अवैध रहस्यमयी आश्रम पर भी वीडीए हुआ मेहरबान

वीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से बना रहस्यमयी आश्रम
मानक व स्वीकृत मानचित्र के विपरीत जाकर खड़ी हो गई इमारत
इस अवैध रहस्यमयी आश्रम को लेकर चल रहा है विवाद
अवैध रहस्यमयी आश्रम पर कथित बाबा संजय सिंह का है कब्जा
आईजीआरएस की शिकायत में वीडीए ने नहीं दिया संतोष जनक जवाब
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिस काशी को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है, उस शहर की आत्मा को दिन-ब-दिन निगलते जा रहे हैं वाराणसी विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अफसर। विकास की आड़ में बबार्दी का खेल जारी है। जिस प्राधिकरण पर शहर के समुचित विकास और निर्माण पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी है, वही अब दलालों की भाषा बोल रहा है और बिल्डरों का एजेंट बन बैठा है। वाराणसी के हर कोने से...नगवा, भेलूपुर, अस्सी, लंका, रथयात्रा, सोनिया, नदेसर, अर्दली बाजार, रामघाट, मंडुआडीह, सामनेघाट, रामनगर, शिवपुर से लेकर गंगा किनारे तक अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं। न मानचित्र स्वीकृति, न भू-उपयोग परिवर्तन, न ही सुरक्षा मानकों का पालन। फिर भी बहुमंजिÞला इमारतें खड़ी हो रही हैं और वीसी से लेकर जोनल अफसर तक आँख मूंदे बैठे हैं। बल्कि सच यह है कि इन अफसरों ने अवैध निर्माण रोकने के बजाय अब उसे बनवाने का ठेका लेने का सिस्टम लांच कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अवैध निमार्णों पर कार्रवाई के लिए जारी आदेश महज कागजों तक सीमित हैं। वीडीए के अधिकारी उन आदेशों को जेब में रखकर बिल्डरों से सौदेबाजी में लगे हैं। एक तरफ गंगा किनारे धार्मिक विरासत मिटाई जा रही है, तो दूसरी ओर दलालों और माफियाओं की पैठ इतनी गहरी हो चुकी है कि न्यायालय के आदेश भी ठोकर खा रहे हैं। आश्चर्यजनक यह है कि वीडीए के पास शिकायतों की भरमार है, लेकिन कार्रवाई नाम मात्र की। जिन निमार्णों पर रोक के आदेश हैं, वहीं पर सबसे तेज काम चलता है। जिन इमारतों को गिराना है, वहां भी पर्दे की आड़ में धड़ल्ले से निर्माण कार्य पूरा किया जा रहा। आम जनता ठगी हुई है और प्रशासन सोया हुआ। काशी की आत्मा, उसकी गलियाँ, घाट और ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित रखने की बात करने वाले नेता और अफसर, आज विकास के नाम पर विनाश की इबारत लिख रहे हैं। अगर यही हाल रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब काशी एक हेरिटेज सिटी से भ्रष्टाचार और अनियंत्रित निमार्णों की मिसाल बनकर रह जाएगी।
शहर में चप्पे-चप्पे के अवैध निर्माण का ठेकेदार बना वीडीए
वाराणसी जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक शहर में नियम-कानून अब कागजी दस्तावेज बनकर रह गए हैं। शहर के हर मोहल्ले, हर गली, हर चौराहे पर अवैध निर्माण खुलेआम हो रहा है और वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) आंख मूंदे बैठा है। सबसे हैरानी की बात ये है कि इस अवैध निर्माण के खेल का सबसे बड़ा ठेकेदार खुद वीडीए का शीर्ष अधिकारी...उपाध्यक्ष (वीसी) बन गए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति को धत्ता बताते हुए वीसी साहब नियमों की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं। चाहे गंगा के किनारे हो, धन्नासेठों का रिहायशी इलाकों में व्यावसायिक निर्माण हो या फिर धार्मिक स्थलों के पास होटल और अपार्टमेंट खड़े किए जा रहे हों, सब कुछ वीसी साहब की मौन स्वीकृति से ही संभव हो रहा है। स्थानीय जनता शिकायत करती है, कोर्ट के आदेश आते हैं, मीडिया सवाल उठाती है, मगर वीडीए की जमीन पर मानो भ्रष्टाचार का सीमेंट इतना मजबूत हो चुका है कि कोई असर ही नहीं होता। खबरें हैं कि रसूखदारों के मनचाहे नक्शे पास कराने, अवैध निर्माण पर आंख मूंदने और कार्रवाई से बचाने के लिए मोटी रकम का लेनदेन तय है। सूत्रों के मुताबिक कई ऐसे भवन खड़े हो चुके हैं जिनकी फाइलें वीडीए के रिकॉर्ड में ही नहीं हैं। अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री के आदेशों को सिर्फ भाषणों और समीक्षा बैठकों तक सीमित रखा गया है ? क्या वाराणसी में विकास की आड़ में भ्रष्टाचार को ही विकास समझ लिया गया है ? जब शहर का संरक्षक ही भू-माफियाओं का सहयोगी बन जाए, तो आम जनता कहां जाएगी ?
शिवपुर के लक्ष्मणपुर मोहल्ले में आश्रम नहीं अराजकता का अड्डा खड़ा है !
वाराणसी के शिवपुर स्थित लक्ष्मणपुर मोहल्ले में एक रहस्यमयी ढांचे ने शासन और कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। धार्मिक आस्था की आड़ में बना यह ढांचा स्वीकृत मानचित्र के विपरीत है। जिस जगह पर कथित आश्रम रूपी यह रहस्यमयी इमारत खड़ी है, उस भूमि के न उपयोग की अनुमति प्राप्त है और न ही इस पर वैध निर्माण की कोई इजाजत फिर भी यह आज एक आश्रम के रूप में खड़ा है। असलियत इससे कहीं ज्यादा स्याह और खतरनाक है। यह कोई आध्यात्मिक केंद्र नहीं, बल्कि विवादित तथाकथित बाबा संजय सिंह का निजी ठिकाना है। इस अवैध निर्माण को वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) के भ्रष्ट अधिकारियों की खुली सरपरस्ती हासिल है। अधिकारियों ने न केवल नियमों को ताक पर रखा, बल्कि शिकायतों पर जानबूझकर चुप्पी साध ली। स्थानीय नागरिकों ने जब-जब आवाज उठाई, तब-तब उन्हें नजरअंदाज किया गया। यह ढांचा भ्रष्टाचार की ईंटों पर खड़ा किया गया है। हर दीवार, हर छत सिस्टम की सड़ांध की गवाही देती है। आश्रम की आड़ में यहां कानून को धता बताया गया, धार्मिक आस्था का अपमान किया गया और एक संगठित अपराध को वैधता का जामा पहनाया गया। यह निर्माण सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि एक खतरनाक उदाहरण है कि कैसे सत्ता, धर्म और भ्रष्टाचार मिलकर लोकतंत्र के मूल्यों की हत्या करते हैं। संजय सिंह का यह कथित आश्रम, दरअसल शासन की नाक के नीचे पनपा अराजकता का दुर्ग है, जहां साधना नहीं, सत्ता के संरक्षण में धोखा पनपता है।
मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति को ठेंगा दिखाते वीडीए के भ्रष्ट अफसर
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति मजाक बनकर रह गई है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के अफसर खुलेआम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और अवैध निर्माण को संरक्षण दे रहे हैं। जिन अधिकारियों को नियम लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है, वही नियमों को जेब में रखकर पैसे के दम पर जमीन, नक्शा और निर्माण का धंधा चला रहे हैं। मुख्यमंत्री के कई बार स्पष्ट निदेर्शों के बावजूद वीडीए के अफसरों की मनमानी पर कोई लगाम नहीं लगाई जा सकी है। एक तरफ प्रदेश में शासन की सख्ती और पारदर्शिता की बात होती है, वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत यह है कि बिना घूस दिए नक्शा पास नहीं होता और बिना राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण के कोई भी निर्माण नहीं होता। वीडीए के कुछ अफसरों ने अपने पद को कमाई का जरिया बना लिया है। सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ कागजों पर है ? आखिर इन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती ? जनता जानना चाहती है कि नियम तोड़ने वालों को बचाने वाला कौन है ?
सिस्टम को चकमा देने में माहिर है संजय सिंह
संजय सिंह एक धूर्त और चालाक किस्म का व्यक्ति है, जो खुद को दबंग की तरह पेश करता है लेकिन असल में सिस्टम को चकमा देने में माहिर है। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के रिकॉर्ड में उसका मकान जी प्लस टू यानी दो मंजिल दर्ज है, जबकि हकीकत में वह चार मंजिला है। अलग-अलग दस्तावेजों और बयानों में मकान की स्थिति अलग-अलग दर्शाई गई है। एक मुकदमे में उसकी पत्नी ने मकान में 15 कमरों का जिक्र किया, वहीं पुलिस को दिए बयान में 24 कमरे बताए। रेंट एग्रीमेंट में सिर्फ दो मंजिल का उल्लेख है। पूरा भवन किराए पर चल रहा है और पूरी तरह व्यवसायिक उपयोग में है, जबकि कागजों में इसे आवासीय बताया गया है। यह सब सिर्फ टैक्स बचाने और कानून को धोखा देने के लिए किया गया। संजय सिंह ने एक ही मकान के बारे में अलग-अलग मंचों पर भिन्न-भिन्न जानकारियां देकर न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि भ्रष्टाचार की पोल भी खोल दी। इसके बावजूद वीडीए के अधिकारी पूरी तरह चुप्पी साधे बैठे हैं, मानो उन्हें सब कुछ दिखते हुए भी कुछ दिखाई नहीं देता।
जोनल अधिकारी शिवा जी मिश्रा का आडियो हुआ था वायरल
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के जोन-1 के जोनल अधिकारी शिवा जी मिश्रा का कुछ दिन पहले ही एक आॅडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह स्पष्ट रूप से कहते सुने जा रहे हैं, ह्लहम डील नहीं कर पाए... सचिव नहीं लेते, अपर सचिव नहीं लेते, कौन नहीं लेता ? नोटिस के बाद हमने डील का प्रयास किया था। यह आॅडियो प्रशासनिक सिस्टम में गहरे जमे भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। इसमें यह भी झलकता है कि कैसे नोटिस जारी करने के बाद डील की कोशिश की जाती है। सवाल यह उठता है कि जब एक अधिकारी खुद यह स्वीकार कर रहा है कि वह घूस की डील में शामिल होने की कोशिश कर रहा था, तो उस पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? अब देखना होगा कि शिवा जी मिश्रा इस बार बाबा संजय सिंह के अवैध मकान के साथ डील करते हैं या फिर कार्रवाई की हिम्मत जुटा पाते हैं !
कब्जा गिरोह का सरगना बना बाबा संजय सिंह
वह व्यक्ति जिसे बाबा कहकर धार्मिक आस्था का प्रतीक बनाया गया है, दरअसल एक संगठित अपराधी गिरोह का सरगना बन चुका है। संजय सिंह नामक यह तथाकथित बाबा धार्मिक वस्त्रों में छिपकर जमीन कब्जाने, सरकारी संपत्तियों पर अवैध निर्माण और महिलाओं के यौन उत्पीड़न जैसे संगीन आरोपों से घिरा है। उसके खिलाफ कई बार स्थानीय लोगों ने लिखित शिकायतें दीं, लेकिन हर बार कार्रवाई की जगह जवाब आया...जांच जारी है। सवाल ये है कि आखिर ये जांच कब पूरी होगी ? क्या यह वही जांच है जो सालों से फाइलों में दबाकर रखी गई है ? वीडीए और पुलिस प्रशासन की चुप्पी क्या इस बात का संकेत नहीं कि संजय सिंह को सत्ता संरक्षण प्राप्त है ? जिन जमीनों पर गरीबों के लिए अस्पताल, स्कूल या सामुदायिक केंद्र बन सकते थे, वहां आज अवैध निर्माण और निजी संपत्तियां खड़ी हैं और इन सबके पीछे है बाबा का भूमाफियाओं जैसा नेटवर्क। धार्मिक आड़ में फैल रहे इस संगठित अपराध पर अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह चुप्पी सिर्फ प्रशासन की नाकामी नहीं, बल्कि उसकी मिलीभगत को भी उजागर करेगी।
प्रतीकात्मक तस्वीर
पार्ट 47
रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए...
भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबकर "विकास" की इबारत लिख रहा वीडीए