गंगा घाटों-सरोवरों पर उमड़ा श्रद्धा का मेला
राधेश्याम कमल
वाराणसी (रणभेरी): गंगा घाटों पर सोमवार को श्रद्धा एवं आस्था का सैलाब उमड़ा। शिव की नगरी काशी में छठी मइया पूजी गई। आस्था व श्रद्धा के साथ सुहागिन महिलाओं ने गंगा- सरोवरों-कुंडों व पोखरों में कमर के बराबर जल में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्यदेव को दीपक की ज्योति दिखा कर अर्घ्य दिया। अर्घ्य देने के बाद घाटों पर छठ की पूजा की गई। गंगा तट व सरोवर छठ के गीतों से गूंजता रहा। घाटों पर कहीं •ाी पैर रखने की कोई जगह नहीं बची थी।
सुनिह अरज हमार हे सुरुज देव
ललाट पर गाढ़ा सिंदूर, हाथों में गंगा जल का पात्र, साथ ही पूजन सामग्री की डलिया, हर कोई आस्था व श्रद्धा से ओत प्रोत। पूजन के आगे किसी को कहीं देखने की फुर्सत तक नहीं। हर कोई सूर्यदेव की पूजा में लीन। कुछ ऐसा ही दृश्य सोमवार को काशी के गंगा घाटों-सरोवरों व कुंडों तथा पोखरों पर दिखायी पड़ा। गंगा घाटों व कुंडों पर कोई शहनाई तो कोई नगाड़े के साथ पहुंचा। जिन महिलाओं को घाटों पर जगह नहीं मिली उन लोगों ने घाट की सीढ़ियों का सहारा लिया। घाटों के उपर व्रती महिलाओं ने ईंख का मंडप बना कर कोसी का पूजन करती नजर आयी।
इस पार जगह न मिलने के चलते गंगा घाट के उस पार भी व्रती महिलाओं का हुजूम उमड़ा रहा। नमो घाट से लेकर राजघाट व सामने घाट तक लोगों का सैलाब कम नहीं था। गंगा घाटों पर दोपहर बाद से ही जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। पूजा के चलते लक्सा से लेकर गोदौलिया-दशाश्वमेध तक जाने वाले मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रही।वरिती महिलाएं नवीन परिधानोंव जेवरातों के साथ सजधज कर समूह में परिजनों के साथ जाती हुई दिखी। घाटों पर महिलाएं दौरी व सूप में पूजन सामग्री लेकर सूर्यदेव के अस्त होने की प्रतीक्षा करती रहीं। काफी संख्या में महिलाएं सूर्यदेव के अस्त होने के पूर्व ही कमर तक जल में हाथ जोड़ कर खड़ी रही।
छठी मइया के गीतों से गूंजता रहा गंगा तट
छठी मइया की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए उनके मनुहार व महिमा में व्रती महिलाओं ने परम्परा के अनुसार लोकगीत गाये। इनमें सूर्यदेव कष्ट हरियो, हे माई छठी देवी कष्ट हरियो, करि अर्घ्य स्वीकार हे सुरुज देव, छठी मइया के अर्घ्य देव जाइब गंगा घाटे, दुखवा हरियो हो दीनानाथ आदि गीत रहे। कर्णप्रिय लोकगीतों से गंगा तट व सरोवर गूंजायमान रहे। मंगलवार को उदीयमान सूर्य को व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी।











