G-20 सम्मेलन का समापन: कृषि वैज्ञानिकों ने नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स की बताई जरूरत

G-20 सम्मेलन का समापन: कृषि वैज्ञानिकों ने नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स की बताई जरूरत

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में G-20 के 100वीं कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की तीन दिवसीय बैठक का बुधवार को समापन हो गया। सम्मेलन में शामिल सभी देशों के कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि खाद्य प्रणाली में परिवर्तन के लिए नवाचार और तकनीकी, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स, पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए खाद्य फसलों में बायोफोर्टिफिकेशन, पोषण और ब्लू क्रांति के लिए उष्णकटिबंधीय समुद्री शैवाल की खेती, अन्न के उत्पादन एवं पोषण के लिए प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि), पर एक दृष्टि बनाए रखने के साथ इनपर ही काम करने के लिए नियम बनाने एक साझेदारी के साथ कार्य करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक हिमांशु पाठक, सचिव संजय गर्ग ने बताया कि तीन दिनों तक जो चर्चाएं हुई हैं, उससे निश्चित तौर पर देश नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर कृषि अनुसंधान, उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। नदेसर स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि बताया कि कृषि वैज्ञानिकों का 100वां सम्मेलन बहुत ही ऐतिहासिक रहा। जी-20 में शामिल जो भी देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं, उन्होंने भारत की ओर से मोटे अनाज के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। अब इस दिशा में अनुसंधान सहित अन्य कार्यक्रम कराए जाने की रूपरेखा तैयार कराई जा रही है। आने वाले कुछ महीनों के भीतर पूरी जानकारी दी जाएगी। जी-20 सम्मेलन में भाग लेने आए मेहमानों ने अंतिम दिन टीएफसी बड़ालालपुर जाकर वहां लगी कृषि आधारित प्रदर्शनी को भी देखा। यहां उन्हें कृषि विकास की झलक देखने को मिली। इसमें कृषि उत्पाद, बेहतर उपज की कार्यप्रणाली, खेती-किसानी से जुड़ी अन्य जानकारियां भी दी गई। कार्यक्रम स्थल पर ही मेहमानों को श्री अन्न के व्यंजनों को बनाने की विधि दिखाई गई।

इस तीन दिवसीय बैठक में फॉरेन के डिलेगेट्स ने भारत की विरासत में मिली समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिकता को न केवल आखों से देखा हैं बल्कि उसे अनुभव किया है। बनारस में विदेशी अतिथियों के लिए सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे। योगी सरकार ने आवगमन पर व्यापक व्यवस्था का आदेश दिया था। अतिथियों को कार्यकारी बैठक के बाद प्रतिदिन भारतीय संस्कृति, कला और धरोहरों से रूबरू कराने के लिए भी ले जाया जाता था। तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल अतिथि काशी में ठहरने की व्यवस्था, स्वागत के साथ ही यहां घाट, गंगा आरती और सारनाथ में लाइट एंड साउंड देख अभिभूत हुए। अंतिम दिन समापन समारोह में उन्होंने इसकी सराहना भी की। भारत में दिसंबर 2022 से शुरू होकर नवंबर 2023 तक चलने वाले जी-20 सम्मेलन से जुड़ा एक और कार्यक्रम आगामी दिनों में काशी में कराया जाना है। अब इसकी तैयारियां भी तेज हो गई हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिमांशु पाठक ने बताया कि अब जी-20 का अगला सम्मेलन ब्राजील में होगा। इसमें भी कृषि वैज्ञानिक जुटेंगे और कृषि की तकनीक सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा होगी।