मानसिक अस्पताल में बंदी की हार्ट अटैक से मौत

मानसिक अस्पताल में बंदी की हार्ट अटैक से मौत

गाजीपुर ।  जिला जेल में हत्या के आरोप में बंद हत्यारोपी की मानसिक हालत बिगड़ने पर उसे मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक से बंदी की मौत हो गई।  हत्या के मामले में जिला जेल में बंद एक हत्यारोपी की मानसिक हालत बिगड़ने पर वाराणसी रेफर कर दिया गया था, जिसकी उपचार के दौरान बुधवार को मौत हो गई। चर्चा है की हृदयगति रुकने से मौत हुई है। हालांकि पुलिस विधिक कार्रवाई में जुटी हुई है। कासिमाबाद थाना क्षेत्र के बहादुरगंज स्थित पुरानी गंज वार्ड नंबर चार निवासी प्रवीण राय उर्फ पप्पू (50) हत्या के आरोप में 29 अक्तूबर को जिला जेल में बंद हुआ था। एक अप्रैल को मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण उपचार के लिए मानसिक चिकित्सालय पांडेयपुर वाराणसी में जेल प्रशासन की ओर से भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान बुधवार की सुबह करीब 8:45 बजे मौत हो गई। घटना की जानकारी होने पर परिजन वाराणसी के लिए रवाना हो गए। इस बाबत पूछे जाने पर डिप्टी जेलर रवींद्र सिंह ने बताया कि जो सूचना मिली है उसके मुताविक इलाज के दौरान मौत हुई है। आगे की कार्रवाई वाराणसी पुलिस की ओर से की कराई जा रही है। मृत बंदी हत्यारोपी था। वारदात की बात करें तो रामभानु राय उर्फ गुड्डू किसी को छोड़ने के लिए मुख्य मार्ग तक गए थे। यहां से वह घर वापस लौट रहे थे और एक माइक्रो फाइनेंस बैंक के सामने खड़े हो गए। पीछे से पड़ोसी प्रवीण राय पहुंचा और चाकू से ताबड़तोड़ वारकर हत्या कर दिया था।

करनी का मिला फल : राम विलास राय
गुड्डू के परिवजन हत्यारोपी प्रवीण राय उर्फ पप्पू की मौत की खबर सुनकर खुश हैं। गुड्डू के छोटे भाई व पूर्व सभासद राम विलास राय ने कहा कि करना का फल मिल गया। ईश्वर के घर देर हैं, लेकिन अंधेर नहीं।

घर छोड़कर चले गए हैं परिवार के लोग
प्रवीण राय उर्फ पप्पू (50) ने अपने ही पड़ोसी और बहादुरगंज नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक पुरानी गंज निवासी रामभानु राय उर्फ गुड्डू (50) पिछले वर्ष 29 अक्तूबर को हत्या किया था, इसके बाद से आरोपी के परिवार के लोग घर बंद घर कहीं चले गए थे, क्योंकि दोनों ही पक्ष का घर आमने-सामने था और वे अनहोनी की जर से ये निर्णय ले लिए थे। वहीं, उसका भाई दिल्ली में नौकरी करता है, जो मौत की खबर सुनकर रवाना हो गए। वहीं, कुछ परिजन वाराणसी भी गए, जो शाम को लौट आए।