आयुक्त महोदय ! जरा गौर फरमाइए....विकास प्राधिकरण ने ही जारी किया ध्वस्तीकरण का आदेश... फिर भी धड़ल्ले से हो रहा निर्माण

मुख्यमंत्री की नीतियों को तार तार कर हैं वीसी पुलकित गर्ग
किसान और कब्रिस्तान की जमीन पर दबंगों ने बना दिया जबरिया 16 फ्लैट
अवैध इमारत के ध्वस्तीकरण का कागजों पर जारी हो चुका है आदेश
ध्वस्तीकरण आदेश के बावजूद पर्दे की आड़ में पूरा हो रहा निर्माण
जीरो टोलरेंस नीति की पोल खोल रही है बृजइन्क्लेव में खड़ी इमारत
बिना मानचित्र के सद्दाम और अल्ताफ ने तैयार कराया 4 मंजिला इमारत
अजीत सिंह
कमिश्नर साहब,
जिसने आदेश दिया था, उसी ने आंख मूंद ली। और जिसने निर्माण किया, वो अब सिस्टम को आंखें दिखा रहा है। ... कमिश्नर साहब, काशी में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करते हैं, तब जनता को उम्मीद होती है कि कानून का राज होगा, प्रशासन चुस्त होगा और भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार होगा। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि उस नीति की लाशें शहर की गलियों से लेकर घाटों तक में बिखरी पड़ी हैं। कमिश्नर साहब, आप वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) बोर्ड के अध्यक्ष हैं। जाहिर है, आपसे उम्मीद भी सबसे बड़ी है। आपके संज्ञान में यह बात लाई जा रही है कि बृजइन्क्लेव नामक कॉलोनी, जो वाराणसी के तेजी से उभरते इलाकों में गिनी जाती है, आजकल अवैध निर्माण और प्रशासनिक सड़ांध का पर्याय बन चुकी है। इसी कॉलोनी में सद्दाम हुसैन और अल्ताफ अंसारी नाम के दो भाईयों ने एक किसान की निजी कृषि भूमि पर जबरिया 16 फ्लैट्स की बहुमंजिÞला इमारत खड़ी कर दी। चौंकाने वाली बात यह नहीं कि यह निर्माण पूरी तरह अवैध है, बल्कि यह कि इस इमारत को ध्वस्त करने का आदेश औपचारिक रूप से वीडीए द्वारा जारी किया जा चुका था। मगर अफसोस, वह आदेश सिर्फ फाइलों में कैद होकर रह गया। स्थानीय नागरिकों की शिकायतें, मीडिया की खबरें और जनदबाव के बावजूद निर्माण कार्य बेरोकटोक जारी रहा। हर दिन यह उम्मीद थी कि अब तो कार्रवाई होगी, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अफसरों की आंखों पर वीसी साहब के ह्यमर्जी की पट्टीह्ण बांध दी गई। कहा जा रहा है कि जब जोनल अधिकारी कार्रवाई के लिए आगे बढ़े, तब खुद विकास प्राधिकरण के वीसी साहब ने उन्हें पीछे खींच लिया। अब ऐसे में एक जोनल अधिकारी क्या कर सकता है जब उसके ऊपर बैठा अफसर ही अवैध निर्माण का संरक्षक बना हो ? कमिश्नर साहब, काशी की जनता आपको एक ईमानदार, संवेदनशील और न्यायप्रिय अफसर के रूप में देखती है। लेकिन आज उसी जनता की उम्मीदें टूट रही हैं, क्योंकि आपके नेतृत्व में काम करने वाला विकास प्राधिकरण अब दबंगों और धन्नासेठों के इशारों पर चल रहा है।आपसे काशी कि जनता चाहती है कि आप इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराएं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। कमिश्नर साहब..! काशी की आत्मा, उसकी विरासत और आमजन की आस्था अब आपके कर्तव्यनिष्ठा का इंतजार कर रही है। आशा है आपकी नजर अब इस अंधे सिस्टम में रोशनी बनकर उतरेगी।
ब्रिज इन्क्लेव में खड़ी है जीरो टोलरेंस की पोल खोलती अवैध इमारत
सुंदरपुर के बृजइन्क्लेव इलाके में खड़ी एक बहुमंजिला इमारत न सिर्फ कानून का मजाक बना रही है, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस नीति की भी खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। इस इमारत का निर्माण भूमाफिया प्रवृत्ति के दो भाईयों सद्दाम हुसैन एवं अल्ताफ अंसारी ने कराया है, जिस पर पहले से ही फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार कराने और अवैध निर्माण जैसे गंभीर आरोप हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस निर्माण को वीडीए ने खुद ध्वस्तीकरण का आदेश दिया और नियमत: उसे ढहाया जाना था, वह निर्माण आज भी बेधड़क जारी है। स्थानीय लोग कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह मौन है। सद्दाम का रसूख इतना मजबूत है कि वीसी पुलकित गर्ग को अपने ओहदे में लेकर धड़ल्ले से बेखौफ होकर निर्माण करवा रहा है। भले मुख्यमंत्री ने कई बार सार्वजनिक मंचों से अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ब्रिज इन्क्लेव की यह इमारत एक सबूत है कि किस तरह सत्ता और सिस्टम की मिलीभगत से अपराधी बेखौफ हैं।
धन्नासेठों के अवैध निर्माण के लिए जर्रे-जर्रे की बोली लगाई है वीसी पुलकित गर्ग ने
वाराणसी में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने शहर को धन्नासेठों के हवाले कर दिया है। गंगा किनारे से लेकर रिहायशी इलाकों तक, हर चप्पे-चप्पे की जमीन पर धन्नासेठों को अवैध निर्माण की खुली छूट मिल गई है। नियमों और कानूनों की परवाह किए बिना बहुमंजिला इमारतें, होटल, डुप्लेक्स और कमर्शियल काम्प्लेक्स धड़ल्ले से खड़े किए जा रहे हैं। शहर की नाजुक आबोहवा, विरासत और धार्मिक पहचान से जुड़ी जमीनें भी अब बोली पर चढ़ा दी गई हैं। सूत्रों के अनुसार, वीसी पुलकित गर्ग की शह और संरक्षण में करोड़ों के लेन-देन के बदले निर्माण नक्शा स्वीकृति, अवैध निर्माण पर चुप्पी और नोटिस की खानापूर्ति हो रही है। शिकायतों पर कार्रवाई के नाम पर केवल रस्मअदायगी की जाती है। जहां गरीबों के छोटे निर्माण पर बुलडोजर चल जाता है, वहीं बड़े व्यापारियों के होटल और बहुमंजिला इमारतों पर वीसी की चुप्पी पूरे सिस्टम की नीयत पर सवाल खड़ा कर रही है। जनता पूछ रही है...क्या विकास प्राधिकरण अब भ्रष्टाचार प्राधिकरण बन चुका है ? क्या वीसी पुलकित गर्ग सिर्फ धन्नासेठों के लिए काम कर रहे हैं ? धन्नासेठों का अवैध निर्माण भले ही ध्वस्त न हो लेकिन ये कड़वा सत्य है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के दावे ध्वस्त हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री के नीतियों को मिट्टी में मिला रहे पुलकित गर्ग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करते हैं। भ्रष्टाचार, अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ उनकी सख्त नीति हर मंच पर दोहराई जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है, खासकर वाराणसी विकास प्राधिकरण में। वीसी पुलकित गर्ग के कार्यकाल में अवैध निमार्णों की बाढ़ सी आ गई है। गंगा किनारे से लेकर भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों में बिना नक्शा पास कराए बहुमंजिÞला इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निदेर्शों की सरेआम अवहेलना की जा रही है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है। कहीं सिर्फ पाईट उखाड़ दिए जाते हैं, तो कहीं नोटिस देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। कहीं ध्वस्तीकरण के आदेश के बावजूद भी पर्दे की आड़ में निर्माण चलता रहता है। मुख्यमंत्री की साख और जनविश्वास को सबसे ज्यादा चोट तब पहुंचती है, जब उनके ही नियुक्त अधिकारी कानून को ताक पर रखकर भू-माफियाओं को खुली छूट देते हैं। पुलकित गर्ग की कार्यप्रणाली यही संकेत देती है कि मुख्यमंत्री की नीतियां सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। बृज इंक्लेव में खड़ी सद्दाम की इमारत वीसी साहब के भूमाफिया के साथ गठजोड़ का जीता जागता उदाहरण है।
कागजों में ध्वस्तीकरण, जमीन पर निर्माण...वीसी के संरक्षण में फल-फूल रही है अवैध इमारत
वाराणसी में कानून अब सिर्फ कागजों की जुबान बोलने लगा है। अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई के आदेश केवल फाइलों तक सीमित रह जाते हैं, जबकि जमीन पर इन इमारतों की ऊंचाई और भी तेजी से बढ़ जाती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन इमारतों को ध्वस्त करने के आदेश विकास प्राधिकरण ने स्वयं जारी किए हैं, उन्हीं के निर्माण को अब पर्दे के पीछे से वीसी पुलकित गर्ग का संरक्षण प्राप्त होता जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ध्वस्तीकरण आदेश केवल दिखावे के लिए जारी किया जाता है ताकि कोर्ट और सरकार को जवाब दिया जा सके। असलियत यह है कि जमीनी स्तर पर न तो जेसीबी पहुंचती है, न ही कोई सीलिंग की कार्रवाई होती है। विभागीय नोटिस के खेल के बाद उल्टा, निर्माण कार्य दिन-रात तेजी से कराया जाता है। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक नाकामी का उदाहरण है, बल्कि यह साबित करती है कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आगे कानून भी लाचार है। जनता सवाल कर रही है..जब आदेश के बावजूद अवैध निर्माण नहीं रुक सकता, तो फिर न्याय की उम्मीद किससे करें ?
पार्ट 46
रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए...
अवैध रहस्यमयी आश्रम पर भी वीडीए हुआ मेहरबान।