दालमंडी में हड़कंप: 187 मकानों पर बुलडोजर, व्यापारियों का विरोध बेअसर
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी की ऐतिहासिक दालमंडी में शनिवार सुबह एक बार फिर बुलडोजर चलने लगा। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया गया। कार्रवाई ADM सिटी आलोक वर्मा के नेतृत्व में हो रही है, जिसमें बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी मौजूद हैं। पुलिस को देखते ही दालमंडी और नई सड़क के व्यापारी मौके पर जमा हो गए। कुछ कारोबारियों ने विरोध भी किया, लेकिन प्रशासन के सामने किसी की नहीं चली। अधिकारियों ने दुकानदारों को सामान हटाकर तत्काल दुकानें बंद करने का निर्देश दिया।
कार्रवाई के दौरान मकान मालिक मो. शाहिद और वाजिद के भवनों पर हथौड़ा चलाया जा रहा है। एसीपी ने माइक से लगातार चेतावनी देकर मकान-दुकानें खाली करने की अपील की। उल्लेखनीय है कि 11 नवंबर को प्रदर्शन के बाद अगले ही दिन चंदौली से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह दालमंडी पहुंचे थे। व्यापारियों से मुलाकात कर उन्होंने मुआवजा बढ़ाने और दुकानें न गिराने की मांग उठाई थी, लेकिन आज की कार्रवाई से स्पष्ट है कि प्रशासन अपने रुख पर कायम है।
नगर निगम ने दालमंडी क्षेत्र के कुल 187 मकानों को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया है। इनके बदले करीब 191 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया है। इनमें से 14 दुकानदारों ने मुआवजा प्राप्त कर ध्वस्तीकरण के लिए लिखित सहमति दी है। अभियान की शुरुआत इन्हीं संरचनाओं को गिराने से की गई है। अब तक केवल दो मकान गिराए जा चुके हैं, लेकिन शनिवार से कार्रवाई और तेज़ की गई है।
दालमंडी को मॉडल रोड के रूप में विकसित किए जाने की महात्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष अगस्त में इस मार्ग के निर्माण का शिलान्यास किया था। परियोजना के लिए राज्य सरकार ने 215.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। मंदिर से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह मार्ग काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 के सामने से होकर जाता है। लेआउट के अनुसार, यह शहर की सबसे सुंदर सड़कों में शामिल होगी। सड़क के दोनों ओर 3.2 मीटर का फुटपाथ और हरियाली के लिए विशेष स्थान बनाया जाएगा। दावा है कि यह सड़क दिल्ली और बेंगलुरु की आधुनिक सड़कों की बराबरी करेगी।
दालमंडी केवल व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक पहचान भी रखती है। कभी अंग्रेज इसे “डॉलमंडी” कहा करते थे। बॉलीवुड अभिनेत्री नरगिस की मां और संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का घर यहीं था, जिसने भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर को दिशा दी। यहीं का एक और बड़ा गौरव रहे बनारस घराने के मशहूर तबलावादक लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज, जिनका ताल से रिश्ता दालमंडी की सांस्कृतिक आत्मा में आज भी महसूस किया जाता है।
फिलहाल दालमंडी में माहौल तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रित है। कार्रवाई जारी है और विरोध के स्वर बीच-बीच में उठ रहे हैं। व्यापारियों की आर्थिक चिंताएं और प्रशासन की विकास प्राथमिकता के बीच यह संघर्ष आगे क्या मोड़ लेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। इतना तय है कि दालमंडी एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुज़र रही है, जहाँ अतीत की ऐतिहासिक पहचान और वर्तमान के आधुनिक विकास की कहानी एक साथ लिखी जा रही है।











