं की बर्बादी की कहानी
आपका चहेता अखबार 'रणभेरी' लगातार सट्टे के काले कारेबारियों के खिलाफ एक मुहिम चला कर शहर के हजारों परिवारों की बबार्दी की इबारत लिखने वाले सटोरियों को बेनकाब कर रहा है। शहर के कुछ ऐसे दागदार नाम है जो न केवल शहर के आवोहवा में जहर घोल रहा बल्कि युवाओं के भविष्य को भी गर्त में धकेल रहा है। सूत्रों के हवाले से हमारे कार्यालय को लगातार पंकज आर्या, बबलू अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, सौरभ केजरीवाल सहित कईयों के नाम सामने आए हैं जो शहर से लेकर देहात तक सट्टे के धंधे का जाल बिछा रखा है। सट्टे से कमाई गई काली रकम को सफेद करने के लिए भी एक हवाला कारोबारी का नाम सामने आया, वो है अश्विनी केशरी। वाराणसी पुलिस के लिए अब भी यह एक बड़ी चुनौती है की आखिरी अश्विनी केशरी नाम यह व्यक्ति कौन है जो यहां के सट्टेबाजों के लिए न केवल काम करता है बल्कि एक मजबूत राजदार भी है। क्योंकि सूत्र बताते है कि अपना शिकंजा कसने में नाकाम वाराणसी पुलिस यदि हवाला के जरिए सट्टेबाजों का पैसा ट्रांसफर करने वाले अश्विनी केशरी तक पहुंच जाए तो उसके जरिए दर्जनों सट्टेबाजों का चेहरा बेनकाब हो जाएगा। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में दीमक के माफिक फैले सट्टा कारोबारियों का सबसे बड़ा सरदार महमूरगंज निवासी पंकज आर्या ही है। पंकज आर्या के शरण में रहकर पूरे शहर में लगभग एक दर्जन बड़े सटोरिये काम करते हैं। जिनकी बैकिंग पंकज आर्या खुद करता है हालांकि इस बात की भी चर्चा है कि पंकज का आर्थिक साम्राज्य काफी दूर तक फैला है जिसका स्वाद चखने के बाद पुलिस न केवल उसके सिस्टम का हिस्सा बनकर निष्क्रिय हो जाती है बल्कि पंकज के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उसे और सके लिए लिए शहर भर में काम करने वाले सटोरियों को संरक्षण प्रदान करके खुद को गौरवान्वित महसूस करती है।

वाराणसी पुलिस अनजान या फिर सट्टेबाजों ने खरीद लिया ईमान ?
आइपीएल सट्टे का बाजार काफी हाइटेक है। वाराणसी पुलिस अब तक सट्टे के अवैध कारोबार करने वाले सिंडिकेट का खुलासा नहीं कर पाई है।

रणभेरी अखबार लगातार पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए सट्टेबाजों के ऐसे चेहरों को बेनकाब किया जिसने बनारस के युवाओं की बबार्दी लिख दी। बावजूद इसके वाराणसी कमिश्नरेट की तेज-तर्रार पुलिस जो जहन्नुम में भी छिपे रहने वाले अपराधियों तक पहुंचने का दावा करती है वो अबतक एक भी सटोरियों तक पहुंचने में नाकाम है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वाराणसी पुलिस वाकई में अंजान है या फिर सटोरियों ने इनके भी ईमान को पैसे के बलबूते खरीद लिया है  हालांकि सूत्रों ने बताया कि पुलिस के मिलीभगत से ही यह सब काम हो रहा है। एवज में मोटी रकम दी जाती है इसलिए पुलिस और खुफिया एजेंसी जानकार भी अंजान रहती है। शहर में इन दिनों प्रतिदिन क्रिकेट मैच पर करोड़ों रुपए के सट्टे का कारोबार हो रहा है। कम समय में अधिक कमाई के लालच में बड़ी संख्या में युवा सट्टा कारोबार के जाल में  फंस कर बबार्दी के कगार पर पहुंच रहे हैं।