सद्दाम के रसूख, फरेब और भ्रष्टाचार का महाकुचक्र

सद्दाम के रसूख, फरेब और भ्रष्टाचार का महाकुचक्र

सीएम साहब ! एचएफएल पर भी है सद्दाम का अवैध साम्राज्य

एचएफएल क्षेत्र में सद्दाम ने बनाए है दर्जन भर अवैध डूप्लेक्स

हाइकोर्ट के आदेश को भी ताख पर रख किसने दे दी अवैध निर्माण की अनुमति !

कूटरचित दस्तावेज बनवाकर अवैध निर्माण कराने का मास्टरमाइंड है बनारस का सद्दाम

बृज इंक्लेव कॉलोनी में भी फर्जी मानचित्र के बलबूते खड़ी कर दिया बहुमंजिला इमारत 

अपने रसूख के दम पर खरीद लेता है वीडीए के अफसरानों का ईमान

सवाल : मुकदमा भी दर्ज, ध्वस्तीकरण का भी आदेश, 70 दिन बीत जाने के बाद भी आखिर क्यों जाम है वीडीए का बुलडोजर !

अजीत सिंह

वाराणसी (रणभेरी): नवाबगंज के हृदयस्थल में, जहां विकास प्राधिकरण की नजरें हर इंच जमीन पर होती हैं, वहीं एचएफएल घोषित क्षेत्र में एक ऐसा अवैध निर्माण साम्राज्य खड़ा हो गया है जो न केवल कानून की धज्जियाँ उड़ाता है, बल्कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेशों को भी खुलेआम ठेंगा दिखाता है। इस पूरे अवैध खेल का मास्टरमाइंड है बनारस का कुख्यात भू-माफिया सद्दाम हुसैन, जो अपने रसूख और जालसाजी के दम पर प्रशासन और प्राधिकरण को मुट्ठी में कर शहर की ज़मीन पर राज कर रहा है। एचएफएल (हाई फ्लड लेवल) क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण पर सख्त रोक है। स्वयं हाईकोर्ट ने भी इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की स्थायी संरचना नहीं बनाई जा सकती।

लेकिन सद्दाम हुसैन और उसके भाई अल्ताफ अंसारी ने इन आदेशों को पूरी तरह नकारते हुए लगभग दस हजार वर्ग फीट क्षेत्र में 1 दर्जन आलीशान डूप्लेक्स खड़े कर दिए। हैरत की बात है कि यह निर्माण कार्य बिना किसी वैध नक्शे एवं अनुमति के किया गया है।

वहीं दूसरी तरफ बृज इंक्लेव कॉलोनी में भी शातिर सद्दाम ने फर्जी दस्तावेजों के दम पर एक बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है, जिसकी कोई वैध मंजूरी नहीं है। कूटरचित दस्तावेजों से न केवल ज़मीन की प्रकृति बदली गई, बल्कि उसे आवासीय बता कर भारी निर्माण कार्य भी कराया गया। इस पूरे मामले में वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता भी संदेह के घेरे में है। सद्दाम हुसैन के रसूख के आगे अधिकारी आंखें मूंदे रहे और निर्माण कार्य बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा। ऐसा प्रतीत होता है जैसे ईमान, ज़िम्मेदारी और कर्तव्य को चंद रुपयों में बेच दिया गया हो।

भ्रष्टाचार की कहानी लिख रहा वीडीए

बनारस का सबसे भ्रष्ट विभाग वाराणसी विकास प्राधिकरण की करतूतें इस बात को जिंदा रखने का सबूत है कि पैसों के आगे ईमान और कुर्सी को कैसे बेचा जाता है। वीडीए के भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार की गंगा में जी भरके गोते लगा रहे हैं। अपने मुखिया को गुमराह कर न सिर्फ अपनी जेब भर रहे बल्कि सरकार की छवि को भी धूमिल करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण में फैला भ्रष्टाचार जगजाहिर है। धर्म नगरी काशी का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां अवैध निर्माण न हुए है। यह सारे अवैध निर्माण वीडीए वीसी के संज्ञान में होते है लेकिन विडंबना यह है कि इन सभी अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण के कर्रवाई के नाम पर सील डील का खेल खेला जाता है। गरीबों के निर्माण पर बुलडोजर चलाकर वाहवाही लूटने वाले वीडीए का बुलडोहर धन्नासेठों एवं भूमाफियाओं के अवैध निर्माण के आगे जाम हो जाता है। कही राजनीतिक हस्तक्षेप तो कही धन्नासेठों की माया के आगे वीडीए के सभी जिम्मेदार भ्रष्टाचार की गंगा में गोता लगाते रहते है। 

अदालत के आदेश को भी ठेंगे पर रखते हैं भवन स्वामी 

नियम और कानून को ताक पर रख कर किए जाने वाले अवैध निर्माण के मामले में हाईकोर्ट का आदेश स्पष्ट है। पहले भी विभिन्न मामलों में अदालतें ऐसे निर्माणों को गिराने का आदेश दे चुकी हैं जहां कानून की धज्जियां उड़ा कर प्रतिबंधित क्षेत्रों में अवैध भवन बनाएं गए हो। यदि वर्तमान प्रकरण में भी समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न्यायपालिका की अवमानना का गंभीर मामला बन सकता है।

प्रशासन की भूमिका पर क्यों न हो सवाल !

वाराणसी जिला प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं। जब इतने बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा था, तो नजदीकी थाने, नगर निगम और विकास प्राधिकरण की चुप्पी रहस्यमयी है। आखिर इतने बड़े निर्माण की भनक किसी जिम्मेदार अधिकारी को क्यों नहीं लगी ? लगी भी तो सिर्फ नोटिस के खेल तक सीमित रह गईं। कागजी आदेश हकीकत में नहीं बदल सका। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वीडीए का बुलडोजर सिर्फ गरीबों पर क्यों चलता है ! आखिर सद्दाम के अवैध निर्माण को कौन दे रहा संरक्षण ! 

फ़राज़ ही है सद्दाम का सेटर 

विभागीय सूत्रों की माने तो  बिना किसी राजनैतिक सपोर्ट के सद्दाम और अल्ताफ के बढ़ते दायरे के पीछे असल में विकास प्राधिकरण के एक भ्रष्ट बाबू फ़राज़ खान का हाथ है। फ़राज़ बाबू ही वह शातिर व्यक्ति है जिसके कारण सद्दाम और अल्ताफ का मन बढ़ता गया और एक के बाद एक करके यह भू माफिया प्रवृत्ति के लोग बड़ी ही खामोशी के साथ शहर के अनेक हिस्से में फर्जी दस्तावेजों वाली विवादित जमीनों के खरीद फरोख्त का धंधा करते हैं। जिसके बाद ऐसी ही विवादित अथवा निर्माण हेतु प्रतिबंधित जमीनों पर फ़राज़ के जरिए विकास प्राधिकरण के साथ सेटिंग करके बहुमंजिला आलीशान इमारत खड़ी कर देते हैं। और फिर नाजायज जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए डूप्लेक्स एवं फ्लैट के खरीद फरोख्त का धंधा करते हैं। इस तरह से पीएम के संसदीय क्षेत्र में न केवल सद्दाम जैसे छुपे भू माफिया ब्लैक मनी का साम्राज्य एकत्र कर रहे है बल्कि सरकार की तमाम नीतियों व दावे को मुंह चिढ़ा रहे है। सद्दाम द्वारा बृज इंक्लेव कॉलोनी में किए गए निर्माण हो या फिर नवाबगंज के क्षेत्र में बनाए गए डुप्लेक्स....सद्दाम ने फ़राज़ के जरिए हर एक अवैध निर्माण के लिए सिस्टम की बोली लगाई है।

कार्रवाई कब? 

अब बड़ा प्रश्न यह है कि इस मामले में प्रशासन, नगर निगम और न्यायपालिका कब जागेगी? क्या सद्दाम हुसैन पर कोई कानूनी शिकंजा कसा जायेगा? या यह मामला भी बाकी हजारों प्रकरणों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा ?

बृज इंक्लेव में हुए अवैध निर्माण पर कब चुप्पी तोड़ेंगे गर्ग जी !

बृज इंक्लेव में में जब सद्दाम के द्वारा अवैध तरीके से मानक के विपरीत जाकर अवैध निर्माण कराया जा रहा था उस वक्त वीडीए के जोनल और जेई कुंभकर्णी नींद में सोए थे। ऐसा नहीं कि जानकारी नहीं थी, पर नींद में सोना मजबूरी थी क्योंकि सद्दाम ने अपने रसूख के दम पर जिम्मेदारों के मुंह बंद कर दिए थे और आंखों पर पट्टी बांध दी थी। स्वीकृत मानचित्र के विपरीत जाकर लगभग 22.94 मी.x 25.24 मी. वर्गमीटर के क्षेत्रफल में फ्रंट सेटबैक, साइड सेटबैक, रेयर सेटबैक को प्रभावित करते हुए तृतीय तल एवं चतुर्थ तल का निर्माण कर लिया गया तब जाकर ये जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद से जागे। फिर 29 जुलाई 2024 को नोटिस पर दिखावा कार्रवाई करते हुए पुलिस अभिरक्षा में सौंप दिया। बावजूद इसके निर्माण कार्य जारी रही जिसके विरुद्ध 6 अगस्त 2024 को मुकदमा दर्ज करवाया गया। 02 अगस्त 2024 को निर्माणकर्ता द्वारा अपने भवन का व्यावसायिक शमन मानचित्र दाखिल किया गया है, जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा दिनांक 13 दिसंबर 2024 को अस्वीकार कर दिया गया। अनाधिकृत निर्माण के विरूद्ध दिनांक 05 फरवरी 2025 को ध्वस्तीकरण आदेश पारित किया गया है, बाबजूद इसके लगभग 3 माह बीत जाने के बाद भी वीडीए के भ्रष्ट अधिकारी एक ईंट तक नहीं हिला पाए। अब देखना होगा कि सद्दाम के इस अवैध निर्माण पर वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी साहब कब अपनी चुप्पी तोड़ते हैं।

कौन देगा जवाब, सद्दाम के हाथों कितने में बेचा अपना जमीर !

बृज इंक्लेव कॉलोनी में खड़ी सद्दाम की अवैध इमारत जिसका निर्माण फर्जी दस्तावेजों एवं तथाकथित मानचित्र के विपरीत जाकर कराया गया है, के ध्वस्तीकरण का आदेश 5 फरवरी 2025 को ही पारित किया जा चुका है पर, महीनों बीत जाने के बाद भी एक ईंट तक नहीं गिर पाई। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ध्वस्तीकरण से बचने के लिए सद्दाम ने वीडीए के अधिकारियों की ऊंची बोली लगा दी है ! क्या बिल्डर रिजवान जो कूटरचित दस्तावेज को बनवाने में माहिर है वह फिर से वीडीए के बाबू फराज के साथ मिलकर सद्दाम को बचाने का कोई नया तरकीब निकाल रहा है ! क्या वीसी साहब भी इन भ्रष्टाचारियों के साथ भ्रष्टाचार की गंगा में गोता लगा रहे !

आखिर जोनल संजीव कुमार अबतक क्यों नहीं कर सके ध्वस्तीकरण की कार्रवाई!  क्या महाभ्रष्ट जोनल अधिकारी संजीव कुमार की आय से अधिक अकूत संपत्ति की जांच सरकार कराएगी ! आखिर पीएम के संसदीय क्षेत्र को कबतक बदनाम करते रहेंगे वीडीए के ये जिम्मेदार अधिकारी ! आखिर यह जवाब कौन देगा कि वीडीए के अधिकारियों ने सद्दाम के रसूख के आगे कितने में अपना ईमान बेचा !

पार्ट- 10 

रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए.....

रिज़वान को तोहफ़े में सद्दाम ने आखिर क्यों दिया मकान?