भगवान जगन्नाथ 15 दिन बाद हुए स्वस्थ, काशीवासियों को दिया दर्शन,आरती के बाद परवल से बने व्यंजकों का लगा भोग

 भगवान जगन्नाथ 15 दिन बाद हुए स्वस्थ, काशीवासियों को दिया दर्शन,आरती के बाद परवल से बने व्यंजकों का लगा भोग

वाराणसी (रणभेरी): धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में बुधवार को 15 दिनों के एकांतवास के बाद पुनः भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन दिए। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन विशेष स्नान उत्सव के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए थे। मंदिर परंपरा के अनुसार, इस दौरान भगवान जगन्नाथ ‘अनासर काल’ में रहते हैं और मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस अवधि में भगवान की सेवा गुप्त रूप से की जाती है। किसी भी भक्त को उनके दर्शन नहीं होते। स्वस्थ होने पर 15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ मंदिर के कपाट खुल गए। इस दौरान दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।

मंदिर के प्रधान पुजारी राधेश्याम पांडे प्रातः काल भगवान का सफेद वस्त्र, सफेद फूलों से श्रृंगार करके पंचामृत का भोग लगाकर भव्य आरती की गई। आरती के पश्चात पंचामृत का प्रसाद भक्तों में वितरण किया गया। आज भगवान को परवल के जूस को भोग लगाया गया। मंदिर से कल भगवान की डोली निकलेगी। 27 से 29 जून तक रथयात्रा मेला में भगवान रथ पर रथारूढ़ होकर भक्तों को दर्शन देंगे।

काशी के लक्खा महिलाओं में शुमार रथ यात्रा का मेला 27 जून से शुरू होकर 29 जून तक चलेगा। ऐसा पहली बार होता है, जब भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार होकर काशी वासियों को दर्शन देते हैं। इसके साथ ही 26 जून को भगवान अपने स्थान अस्सी मंदिर से पालकी में सवाल होकर भगवान द्वारकाधीश से मिलेंगे और उसके बाद 27 तारीख को रथ पर सवार हो जाएंगे। काशी की यह परंपरा लगभग 350 वर्ष पुरानी है।

जिला प्रशासन द्वारा मेले की पूरी तैयारी की जा चुकी है।सैकड़ों वर्ष पुराने रथ पर भगवान जगन्नाथ सवार होते हैं और काशी की जनता उस रथ को खींचती है। मान्यता यह है, कि जिस तरह जगन्नाथ पुरी में भगवान रथ पर सवार होकर लोगों को दर्शन देते हैं। इस तरह यहां पर भी सूक्ष्म रूप से इस प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। मान्यता यह भी है, कि जो जगन्नाथ पुरी नहीं जा पाता, वह काशी के इस जगन्नाथ भगवान की मूर्ति के दर्शन कर लेता है, तो वहीं पुण्य प्राप्त होता है।

रथयात्रा मेला इस बार और दिव्य और भव्य होगा। इस बार पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से 201 ध्वज आएंगे। 26 जून को भगवान जगन्नाथ की निकलने वाली डोली यात्रा में ये ध्वज लहराए जाएंगे। भजन-कीर्तन, डमरूदल, शंखनाद के साथ ध्वज लेकर भक्त चलेंगे। मेला 27 जून से शुरू होगा। एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों और मुहल्लों से होकर ये डोली यात्रा गुजरेगी।