भ्रष्टाचार जिंदा है - सीएम भी शर्मिंदा हैं !

भ्रष्टाचार जिंदा है - सीएम भी शर्मिंदा हैं !
भ्रष्टाचार जिंदा है - सीएम भी शर्मिंदा हैं !

भ्रष्टाचारियों पर बरस रही परिवहन मंत्री की ‘दया’ 

डीटीसी ए.के.सिंह के कुकर्मो पर परिवहन मंत्री डाल रहे पर्दा ! 
 
कार्रवाईयों  से बचाने के लिए ए.के.सिंह को किया गया मुख्यालय से अटैच


जायज़ सवाल – 
1.    आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे ए.क.सिंह पर क्यों मेहरबान है योगी सरकार ?
2.    क्यों नहीं कराई जा रही है ए.के.सिंह के आवाज़ की फारेंसिक जांच ?
3.    बोलता-चीखता साक्ष्य होने के बावजूद परिवहन मंत्री ने ए.के.सिंह के लिए जेल का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय क्यों किया मुख्यालय से संबद्ध ? 
4.    क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दे रखी है परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खुली छूट ? 
5.    क्या परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के वर्चस्व के आगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों की नहीं है कोई अहमियत ? 


वाराणसी (रणभेरी संवाददाता) । उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये दिन बड़े ही बेबाकी के साथ यह कहते हुए सुने और देखे जाते है कि यूपी में भ्रष्टाचार करने वालो की खैर नहीं होगी, जो भ्रष्टाचार में लिप्त होगा वो सलाखों के पीछे होगा। परन्तु परिवहन विभाग में अपने चरम पर व्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों में सूबे की सरकार बेबस नज़र आती है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस विभाग के माननीय मंत्री जी की दबंगई के आगे सूबे की सरकार के दमदार मुखिया की भी नहीं चलती। परिवहन विभाग सरकार का एक ऐसा विभाग है जहां सरकार के ही निर्देश व आदेश लागू नहीं होते। जीरो टालरेंस का दम भरने वाली सूबे की योगी सरकार के नाक के नीचे परिवहन विभाग के भ्रष्टतम अधिकारियों की कारस्तानियाँ कुछ ऐसे ही हालात की ओर इशारा कर रहे हैं। परिवहन विभाग के वक्ती हालात पर गंभीरता से गौर फरमाया जाय तो यह साबित भी हो रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी बड़े-बड़े दावे को दरकिनार कर परिवहन विभाग अपने मंत्री दयाशंकर सिंह के संरक्षण में सूबे की सडकों पर बेख़ौफ़ बेतहाशा लूट मचाने में मशगूल है। 
परिवहन विभाग के दुर्दांत भ्रष्टाचारियों पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की दया का जिंदा प्रमाण परिवहन विभाग में तैनात डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अशोक कुमार सिंह है। वाराणसी के उप परिवहन आयुक्त अशोक कुमार सिंह का कारनामा जीरो टालरेंस का दम भरने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सारे दावों को झूठा साबित करने के लिए अकेले ही काफ़ी है। परन्तु सरकार की क्या मजाल की जोनल साहब उर्फ़ ए.के.सिंह का कोई एक बाल भी बांका कर सके। दरअसल परिवहन विभाग के गलियारों में इस बात की खूब चर्चा है कि बलिया की धरती से नाता रखने वाले माननीय मंत्री दयाशंकर सिंह का खुला संरक्षण डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ए.के.सिंह को प्राप्त है यही वजह है कि एक स्टिंग के जरिये ए.के.सिंह के एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा रणभेरी अख़बार सहित तमाम खबरिया चैनलों द्वारा किये जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई। बल्कि मुख्यमंत्री की चेतावनियों को नजरंदाज करते हुए सरकार की मंशा को ठेंगा दिखाकर उप परिवहन आयुक्त वाराणसी द्वारा पूर्वांचल के दर्जन भर जिलों में ओवरलोड ट्रकों का संचालन कराकर सरकार को प्रतिमाह करोंड़ों रूपये के राजस्व की क्षति पहुंचाई गयी। 
जब हमारे अखबार गूँज उठी रणभेरी ने परिवहन विभाग में पनप रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलकर क्रमवार प्रमाण के साथ खबरों को प्रकाशित करना शुरू किया तो इसी सरकार का परिवहन मंत्रालय विभागीय लुटेरों को बचाने में लग गया और जब इस पंक्ति के लेखक द्वारा एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए संवैधानिक रूप से नियमानुसार एंटी करप्शन विभाग, आईजीआरएस पोर्टल सहित प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं दर्जनों जिम्मेदार लोगों को अवगत कराया गया तो भ्रष्टाचार की आगोश में आकंठ डूबा पूरा का पूरा परिवहन मंत्रालय मामले की लीपा-पोती के नियत के साथ न केवल झूठी  जांच रिपोर्ट के दम पर मामले को रफा-दफा करने में लग गया बल्कि आरोपों से ध्यान भटकाने एवं गुमराह करने की योजना के तहत परिवहन मंत्रालय द्वारा डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ए.के.सिंह को वाराणसी से हटाकर अचानक मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया। अब इस मामले में बड़ा सवाल यह है कि ए.के.सिंह के खिलाफ़ भ्रष्टाचार का बोलता-चीखता साक्ष्य होने के बाद भी माननीय मंत्री जी द्वारा ए.के.सिंह के लिए जेल का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय उन्हें लखनऊ स्थित मुख्यालय से क्यों संबद्ध किया गया ? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की खुली छूट दे दी है ? क्या परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के वर्चस्व के आगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों की कोइ अहमियत नहीं ? 

डीटीसी के कुकर्मो पर पर्दा डाल रहे हैं मंत्री जी 

गूंज उठी रणभेरी ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए परिवहन विभाग के एक बड़े भ्रष्टाचार का सनसनी खेज खुलासा करते हुए विगत फरवरी माह की 27 तारीख को एक खबर प्रकाशित किया था जिसमे चंदौली जिले में प्रति माह एक हजार ओवरलोड ट्रकों का संचालन कराने की योजना के पुख्ता सबूत भी प्रकाशित किये गये थें। यही नहीं अखबार ने 23 मार्च के अंक में मिर्जापुर जनपद में पिछले तीन माह में अवैध रूप से चलने वाले लगभग 18 हजार ओवरलोड ट्रकों की सूची भी प्रकाशित किया था। प्रमुखता से प्रकाशित इन खबरों में यह बताया गया था कि वाराणसी मंडल के उप परिवहन आयुक्त ए के सिंह के की देख-रेख में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम के गृह जनपद गोरखपुर सहित पूर्वांचल के 14 जिलों में किस तरह से ओवरलोड ट्रकों का काला धंधा बदद्दस्तुर जारी है। हमारे समाचारपत्र के पास इस मामले का साक्ष्य भी है। भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले से परिवहन मंत्री महोदय को भी बाकायदा सभी माध्यमों से साक्ष्य सहित अवगत  कराया गया परन्तु मंत्री जी की इस अति गंभीर मामले में निरंतर खामोशी ने यह साबित कर दिया कि डीटीसी के कुकर्मो पर पर्दा डाल रहे हैं मंत्री जी। 


कार्रवाईयों से बचाने के लिए ए.के.सिंह को किया मुख्यालय से अटैच


डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ए.के.सिंह को जेल भेजने के बजाय माननीय मंत्री जी ने डीटीसी के कुकर्मों पर पर्दा डालने के मकसद से उन्हें मुख्यालय से संबद्ध कर लिया है। .सूत्रों की माने तो परिवहन मंत्री ने एक भारी भरकम डील के बदले में ए.के.सिंह को पूर्ण रूप से संरक्षण प्रदान करने का वादा कर दिया है यही वजह है कि पूरा का पूरा परिवहन विभाग हर हाल में डी.टी.सी. को बचाने की जुगत में लगा हुआ है। वहीं विगत 4 माह से लगातार डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ए.के.सिंह के भ्रष्टाचार की जांच के लिए निरंतर उठाये जा रहे सवालों एवं सरकार से की जा रही शिकायतों के समक्ष दोषियों को बचाने एवं मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए ही ए.के.सिंह को अचानक मुख्यालय से अटैच किये जाने की खबर प्राप्त हुई है। 


जनपद चंदौली में 30 लाख रुपए महीने अवैध वसूली का आडियो हुआ था वायरल

फरवरी माह की 27 तारीख को आपके अखबार रणभेरी ने एक स्टिंग के जरिये परिवहन विभाग के एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। जिसमें परिवहन विभाग के डीटीसी ए.के.सिंह द्वारा बनायी जा रही अवैध वसूली की योजना का आडियो (बात-चीत) एक ज़िंदा सबूत के रूप में प्रकाशित व प्रसारित किया था। रणभेरी की टीम को अपने स्पेशल स्टिंग आपरेशन के जरिये यह आडियों प्राप्त हुआ है जिसमे उप परिवहन आयुक्त (डीटीसी) ए.के.सिंह को बाकायदा अपने अधीनस्थ एआरटीओ चंदौली एस.पी.देव तथा सिपाही विपिन चौधरी के साथ अवैध कमाई बढ़ाने का मास्टर प्लान बनाते हुए सुना जा सकता है। डीटीसी ए.के.सिंह की बात-चीत का यह आडियों सरकार के बड़े-बड़े दावे को झूठा साबित कर रही है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ चाहे लाख नीतियाँ बनाते फिरे लेकिन परिवहन विभाग के भ्रष्ट व मक्कार अधिकारी ऐसी नीतियों को भी मात देकर आगे निकलते जा रहे हैं। 

हो जायेगी भ्रष्टाचार की पुष्टि इसलिए नहीं कराया जा रहा फोरेंशिक जांच 

डीटीसी ए.के.सिंह द्वारा बनायी जा रही अवैध वसूली की योजना का लगभग 5 मिनट का वायरल आडियो इस बात का पुख्ता सबूत है कि ए.के.सिंह की देख-रेख में ही पूर्वांचल के लगभग एक दर्जन जिलों में भ्रष्टाचार के जरिये न केवल परिवहन विभाग के अधिकारी करोड़ो रूपये की अवैध कमाई कर रहे है बल्कि सरकार को भी प्रति माह करोड़ो रूपये की राजस्व की क्षति पहुचाई जा रही है। ऐसे में यदि इस वायरल आडियो की फोरेंशिक जांच हो गयी तो निश्चित रूप से परिवहन विभाग में ए.के.सिंह की देख-रेख में फल-फूल रहे भ्रष्टाचार की पुष्टि हो जायेगी। 


शिकायतकर्ता के बयान पर भी विभागीय अधिकारी कर रहे हैं लीपापोती 

भ्रष्टाचार के इस अति गंभीर मामले पर इस खबर के लेखक द्वारा लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराई गयी है। इस मामले में संवैधानिक रूप से एंटी करप्शन विभाग, आईजीआरएस पोर्टल सहित प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं दर्जनों जिम्मेदार लोगों को साक्ष्य सहित पत्र भेजकर अवगत कराया गया है। परन्तु परिवहन विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बात-चीत के फारेंसिक जांच की मांग के सन्दर्भ में अपर परिवहन आयुक्त वी.के.सोनकिया द्वारा सरकार को गुमराह करने वाला जवाब भेजकर भ्रमित किया जा रहा है। वी.के.सोनकिया के जवाबी पत्रों से यह प्रतीत हो रहा है कि ये स्वयं डी.टी.सी. ए.के.सिंह को बचाने में लगे हुए हैं यही वजह है कि इनके द्वारा इस मामले में लीपा-पोती की जा रही है। 

आई जी आर एस पोर्टल पर दर्ज शिकायत के जवाब में लगा दी गयी झूठी रिपोर्ट

वायरल आडियो की फारेंसिक जांच के लिए आई जी आर एस पोर्टल पर दर्ज शिकायत के सन्दर्भ में अपर परिवहन आयुक्त वी.के.सोनकिया ने जो जवाब दिया है वह अत्यंत ही हास्यास्पद है। शासन को भेजे गए जवाबी रिपोर्ट में वी.के.सोनकिया का कथन है कि ‘प्रश्न गत शिकायत के संबंध में अवगत कराना है कि श्री अशोक कुमार सिंह उप परिवहन आयुक्त (परिक्षेत्र) वाराणसी एवं श्री एस.पी देव (यात्री) मालकर अधिकारी चंदौली का उत्तर प्राप्त हो गया है जिसमें उनके द्वारा आरोप से पूर्ण रूप से इनकार करते हुए सूचित किया गया है कि ऑडियो रिकॉर्डिंग में उनकी आवाज नहीं है।‘
यहाँ हैरत है इस बात पर हो रही है कि जिनपर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप है, वायरल आडियों में जिन अधिकारियों की आवाज होना बताया जा रहा है, सोनकिया साहब उन्ही से पूछ कर शासन को अपनी रिपोर्ट भेज रहे है कि ये आवाज़ उनकी नहीं है। जबकि इस मामले में उन्हें सीधे तौर पर आडियो क्लिप की फारेंसिक जांच हेतु सम्बंधित विभाग को लिखना चाहिए था। परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। क्योंकि अपर परिवहन आयुक्त उत्तर प्रदेश की मंशा भी इस मामले में संदिग्ध प्रतीत होती है।