बंद कमरों में जिस्म बिक जाता है!

 बंद कमरों में जिस्म बिक जाता है!

'खुशबू बिखेरती पगडंडियाँ' के बाद मार्गेश राय (मार्गदर्शन) अपने पाठकों के लिए 'शरबती ज़िंदगी' के साथ वापसी कर रहे हैं। कवि के बारे में सबसे खास बात यह है कि ये कम लिखते हैं लेकिन बेवजह नहीं लिखते और जब कलम उठाते हैं तो अपनी रचनाओं के माध्यम से सभी वर्ग के लोगों के दिलों पर राज करते हैं।


इस काव्य-संग्रह में मौजूद तमाम कविताओं को पढ़कर ये कहा जा सकता है कि सामाजिक कुरीतियों से कवि भली-भाँति परिचित हैं और प्रकृति के भी बेहद करीब रहे हैं। 'बंद कमरों में जिस्म बिक जाता है,' कविता की ये पंक्तियाँ इनके साहित्यिक स्तर से आपको रुबरु करा देंगी--

यहाँ ख्याति भी बिकती है
पुरस्कार भी बिकता है,
प्रतिस्पर्धा के इस मौजूदा दौर में,
लोगों का ईमान भी बिकता है,
सौदागरों की नगरी में,
ज़मीर भी बिक जाता है
जीवन के शतरंज में,
वज़ीर भी बिक जाता है।
जिस्म के तलबगारों की
यहाँ रातें रंगीन हैं,
खुले सड़कों पर कपड़े बिकते हैं,
बंद कमरों में जिस्म बिक जाता है।


अगर आप अच्छा, समृद्ध साहित्य पढ़ना चाहते हैं जो आपको कालजयी रचनाओं की याद दिला दे, आपका मार्गदर्शन करे और आपको सकारात्मकता के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, तो आप अपनी मंज़िल से कुछ कदम दूर हैं। मार्गेश राय (मार्गदर्शन) की पुस्तक 'शरबती ज़िंदगी' आप अमेजन या फ्ल‍िपकार्ट से खरीद सकते हैं। 

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