काशी में हुआ वेदमूर्ति महेश रेखे का ऐतिहासिक दंडक्रम पारायण

काशी में हुआ वेदमूर्ति महेश रेखे का ऐतिहासिक दंडक्रम पारायण
  • दो सौ वर्षाे बाद पहली बार हुआ सम्पूर्ण एकाकी कंठस्थ दण्डक्रम
  • सबसे कठिन माने जाने वाले इस दण्डक्रम पारायण को मात्र 50 दिनों में किया पूरा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी में दो सौ वर्षों बाद पहली बार शुक्ल यजुर्वेद की माध्यदिनी शाखा का सम्पूर्ण एकाकी कंठस्थ दण्डक्रम पारायण पूरा हुआ। काशी के रामघाट स्थित वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने कठोर अभ्यास और समर्पण से इसे पूर्ण किया। 12 अक्टूबर 2025 से शुरू हुई उनकी यह तपस्या 29 नवम्बर 2025 को समाप्त हुई। भारत कला भवन बीएचयू के कलाविद् डॉ. राधाकृष्ण गणेशन के मुताबिक यह जो दण्डक्रम पारायण हुआ है। भारतवर्ष के इतिहास में तीन बार ही यह पारायण प्राप्त होता है। जिसमें सर्वप्रथम 200 वर्ष पूर्व, नासिक-महाराष्ट्र के वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने 100 दिनों में यह दण्डक्रम पारायण पूर्ण किया था। इसके पश्चात हाल में ही दो वर्ष पूर्व तमिलनाडु में ऋग्वेद का दण्डक्रम पारायण हुआ जो कि समिष्टी पारायण था। जिसमें 10 लोगों ने मिल कर 300 दिनों में इस दण्डक्रम पारायण को सम्पन्न किया था। वेदपाठ की आठ विधाओं में सबसे कठिन माने जाने वाले इस दण्डक्रम पारायण को युवा वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे घनपाठी ने मात्र 50 दिनों में इसे पूर्ण किया। वे बताते हैं कि इस दण्डक्रम पारायण का अवलोकन व श्रवण करके उनका जीवन धन्य हो गया। काशी ने एक एतिहासिक और दिव्य क्षण का आनंद अनुभव किया। ऐसा क्षण जिसे सनातन समाज में सर्वत्र प्रचारित किया जाना चाहिए। 
दण्डक्रम पारायण विधि
शुक्ल यजुर्वेद की माध्यदिनी शाखा के करीब 2000 मत्रों को दण्डक्रम पारायण कहते हैं। दंडक्रम  पारायण में पदों का विशिष्ट स्वर शैली में सीधा और उल्टा पाठ एक साथ किया जाता है। जैसे हम सीधी व उल्टी गिनती गिनते हैं। इसमं एक करोड़ से अधिक शब्द राशि समाहित होती है। इस पारायण पर प्रकाश डालते हुए वैदिक विद्वान पं. चन्द्रशेखर द्रविड़ ने बताया कि दण्डक्रम अष्टविकृति हमारे यहां बतायी गई है। जिसके अन्तर्गत जटा, माला, शिखा, रेखा, ध्वज,दण्ड, रथ और धन बताया गया। जिसकी एक विकृति दण्ड की दण्डक्रम है। जिसका पारायण यहां किया गया। महाराष्ट्र के अहिल्या नगर निवासी वेद ब्रह्मश्री महेश चंद्रकांत रेखे के पुत्र वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे  मात्र 19 साल के हैं। वह काशी के रामघाट स्थित सांगवेद विद्यालय में अध्ययनरत हैं।

शृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने एक लाख व स्वर्ण कंगन भेंट की

वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे  को इस पावन क्षण में डा. दिव्य चेतन ब्रह्मचारी गुरुजी की पावन उपस्थिति में चांदी की हनुमान चालीसा, प्रभु श्रीराम का दिव्य विग्रह, मां भगवती के प्रसाद स्वरूप चंदन, इत्र समर्पित कर उन्हें मंगल आशीर्वाद दिया गया। गत दिनों दण्डक्रम पारायण की पूर्णाहुति के बाद उन्हें शृंगेरी मठ शंकराचार्य ने सम्मान स्वरूप सोने का कंगन और लगभग एक लाख रुपये की राशि प्रदान की। 


पीएम मोदी व  सीएम योगी ने की प्रशंसा

उनकी तपस्या को देख कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 19 साल के देवव्रत रेखे ने जो किया है उसे पीढ़ियां याद रखेंगी।वे हमारी गुरु परम्परा के सबसे अच्छे उदाहरण हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके इस कार्य की सराहना की और उन्हें सम्मानित किया।