ऐतिहासिक दुर्गाकुण्ड के तट की भी लगाई गयी कीमत !

- जोनल संजीव कुमार की देखरेख में बनकर तैयार हो गई अवैध इमारत
- 3 माह पूर्व अर्द्धनिर्मित भवन की रणभेरी ने छापी थी तस्वीर
- 45 लाख की वसूली के एवज में वीडीए ने 3 माह के लिए मूंद ली अपनी आंख - सूत्र
- वाराणसी विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचारी अफसरों पर आखिर क्यों मेहरबान है सरकार ?
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी): बाप बड़ा न भईया, सबसे बड़ा रुपया....जी हां, यह कहावत तो आपने ही सुनी होगी कि जहां पैसा ही सबकुछ हो वहां कौन ईमानदारी और जिम्मेदारी की बात करता है। पैसों की भूख मस्तिस्क पर इस कदर हावी हो चुकी है कि जो जहां है वहीं से लूटने की कोशिश में लगा है। चाहे वह व्यापार हो या फिर सरकारी विभाग, अगर लूटने का अवसर हो तो भला कौन बहती गंगा में हाथ नहीं धोना चाहता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में भी वाराणसी विकास प्राधिकरण नाम का एक विभाग है, जिसकी जिम्मेदारी है कि शहर में विकास को गति देना, अवैध निर्माणों को रोकना। पर वाराणसी विकास प्राधिकरण शहर के विकास में भले ही कोई सार्थक भूमिका नहीं निभा पा रहा हो पर यह जगजाहिर है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण में बैठे अफसरान अपनी चल-अचल संपत्तियों में बेतहाशा वृद्धि के लिए न केवल जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं बल्कि स्वयं के विकास की बडी़ इबारत भी लिख रहे हैं। लिखे भी क्यों न, वीडीए के जिम्मेदार कुर्सी पर बैठने वालों ने तो शहर की सुंदरता पर धब्बा लगाने का ठेका जो ले रखा है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक तरफ जहां सरकारी योजनाओं से विकास की गंगा बह रही है वहीं इसी विकास के आड़ में वाराणसी का ऐसा विभाग है जिसके जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार की गंगा में खूब गोते लगा रहे है। अब यह जग जाहिर हो चुका है कि पीएम के संसदीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंगा जहां उफान पर बहती है उस जगह का नाम...वाराणसी विकास प्राधिकरण ही है। इस विभाग के जिम्मेदारान अफसरों ने भ्रष्टाचार की आगोश में आकंठ डूब कर न केवल शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ ला दी बल्कि बर्बादी की एक बड़ी इबारत लिखने का काम कर रहे हैं। धन्नासेठों के आगे अपना ईमान गिरवी रखकर अपनी व्यक्तिगत संपति में भी अपने आय से अधिक विकास की गाथा लिखने में वाराणसी विकास प्राधिकरण एक कदम पीछे नहीं रहा।
भ्रष्टाचारियों ने गंगा तट, कुंड, तालाबों को भी नहीं छोड़ा
वाराणसी, जिसे हम काशी के नाम से भी जानते हैं, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी है। यहां के गंगा की पुण्य धरा, घाट, कुंड और मंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय जनजीवन का अभिन्न हिस्सा भी हैं। लेकिन इस प्राचीन नगरी में विकास की आड़ में जो भ्रष्टाचार पनप रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। इसका जिम्मेदार अगर कोई है तो वो है वाराणसी विकास प्राधिकरण। धन्नासेठों के आगे वीडीए के जिम्मेदारों ने गंगा तट से लेकर कुंड, तालाब और एचएफएल क्षेत्र तक की बोली लगा दी है। वीडीए के भ्रष्ट और निकम्मा अफसरानों के कारनामों की ही देन है कि धन्नासेठों की चांदी ही चांदी है। धन्नासेठ जहां मन हो, अपने रसूख के दम पर गंगा तट, कुंड, तालाब हर जगह अवैध निर्माण करा रहे हैं। वीडीए की नीतियों में स्पष्ट है कि यह धन्नासेठों के आगे नतमस्तक हो चुका विभाग है।
पैसों के दम पर अपना ईमान बेचने वाले वीडीए के जिम्मेदारों द्वारा बड़े कॉर्पोरेट्स और बिल्डर्स के लिए आसान नियम और नीतियां बनाई जाती हैं, जबकि गरीबों के लिए कई तरह की बाधाएं खड़ी की जाती हैं। वजह स्पष्ट है कि बड़े बिल्डर्स रसूख के दम पर आसानी से इन जिम्मेदारों का ईमान खरीद लेते है लेकिन एक गरीब जिसके लिए दो वक्त की रोटी, कपड़ा, बच्चों की पढ़ाई और जीवन संघर्ष के बाद एक छत की ख्वाहिश होती है वह इतना सक्षम नहीं कि वीडीए के इन अधिकारियों को इनके मनमुताबिक इनका जेब भर सके इसलिए वह एक छत बनवाने के लिए भी संघर्ष ही करता रह जाता है। नियम और कानून सिर्फ और सिर्फ गरीबों के लिए है, इतिहास गवाह है धनबली नियम कानून को ठेंगे पर रखते हैं और कुर्सी इनके इशारों पर नाचती हैं। अगर हालत ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब वाराणसी का यह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप भी वीडीए के अधिकारियों की निकम्मेपन से समाप्त हो जाए।
सवाल आज भी जिंदा है... एच.ऍफ़.एल. क्षेत्र में अवैध निर्माण की किसने लगाई बोली ?
एचएफएल एरिया में एक नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक अवैध निर्माण आज भी बेधड़क जारी है। इन सारे अवैध निर्माणों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वीडीए ने एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माण कराने के लिए कोई फिक्स रेट तय कर दिया हो ? गुरुधाम चौराहे से लेकर पद्मश्री चौराहे और दुर्गाकुंड के बीच व उसके आस-पास कई अवैध निर्माण हो रहे और पूरा होने के कगार पर है लेकिन वीडीए के अधिकारी अपना ईमान बेचकर अंधे गूंगे और बहरे बने रहते हैं। इन सभी अवैध निर्माणों की जानकारी होने के बाद भी वीसी पुलकित गर्ग भी मौन है और निर्माण आज भी अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुका है। यह सारे अवैध निर्माण वीडीए अधिकारियों के संरक्षण में हुए हैं।
पहले
अब
सूत्रों ने बताया कि सारे अवैध निर्माणों के लिए वीडीए के अधिकारियों ने रेट तय कर रखा है। यही वजह है कि जिस एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर रोक है वहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण हुआ। दिखावे के लिए जहां सील का बोर्ड लगाया गया है वहां भी पर्दे की आड़ में निर्माण होता रहा। इस विभाग द्वारा भवन को सील इसलिए नहीं किया जाता है कि भवन अवैध है तो इसे सील कर फिर ध्वस्त किया जाएगा, बल्कि किसी भी भवन के सील होने का असल मकसद होता है अच्छी खासी डील।