हैप्पी न्यू ईयर ...यह मैसेज है या खतरे की घंटी !
- नए साल की शुभकामनाओं में छिपा साइबर जाल, एक क्लिक और खाली हो सकता है आपका डिजिटल संसार
- लालच, जल्दबाज़ी और लिंक...ठगों के तीन अचूक हथियार
- सावधानी ही सबसे बड़ा कवच, जागरूकता से ही बचेगी कमाई
वाराणसी (रणभेरी)। नए साल का आगमन जहां खुशियों, शुभकामनाओं और नई उम्मीदों का संदेश लेकर आता है, वहीं यही उल्लास भरा माहौल साइबर ठगों के लिए सुनहरा मौका भी बन जाता है। मोबाइल फोन पर आने वाले "हैप्पी न्यू ईयर” संदेश, आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड, फ्री गिफ्ट या स्पेशल ऑफर के नाम पर भेजे गए लिंक दरअसल डिजिटल दुनिया में बिछाया गया खतरनाक जाल होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक छोटी-सी लापरवाही और आपकी निजी जानकारी, फोटो, कॉन्टैक्ट लिस्ट से लेकर बैंक अकाउंट तक गंभीर खतरे में पड़ सकता है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों व्हाट्सएप, टेलीग्राम, फेसबुक मैसेंजर और एसएमएस के जरिए फर्जी शुभकामना संदेशों की बाढ़ आ जाती है। इनमें अक्सर “आपके लिए खास न्यू ईयर ग्रीटिंग”, “अपना नाम डालें और वीडियो बनाएं” या “यह लिंक तुरंत खोलें” जैसे आकर्षक और जल्दबाज़ी भरे शब्द लिखे होते हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति बिना सोचे-समझे इन लिंक पर क्लिक करता है, उसके फोन में मालवेयर या स्पाइवेयर इंस्टॉल हो सकता है। इसके बाद मोबाइल हैंग होना, अपने आप अनजान ऐप्स डाउनलोड होना, कॉल या मैसेज का असामान्य व्यवहार और यहां तक कि ओटीपी का ऑटो-फॉरवर्ड होना शुरू हो जाता है।
साइबर ठग इंसानी मनोविज्ञान को बखूबी समझते हैं। नए साल पर लोग भावनात्मक रूप से ज्यादा खुले होते हैं और शुभकामनाओं के नाम पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर ठग “फ्री गिफ्ट”, “कैशबैक”, “लिमिटेड ऑफर” या “स्पेशल न्यू ईयर सरप्राइज” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। कई मामलों में यह ठगी सिर्फ आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इमोशनल ब्लैकमेल का रूप भी ले लेती है। ठग निजी फोटो, चैट या डेटा का दुरुपयोग कर पीड़ित को डराते हैं और फिर बैंक डिटेल्स, ओटीपी या पैसे ट्रांसफर की मांग करते हैं।
अक्सर एपीके फाइल्स या संदिग्ध वेबसाइट लिंक के जरिए फोन में खतरनाक सॉफ्टवेयर डाला जाता है। एक बार यह सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो जाए तो फोन का कंट्रोल पूरी तरह ठगों के हाथ में चला जाता है। वे न सिर्फ आपकी निजी जानकारी चुरा लेते हैं, बल्कि आपके कॉन्टैक्ट्स को भी फर्जी मैसेज भेजकर दूसरों को ठगी का शिकार बनाते हैं। यही कारण है कि एक व्यक्ति की गलती देखते ही देखते कई लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है।
साइबर विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सावधानी ही इस डिजिटल खतरे से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है। अनजान नंबर या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें और कभी भी प्ले स्टोर या ऐप स्टोर के बाहर से कोई एप डाउनलोड न करें। मैसेजिंग ऐप्स में ऑटो-डाउनलोड फीचर बंद रखें और ओटीपी, पिन या बैंक संबंधी जानकारी किसी के साथ साझा न करें। इसके अलावा मोबाइल फोन और एप्स को समय-समय पर अपडेट करते रहना भी बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए साल की खुशियों को सुरक्षित रखने के लिए सिर्फ खुद सतर्क रहना ही काफी नहीं, बल्कि परिवार और दोस्तों को भी जागरूक करना जरूरी है। क्योंकि डिजिटल ठगी का यह जाल जितना चुपचाप फैलता है, उतनी ही तेजी से नुकसान पहुंचाता है। नए साल पर शुभकामनाएं भेजें, खुशियां बांटें, लेकिन हर लिंक पर क्लिक करने से पहले एक बार जरूर सोचें....कहीं यह शुभकामना ठगों का जाल तो नहीं।
सावधानी ही सबसे बड़ा कवच
विशेषज्ञों की सलाह है कि अनजान या संदिग्ध लिंक पर कभी भी क्लिक न करें। नए साल के नाम पर भेजे गए ग्रीटिंग, वीडियो या फ्री गिफ्ट वाले संदेशों से विशेष सतर्क रहें। किसी भी एप को केवल गूगल प्ले स्टोर या अधिकृत ऐप स्टोर से ही डाउनलोड करें, बाहरी स्रोतों से एपीके फाइल इंस्टॉल करना बेहद खतरनाक हो सकता है। मैसेजिंग ऐप्स में ऑटो-डाउनलोड का विकल्प बंद रखें, ताकि बिना जानकारी के कोई फाइल या लिंक अपने आप डाउनलोड न हो। ओटीपी, पिन, पासवर्ड या बैंक से जुड़ी कोई भी जानकारी किसी के साथ साझा न करें, चाहे सामने वाला खुद को कितना ही भरोसेमंद क्यों न बताए। इसके अलावा मोबाइल फोन और सभी एप्स को समय-समय पर अपडेट करते रहना जरूरी है, क्योंकि अपडेट के जरिए सुरक्षा खामियों को दूर किया जाता है। किसी भी संदिग्ध नंबर या मैसेज को नजरअंदाज करने के बजाय तुरंत ब्लॉक और रिपोर्ट करें।
साइबर एक्सपर्ट आशुतोष सिंह के अनुसार, नए साल पर ऑनलाइन गतिविधियां सामान्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक बढ़ जाती हैं, ऐसे में थोड़ी-सी लापरवाही बड़ा नुकसान कर सकती है। सतर्कता ही डिजिटल दुनिया में सबसे बड़ी सुरक्षा है। वहीं डीसीपी क्राइम सरवणन टी का कहना है कि जल्दबाज़ी और लालच साइबर ठगी की सबसे बड़ी वजह हैं। यदि लोग सोच-समझकर हर कदम उठाएं, तो अधिकतर साइबर अपराधों को रोका जा सकता है। नए साल की खुशियों को सुरक्षित रखना है तो शुभकामनाओं के साथ सावधानी भी उतनी ही ज़रूरी है, क्योंकि ठगों का असली तोहफ़ा आपकी डिजिटल सुरक्षा पर सीधा वार होता है।











