देशभर में फैला टैक्स फ्रॉड नेटवर्क: लखनऊ- मुजफ्फरनगर गैंग ने 144 फर्जी कंपनियों से उड़ाए 400 करोड़
                                                                                    (रणभेरी): उत्तर प्रदेश में जीएसटी चोरी का पर्दाफाश हर दिन और बड़ा होता जा रहा है। सोमवार को राज्य कर विभाग ने जांच के दौरान 22 और फर्जी कंपनियों का जाल पकड़ा। ये कंपनियाँ मुजफ्फरनगर के कथित मास्टरमाइंड सौरभ मिश्रा के ईमेल से सामने आईं। इन फर्मों के नाम पर 149 करोड़ रुपये का कारोबार दिखाकर करीब 61 करोड़ रुपये टैक्स की चोरी की गई थी।
अब तक मिली कुल फर्जी कंपनियों की संख्या 144 पहुँच चुकी है और टैक्स चोरी का अनुमानित आंकड़ा 400 करोड़ रुपये के पार निकल गया है। जांच टीम के मुताबिक यह राज्य का अब तक का सबसे बड़ा जीएसटी धोखाधड़ी मामला बनता जा रहा है।
अपर आयुक्त ग्रेड–1 अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में बनी टीम ने सोमवार को भी लखनऊ के मास्टरमाइंड अंकित कुमार और उसके साथी सौरभ मिश्रा के ईमेल और डिजिटल रिकॉर्ड की छानबीन जारी रखी। दिल्ली, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में इन फर्जी फर्मों के नाम सामने आए। जांच में पता चला कि आरोपियों ने आसान पंजीयन प्रक्रिया का फायदा उठाकर फर्जी दस्तावेज़ों से कंपनियाँ बनाई, ई–वे बिल जारी किए और काल्पनिक व्यापार दिखाकर सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया। जांच आगे बढ़ने पर यह रकम और भी बढ़ने की आशंका है।
24–25 अक्टूबर की रात लखनऊ–मुरादाबाद हाईवे पर दो ट्रक पकड़े गए जिनमें लोहे का माल था। पूछताछ में सामने आया कि यह माल लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी अंकित कुमार से जुड़ा है और इसे मुजफ्फरनगर भेजा जा रहा था। इसके बाद बड़ी कार्रवाई शुरू हुई और केवल तीन दिनों की जांच में 122 बोगस कंपनियों का जाल पकड़ा गया था। शुरुआती अनुमान में ही 341 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी उजागर हुई थी। यही केस अब 144 कंपनियों और 1960 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर तक पहुँच चुका है।
मामला अब पुलिस के एसआईटी तक पहुँच गया है। साइबर टीम और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से आरोपियों के आईपी एड्रेस, ईमेल, मोबाइल नंबर और अन्य डिजिटल साक्ष्य जुटा लिए गए हैं। एसपी क्राइम व एसआईटी प्रमुख सुरेश चंद्र गंगवार के अनुसार कई अहम क्लू मिल चुके हैं, लेकिन चुनौती यह है कि आरोपी नकली पते और पहचान का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस उनके असली ठिकाने और सहयोगियों को चिन्हित करने में लगी है।
सरकारी अधिकारियों की रोज़ाना रिपोर्टिंग हो रही है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस घोटाले के और परतें खुलेंगी। यह भी संभावना है कि इस नेटवर्क में अन्य राज्यों के व्यापारी और दलाल भी शामिल हों।
                





                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                
                
                
                
                
                
                

                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    


