देव दीपावली पर काशी होगी रोशन: तैयारियों की समीक्षा, योगी ने दिए सख्त निर्देश, बोले- घाटों की ड्रोन से करें निगरानी
वाराणसी (रणभेरी): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लखनऊ में देव दीपावली तैयारियों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि काशी की देव दीपावली सनातन परंपरा, गंगा आराधना और लोक आस्था का अद्वितीय संगम है। यह पर्व केवल दीपों का उत्सव नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रभाव का प्रतीक है। गौरतलब है कि इस वर्ष देव दीपावली 5 नवंबर को मनाई जाएगी, जबकि गंगा महोत्सव 1 से 4 नवंबर तक आयोजित होगा।
सीएम ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि आयोजन की सभी तैयारियां समयबद्ध पूरी हों। घाटों पर प्रकाश व्यवस्था, दीपदान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ऐसी तैयारी की जाए कि श्रद्धा, अनुशासन और सौंदर्य का विशेष संदेश जाए। उन्होंने सुरक्षा, स्वच्छता, भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने को कहा।
सीएम ने पर्यटन, नगर निगम, पुलिस, जल पुलिस, संस्कृति, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, विद्युत और स्वास्थ्य विभाग सहित सभी विभागों को अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभाने के निर्देश दिए। उन्होंने घाटों पर स्मार्ट लाइटिंग, आकर्षक फ्लोरल डेकोरेशन, थीम आधारित इंस्टॉलेशन, ड्रोन एवं सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। इसके साथ ही गलियों व मुख्य मार्गों की सफाई-सजावट पर विशेष ध्यान देने को कहा।
श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए योगी ने 24×7 कंट्रोल रूम सक्रिय रखने, कमांड सेंटर से लगातार सीसीटीवी मॉनिटरिंग, पर्याप्त शौचालय, पेयजल व प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। घाटों पर आपातकालीन नाव एवं एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध रहने के साथ नाविकों के लिए लाइफ जैकेट व निर्धारित रूट जानकारी सुनिश्चित करने को भी कहा।
बैठक में जानकारी दी गई कि चेत सिंह घाट पर प्रतिदिन तीन बार 25 मिनट का लेजर शो होगा। काशी विश्वनाथ घाट से चेत सिंह घाट के बीच सैंड आर्ट इंस्टॉलेशन लगाए जाएंगे और काशी विश्वनाथ धाम घाट के सामने 10 मिनट का ग्रीन फायरक्रैकर शो एवं संगीत कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देव दीपावली का आयोजन “क्लीन काशी, ग्रीन काशी, डिवाइन काशी” के भाव को साकार करने वाला हो। उन्होंने यातायात व्यवस्था, पार्किंग, बैरिकेडिंग, विद्युत आपूर्ति और चिकित्सा सेवाओं पर खास ध्यान देने को कहा। साथ ही स्थानीय कलाकारों, विद्यालयों, महिला समूहों और धर्माचार्यों की सहभागिता सुनिश्चित करने की बात कही, ताकि यह उत्सव जनसहयोग और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बने।











