साहब देखिए न ! ‘विकास’ का चेहरा झांक रहा गड्ढे से

साहब देखिए न ! ‘विकास’ का चेहरा झांक रहा गड्ढे से
  • भारद्वाजी टोला में गड्ढे, मिट्टी और प्यास का कहर, 7 महीने की खामोशी, फिर खानापूर्ति
  • काशी में ‘विकास’ बना अभिशाप, ठेकेदार-पार्षद की घोर लापरवाही से पम्प ने बंद कराया पूरा मुहल्ला
  • रणभेरी में रिपोर्ट छपने के बाद दिखी हड़बड़ी, लेकिन आधे-अधूरे काम ने बढ़ाया जलसंकट
  • गली फिर बनी कब्रगाह, नल सूखे, लोग सप्ताहभर से पानी के लिए परेशान

वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास कार्यों के नाम पर चल रही लूट, लापरवाही और मनमानी का भंडाफोड़ रणभेरी ने 10 नवंबर 2025 के अंक में ‘खोदखाद कर छोड़ दिया, गजब हुआ विकास’ शीर्षक से किया था। लेकिन अब, पूरे एक महीने बाद, वाराणसी के भारद्वाजी टोला मुहल्ले की तस्वीर और भी भयावह होकर सामने आई है। मुहल्ले के लोगों का अभिशाप खत्म होने के बजाय और गहरा गया है। जिन गड्ढों, धूल-मिट्टी और टूटी सड़कों को लेकर लोग पहले ही त्रस्त थे, अब उन पर पेयजल संकट का पहाड़ टूट पड़ा है। दरअसल, रिपोर्ट छपने के करीब 15–20 दिन बाद अचानक ठेकेदार और पार्षद को विकास की याद आई और आनन-फानन में वहां पड़े गड्ढों को मिट्टी से पाटने की रस्म अदायगी कर दी गई। इसके लिए पम्प चालू किया गया, लेकिन नतीजा मुहल्ले के लिए और भी दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। ठेकेदारों ने पम्प को दो-तीन दिन चलाकर बालू-मिट्टी निकालने की मूल प्रक्रिया ही छोड़ दी। इसके बजाय उन्होंने पम्प को सीधे पाइप से जोड़कर सप्लाई चालू कर दी, जिससे भारी मात्रा में बालू और मिट्टी पाइपलाइन में घुस गई। परिणाम यह हुआ कि जिन घरों में पहले थोड़ी-बहुत पानी की बूंदें गिर जाया करती थीं, वहां अब पिछले एक सप्ताह से पानी की एक बूँद भी नहीं आ रही। पूरा मुहल्ला प्यासा है।

परेशान लोग आखिरकार पार्षद के दरबार में पहुंचे। पार्षद ने ठेकेदार को फोन किया और उसने खानापूर्ति के लिए दो मजदूर भेज दिए। मजदूरों ने फिर से बीच गली को खोद डाला, मानो ‘विकास’ की कब्र फिर से खोदी जा रही हो। मिट्टी हटाई गई, पटिया हटाई गई, और गली में आवागमन एक बार फिर ठप हो गया। बरसों के विकास के नाम पर यहां सिर्फ गड्ढों, कीचड़, धूल और पीड़ा का ‘स्थायी ढांचा’ खड़ा कर दिया गया है। सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि जिस पम्प की मरम्मत और सफाई के नाम पर ठेकेदार पिछले 7 महीनों से टालमटोल कर रहा था, वही पम्प आज गली के गड्ढे से अपना ‘थोबड़ा’ बाहर निकाल कर जनता पर ठहाके लगाता प्रतीत हो रहा है। विकास की यह विडंबना लोगों को छल रही है और ठेकेदार-पार्षद की गुप्त साझेदारी उजागर कर रही है। मुहल्ले के लोग आरोप लगाते हैं कि अधिकारियों ने शिकायतों पर कभी गंभीरता दिखाई ही नहीं। विकास का यह मॉडल सिर्फ कागजों और फोटोज में चमक रहा है।

जमीन पर गड्ढे हैं, मिट्टी है, कूड़ा है, और अब पानी का संकट भी। 7 महीने तक गली में पड़े गड्ढे और धूल से परेशान जनता अब पानी के लिए भी तरस रही है। नल सूख गए हैं, और पम्प का पानी मिलना तो दूर, सप्लाई पूरी तरह ठप हो चुकी है।

ठेकेदार एक बार फिर गायब हैं। पार्षद के आश्वासन अब खोखले लगने लगे हैं। विकास के नाम पर करोड़ों खर्च होने का दावा करने वाले जिम्मेदारों की खामोशी पूरे मामले पर सवाल खड़े करती है। भारद्वाजी टोला की जनता का दर्द यही कहता है कि-अगर यही विकास है, तो जनता को इससे बचाने की कोई व्यवस्था भी होनी चाहिए।