जिला बदर की कार्रवाई की भनक लगते ही भूमिगत हुआ माइकल

जिला बदर की कार्रवाई की भनक लगते ही भूमिगत हुआ माइकल

प्रयागराज ।  इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री अभिषेक सिंह माइकल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पुलिस उसके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई में जुटी है। माइकल कुछ दिन पहले ही जेल से रिहा हुआ है। कार्रवाई की भनक लगते ही उसने प्रयागराज छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि वह इन दिनों वाराणसी में रह रहा है। जिला बदर की कार्रवाई से बचने के लिए जमानत तोड़वाकर जेल जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री अभिषेक सिंह माइकल ने जेल से छूटते ही शहर छोड़ दिया है। चर्चा है कि उसकी जेल बदली की तैयारी थी। इसकी भनक लगने के बाद से ही वह परेशान था। अब पुलिस को पता चला है कि वह वाराणसी में रह रहा है। फिलहाल, कर्नलगंज पुलिस आधिकारिक जानकारी मिलने की बात से इन्कार कर रही है। हालांकि, चर्चा है कि उसे वाराणसी जाकर जिला बदर का नोटिस तामीला करने की तैयारी है। माइकल के खिलाफ 22 फरवरी को पुलिस आयुक्त न्यायालय ने जिला बदर का आदेश जारी किया था। इसके तहत उसे छह महीने के लिए जिला छोड़ने का आदेश सुनाया गया था। तब पुलिस संबधित नोटिस तामील कराने उसके सलोरी स्थित आवास पर पहुंची तो वह सामने नहीं आया। पुलिस को बताया गया कि वह घर पर नहीं है। पुलिस ने डुगडुगी बजवाकर उसके घर के बाहर नोटिस चस्पा भी किया था। इसके बाद ही वह 2018 के एक पुराने मुकदमे में जमानत तोड़वाकर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जेल चला गया था।  सूत्रों का कहना है कि अब पता चला है कि माइकल सात अप्रैल को जमानत पर जेल से रिहा हो गया। इसके बाद उसने शहर छोड़ दिया। यह भी कहना है कि इससे पहले उसकी जेल बदली की भी तैयारी चल रही थी। उधर, वर्तमान में उसके वाराणसी में रहने की सूचना गोपनीय तरीके से आला अफसरों के पास पहुंची है। हालांकि, कर्नलगंज इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी मिलने की बात से इन्कार कर रहे हैं। उनका कहना है कि माइकल के जमानत पर रिहा होने की जानकारी मिली है। उसकी तलाश की जा रही है और उसे जल्द ही जिला बदर की कार्रवाई से संबंधित नोटिस तामील कराया जाएगा।

2020 में चालानी रिपोर्ट, चार साल बाद कार्रवाई
माइकल पर जिला बदर की कार्रवाई चार साल बाद हुई। अक्तूबर 2020 में कर्नलगंज पुलिस की चालानी रिपोर्ट पर अपर जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय ने उसके खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई की थी। हालांकि, इसके बाद आगे की कार्रवाई लंबित रही। जब यह मामला पुलिस आयुक्त रमित शर्मा के न्यायालय में पहुंचा तो उन्होंने संज्ञान लेकर अभियुक्त को नोटिस जारी कर तलब किया। सुनवाई के बाद उसके खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई की।
 

हत्या के प्रयास में सुनाई गई है 10 साल की सजा
मूलरूप से बिहार के कैमूर भभुआं, सिकरी निवासी माइकल को 2012 में छात्रनेता अभिषेक सिंह सोनू पर जानलेवा हमले के मामले में 10 साल की सजा भी सुनाई जा चुकी है। उसके खिलाफ मारपीट, धमकी, जानलेवा हमला समेत 18 मु़कदमे दर्ज हैं। 2019 में इविवि छात्रसंघ चुनाव के दौरान उस समेत चार पर 25-25 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था