बीएचयू साइबर लाइब्रेरी में भीषण आग से अफरातफरी

बीएचयू साइबर लाइब्रेरी में भीषण आग से अफरातफरी
  • 50 से अधिक कंप्यूटर जलकर खाक, सर्वर रूम को पहुंचा भारी नुकसान
  • 20 से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे थे, धुआं फैलते ही बाहर भागकर बचाई जान
  • फायर ब्रिगेड पहुंचने में हुई देरी, छात्रों ने उठाए सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
  • बोले छात्र - गार्डों को नहीं मिली ट्रेनिंग, लाखों की साइबर लाइब्रेरी सुरक्षा दावों पर खड़े किए सवाल

वाराणसी (रणभेरी सं.)। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की सेंट्रल साइबर लाइब्रेरी में शुक्रवार सुबह अचानक लगी आग से पूरे कैंपस में अफरातफरी मच गई। लाइब्रेरी के दूसरे तल पर लगी आग इतनी तेजी से फैलने लगी कि वहां पढ़ाई कर रहे 20 से अधिक छात्रों को सब कुछ छोड़कर बाहर भागना पड़ा। सुबह करीब साढ़े 8 बजे उठे धुएं के गुबार ने कुछ ही मिनटों में पूरे फ्लोर को अपनी चपेट में ले लिया। छात्र किसी तरह सीढ़ियों से उतरकर बाहर आए, जिससे बड़ी दुर्घटना होने से टल गई।

आग लगने की सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई, लेकिन छात्रों के मुताबिक पहली गाड़ी घटना के लगभग 10 मिनट बाद पहुंची, जबकि दूसरी गाड़ी काफी देर बाद आई। इस बीच आग दूसरे हिस्सों तक फैलने लगी थी। फायर ब्रिगेड की टीम ने कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया और लाइब्रेरी को पूरी तरह खाली करा दिया। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है। घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है, लेकिन करोड़ों की साइबर लाइब्रेरी को भारी नुकसान पहुंचा है।

जानकारी के अनुसार, घटना में 50 से अधिक कंप्यूटर जलकर खाक हो गए। वहीं करीब 50 से 60 लाख रुपए की लागत से तैयार सर्वर रूम को भी काफी नुकसान पहुंचा है। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। जिस कमरे में आग भड़की, वहां बैटरी बैकअप सिस्टम लगा था, जिसमें तकनीकी खराबी के चलते चिंगारी उठी और आग तेजी से फैल गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। छात्रों ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि आग लगने के आधे घंटे बाद तक कई लोगों को घटना की जानकारी ही नहीं हुई। न तो अलार्म बजा और न ही कोई तत्कालिक सुरक्षा तंत्र सक्रिय हुआ। एक छात्र ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी साइबर लाइब्रेरी बनाई गई है, करोड़ों खर्च किए गए हैं, लेकिन आग लगने पर उसे काबू करने की कोई व्यवस्था नहीं। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि गार्डों को यह तक नहीं मालूम था कि पाइप कहां है और पानी लाइब्रेरी तक कैसे पहुंचाया जाए। छात्रों ने बताया कि सूचना मिलने के 45 मिनट बाद भी फायर ब्रिगेड की टीम रास्ते में थी, जबकि लाइब्रेरी के बाहर अधिकारी और सुरक्षाकर्मी बस खड़े होकर हालात देखते रहे। छात्रों ने कहा कि अगर ठंड का मौसम नहीं होता और आग इतनी तेजी से नहीं फैलती तो आज बड़ा हादसा हो सकता था। कई छात्रों की किताबें, कॉपियां और बैग भीतर ही छूट गए, जिन्हें निकालने की अनुमति फिलहाल नहीं दी गई है।

घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवालों की बौछार होने लगी है। छात्रों का कहना है कि इस स्तर की साइबर लाइब्रेरी होने के बावजूद सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया गया। वहीं प्रशासन का दावा है कि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया है और जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल साइबर लाइब्रेरी को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।