काशी में संपन्न हुआ अन्नकूट महोत्सव: मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह के दर्शन का दुर्लभ अवसर, 11 लाख श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद

काशी में संपन्न हुआ अन्नकूट महोत्सव: मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह के दर्शन का दुर्लभ अवसर, 11 लाख श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद

वाराणसी (रणभेरी): काशी की पावन धरती पर पांच दिवसीय अन्नकूट महोत्सव का समापन आधी रात को मां अन्नपूर्णा की महाआरती के साथ हुआ। महंत शंकर पुरी ने मंत्रोच्चार के बीच अग्नि में श्रद्धा की लौ प्रज्वलित की तो मंदिर परिसर भक्ति से गूंज उठा। आंखों में आंसू और हृदय में तृप्ति लिए भक्तों ने मां के स्वर्णमयी विग्रह के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य माना। परंपरा के अनुसार, महाआरती के बाद मां के कपाट 16 भुन्नासी तालों से बंद कर दिए गए — जो अब अगले धनतेरस पर ही खुलेंगे।

पांच दिन, 11 लाख श्रद्धालु और अन्नपूर्णा का अमृत

18 से 22 अक्तूबर तक चले इस दिव्य आयोजन में करीब 11 लाख श्रद्धालुओं ने मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन किए। मंदिर परिसर में घंटों की कतारों के बावजूद श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति और उल्लास झलकता रहा। मां के दरबार में अन्न, धन और प्रसाद को आशीर्वाद स्वरूप पाने वालों ने इसे समृद्धि का प्रतीक बताया।

511 क्विंटल अन्न और 56 भोगों से सजा दरबार

अन्नकूट के दिन मां का दरबार 511 क्विंटल अन्न और 56 प्रकार के भोगों से अलंकृत किया गया। पहले ही दिन 2.75 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। करीब 6.5 लाख रुपये का खजाना और 11 क्विंटल धान का लावा प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया।

हर दिन बढ़ता गया श्रद्धा का ज्वार

19 अक्तूबर को 2 लाख, 20 को 2.15 लाख, 21 को 1.75 लाख और अंतिम दिन 22 अक्तूबर को 2.5 लाख से अधिक भक्तों ने मां के दर्शन किए। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे, वहीं श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े रहकर भी मां की एक झलक पाने को आतुर रहे।

आधी रात की महाआरती और कपाट बंदी

23 अक्तूबर की मध्यरात्रि को महंत शंकर पुरी ने मां अन्नपूर्णा की महाआरती कर देश-विदेश से आए भक्तों की अन्न-धन की समृद्धि और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की। इसके बाद मां के स्वर्णमयी विग्रह को परंपरा अनुसार 16 भुन्नासी तालों में सुरक्षित कर कपाट बंद कर दिए गए। अब अगले वर्ष धनतेरस पर ही पुनः मां अन्नपूर्णा के दर्शन संभव होंगे।