चाहीं अइसन सरकार जे दे सके रोजगार 

चाहीं अइसन सरकार जे दे सके रोजगार 

*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
*मोदी जी भले ही बनारस से जीत जाए लेकिन पूर्वांचल में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। पूर्वांचल के मिजार्पुर, भदोही, चंदौली,गाजीपुर, आजमगढ़ में इस बार बयार उल्टी बह रही है।|

- रामयश मिश्रा

वाराणसी (रणभेरी)। लोकसभा चुनाव लगभग अपने अंतिम दौर में है। प्रधानमंत्री की संसदीय सीट वाराणसी पर अंतिम और सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है। चुनावी चर्चा के बाजार में अब चट्टी से लेकर चौराहा तक गांव की चौपालो से शहर की अड़ियों तक बस एक ही चर्चा है ...के जीती, के हारी....? और इस चर्चा में भी सबसे बड़ी चर्चा इस बात की हो रही है कि 400  पार होई कि नाहीं। चुनावी बयार के बीच चाय वालों की नब्ज टटोलने निकली रणभेरी की टीम आज सुबह अस्सी के महेश यादव उर्फ कल्लू की अड़ी पर पहुची। आपके पसंदीदा अखबार रणभेरी ने कल्लू चाय वाले से इस चुनाव के माहौल पर सवाल छेड़ा। सवाल चाय वाले कल्लू से था लेकिन कल्लू के कुछ कहने से पहले ही दूसरों के फटे में अपनी घुसाने की आदत से लाचार अपने मुंह में पान घुलाये हेमंत त्रिपाठी उर्फ हंडी गुरु ने छपाक से पान थूकते हुये कल्लू को एक पुरवा चाय के लिए आवाज लगा दिया और फिर रणभेरी की टीम की ओर मुखातिब होते हुये बोले..आपन बनारस क सीट बचा ले एही बहुत हौ,  मोदी जी क 400 पार क सपना पुरा न होई। पूर्वांचल में ओनकर हवा खराब हौ, इतने में बगल में चाय पी रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धर्म विज्ञान संकाय के प्रकांड विद्वान पंडित विश्वनाथ पांडे कूद पड़े और बोले सवेरे-सवेरे काहे गर्मा रहे है हंडी गुरु, इस बार मोदी जी 400 पार होइये।  भगवान राम और बाबा विश्वनाथ मोदी जी के साथ हैं। तब से बगल में बैठे आसि के युवा व्यवसायी विनय यादव तमतमाते हुए बोल पड़े कि मोदी एदा बारी नाहीं जीतीहे। बनारस में रहने वालों का घर उजाड़ रहे है। पहिले क राजा महाराजा काशी में मठ-मंदिर बनावत रहलन लेकिन मोदी जी लोगन क मकान-दूकान तोड़वाकर ऊपर कॉरिडोर बनावत हऊअन। ए पारी ओनकर हवा खराब हव, तबे त ऊ बार-बार बनारस आवत हऊअन और हनुमान जी के शरण में भी जाकर गुहार लगावत हऊअन। चर्चा के दौरान बगल में चाय की चुस्की ले रहे अस्सी के युवा तुर्क फायर ब्रांड नेता एवं समाजसेवी राजू शर्मा उर्फ राजू गुरु भी बोलने से खुद को रोक न सकें और कहने लगे सुना अबकी बार राहुल और प्रियंका क हवा टाइट हव और साथ में डिंपल भाभी भी आवत हईन। ये पारी बनारस में परिवर्तन होकर रही। वहीं बड़े खामोशी के साथ सबकी बातों को सुन रहे अस्सी निवासी विश्वनाथ यादव उर्फ छेदी भी अपनी बात कहने से खुद को रोक न सके और कहने लगे कि मोदी जी क हवा ए पारी बहुत खराब हौ, तबे संकट मोचन हनुमान जी के शरण में गइल रहलन। उनके रोड शो में भी बहरी लोग बहुत अधिक रहलन....स्थानीय लोग त बहुत कम रहलन । वहीं इस चर्चा में मशगूल लोगों को खामोशी से चाय पिला रहे दुकानदार महेश यादव उर्फ कल्लू की राय जानने की कोशिश कि गयी तो पहले तो कल्लू ने कुछ भी बोलने से इनकार किया। लेकिन थोड़ा कुरेदने पर कहा कि हम रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले लोग हैं। हमको तो ऐसी सरकार चाहिए जो स्थायी रोजगार दे सके।  कल्लू चाय वाले ने जिस गंभीरता से अपने मन की बात कही उसका अंदाजा उस अड़ी पर मौजूद किसी व्यक्ति को नहीं था। कल्लू ने कहा कि सरकार उसी की बने जो युवाओं को नौकरी और किसानों को उनका उचित हक दे सके और शिक्षा-स्वास्थ्य की सही व्यवस्था हो और बेघर लोगों को मकान मिल सके। हम जैसे मेहनतकश लोगों का एक ही मकसद रहता है की मेहनत करके दो रोटी का इंतजाम हो सके और अगर सरकार बढ़िया रही तो हम लोग का भी विकास होगा। समाज आगे बढ़ेगा और देश की उन्नति होगी। अब देश जात-पात धर्म से ऊपर उठ रहा है इसलिए सभी का प्रयास हो कि पहले वह इंसान बने उसके बाद किसी पार्टी के नेता। कल्लू की अड़ी पर चाय के बहाने चली रणभेरी की टीम के साथ हुई इन तमाम चचार्ओं के बीच यही बात समझ में आई कि मोदी जी भले ही बनारस से जीत जाए लेकिन पूर्वांचल में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। पूर्वांचल के मिजार्पुर, भदोही, चंदौली,गाजीपुर, आजमगढ़ में इस बार बयार उल्टी बह रही है और यही वजह है कि पीएम मोदी बार-बार पूर्वांचल में रैली-जनसभा करके लोगों को साध रहे हैं।

*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग! -कुमार अजय