मऊ: एंबुलेंस न मिलने से 12 वर्षीय मासूम की मौत, अस्पताल परिसर में खड़ी रहीं तीन गाड़ियाँ

मऊ: एंबुलेंस न मिलने से 12 वर्षीय मासूम की मौत, अस्पताल परिसर में खड़ी रहीं तीन गाड़ियाँ

(रणभेरी): मऊ जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था मंगलवार को उस समय कटघरे में खड़ी हो गई, जब इमरजेंसी से रेफर किए जाने के बाद महज डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करते-करते 12 वर्षीय जीउत ने दम तोड़ दिया। सबसे दर्दनाक तथ्य यह कि अस्पताल परिसर में ही लगभग 50 मीटर की दूरी पर तीन एंबुलेंस खड़ी थीं, फिर भी परिवार को एक भी गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई गई।

घोसी कोतवाली क्षेत्र के लखनी मुबारकपुर निवासी हरेंद्र मुसहर और उनकी पत्नी शीला अपने बेटे जीउत को गंभीर हालत में जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। डॉक्टरों ने जांच में उसके शरीर में रेबीज संक्रमण की पुष्टि की। प्रारंभिक उपचार के बाद उसे तत्काल वाराणसी रेफर किया गया, जहां सुधार की संभावना थी।

रेफरल के बाद परिजन बार-बार 108 हेल्पलाइन पर कॉल करते रहे, लेकिन किसी भी कॉल का परिणाम नहीं निकला। इस बीच बच्चे की हालत बिगड़ती रही। शीला का कहना है कि उन्होंने कई बार अस्पताल स्टाफ से गुहार लगाई—“साहब, एंबुलेंस बुला दीजिए, बच्चा मर जाएगा”—लेकिन किसी ने उनकी आवाज नहीं सुनी। वहीं, इमरजेंसी के सामने खड़ी कई एंबुलेंस सिर्फ दर्शक बनी रहीं।

करीब डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद मंगलवार शाम जीउत ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। परिवार के रोते-बिलखते चेहरे इस बात की गवाही देते रहे कि लापरवाही ने उनका बच्चा छीन लिया।

घटना के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं  आखिर जब परिसर में ही एंबुलेंस मौजूद थीं, तो उन्हें जरूरतमंद मरीज के लिए क्यों नहीं भेजा गया? क्या तकनीकी बाधा थी या सिस्टम की उदासीनता ने एक मासूम की जान ले ली? स्थानीय लोगों और परिजनों ने मामले की जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं घटना ने जिले की आपातकालीन सेवा व्यवस्था पर गहरी चोट पहुंचाई है।