अब चौराहों पर लगेंगी मिलावट खोरों की तस्वीर

अब चौराहों पर लगेंगी मिलावट खोरों की तस्वीर

वाराणसी (रणभेरी सं.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ह्यसामाजिक अपराधह्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि यह जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है, जिससे किसी भी प्रकार का समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। योगी ने कहा- मिलावटखोरी की शिकायत ह्यफूड सेफ्टी कनेक्टह्ण नाम के मोबाइल ऐप या टोल फ्री नंबर 18001805533 पर करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि राज्य सरकार की ह्यजीरो टॉलरेंसह्ण नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारी नेटवर्क और इस अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त और निर्णायक कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएं, ताकि जनता भी उन्हें पहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए। मुख्यमंत्री ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि तेल, घी, मसाले, दूध, पनीर जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की जांच यथासंभव उत्पादक इकाई पर ही की जाए। दूध और इससे बने उत्पादों की विशेष रूप से सघन जांच के लिए समर्पित टीमें बनाई जाएं जो लगातार निगरानी रखें। साथ ही पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर इस पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आमजन का स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के साथ होना चाहिए।

मंडलों में नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय बनाए गए

मुख्यमंत्री को बताया गया कि राज्य में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ है। पूर्व में कार्यरत छह प्रमुख मंडलों के अलावा अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिजार्पुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय स्थापित किए गए हैं। लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशाला भवनों का उच्चीकरण किया गया है। साथ ही, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जिनमें सूक्ष्मजीव, प्रोटोजोआ, विषाणु, जीवाणु, माइक्रोटॉक्सिन्स तथा अन्य रोगकारक जीवों की जांच संभव हो पाई है। लखनऊ और मेरठ में परीक्षण भी प्रारंभ हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के संचालन व रखरखाव हेतु एक ह्यकॉर्पस फंडह्ण स्थापित करने का सुझाव दिया। चिकित्सा उपकरण और औषधि विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश और रोजगार सृजन को लेकर भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि पिछले तीन वर्षों में 1,470 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं, जिससे 3,340 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है। औषधि निर्माण इकाइयों, मेडिकल डिवाइस निर्माण, रक्तकोषों और फुटकर औषधि विक्रेताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। फुटकर औषधि प्रतिष्ठानों में ही बीते तीन वर्षों में 65 हजार से अधिक नए रोजगार सृजित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एफएसडीए की संगठनात्मक क्षमता को सुदृढ़ किया जाए और इसके लिए रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।