बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में बाउंसरों की गुंडागर्दी कबतक !

बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में बाउंसरों की गुंडागर्दी कबतक !

मरीजों व तिमारदारों से आए-दिन हो रही मारपीट और बदसलूकी, जिम्मेदार मौन 

छात्र, प्रोफेसर और तीमारदार कर रहे विरोध, दर्जनों शिकायतें पहुँची थाने व अफसरों तक

वाराणसी (रणभेरी): काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय स्थित ट्रॉमा सेंटर में तैनात निजी बाउंसरों की दबंगई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इन बाउंसरों पर डॉक्टरों, प्रोफेसरों, छात्रों, मरीजों और तिमारदारों के साथ बदतमीजी और मारपीट के गंभीर आरोप लग रहे हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि अब पीड़ितों ने मंत्री, विधायक, पुलिस आयुक्त, डीसीपी, एसीपी सहित उच्च अधिकारियों तक लिखित शिकायतें भेजनी शुरू कर दी हैं। बीएचयू छात्र संगठनों और आम तीमारदारों की ओर से इन बाउंसरों को तत्काल हटाने की मांग की जा रही है। ताजा मामला 23 जून 2025 की रात का है, जब समाजवादी पार्टी से जुड़े छात्र सागर यादव बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे थे। वे एक गंभीर मरीज से मिलने इमरजेंसी वार्ड में जा रहे थे। 

उनके कंधे पर पार्टी का लाल गमछा रखा हुआ था। गेट पर तैनात बाउंसर ने उन्हें रोकते हुए पास दिखाने को कहा और इसी दौरान भाषा की मर्यादा लांघते हुए बदतमीजी शुरू कर दी। सागर यादव के साथ मौजूद छात्र नेता अमन यादव ने बताया कि बाउंसर ने लाल गमछा देखकर अभद्र टिप्पणी की और राजनीतिक पहचान का अपमान करते हुए धमकी दी कि गमछा खींचकर बाहर फेंक देंगे। यही नहीं, बाउंसर ने गमछा खींचने का भी प्रयास किया। अमन यादव ने कहा कि यह सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक गरिमा का भी अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाउंसरों की मनमानी अब सीमाएं लांघ चुकी है और इन पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है।

थाने में दी गई तहरीर, बड़ी संख्या में छात्र पहुंचे लंका थाना

इस घटना को लेकर सागर यादव व अमन यादव ने लंका थाने में तहरीर दी। उनके समर्थन में दर्जनों छात्र व स्थानीय लोग थाने पहुंचे और कड़ा विरोध दर्ज कराया। तहरीर में मांग की गई कि संबंधित बाउंसर की पहचान कर उस पर तत्काल कानूनी कार्रवाई हो। अमन यादव ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर जैसी संवेदनशील जगह पर तैनात कर्मियों से संयम और विनम्रता की उम्मीद की जाती है, लेकिन यहां गुंडागर्दी चरम पर है।

लगातार मिल रही हैं शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नदारद

ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत डॉक्टरों, प्रोफेसरों और मेडिकल छात्रों का भी कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। बाउंसरों की बदसलूकी की शिकायतें पहले भी कई बार संबंधित थाने व ट्रॉमा सेंटर प्रशासन को दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कई बार मरीजों के परिजनों से भी हाथापाई तक की नौबत आ चुकी है।