तमिल भाषियों का केन्द्र है काशी का हनुमानघाट

तमिल भाषियों का केन्द्र है काशी का हनुमानघाट
  • यहां रोजाना हजारों की संख्या में आते हैं दक्षिण भाषी 
  • कई पीढ़ियों से दक्षिण भारत से आये 500 परिवार रह रहे हैं, यहां पर है कांची कामकोटिश्वर मंदिर व मठ

राधेश्याम कमल

वाराणसी (रणभेरी सं.)। हरिश्चन्द्रघाट से सटा एक मुहल्ला हनुमानघाट है। यह मुहल्ला दक्षिण भारतीय तमिल भाषियों का केन्द्र बना हुआ है। यहां पर कई पीढ़ियों से दक्षिण भारत से आये लगभग 500 से अधिक परिवार यहां पर रह रहे हैं। हनुमानघाट में रोजाना हजारों की संख्या में दक्षिण भारत से लोग यहां आते हैं। कांची कामकोटि मठ के प्रभारी बीएस सुब्रह्मण्यम मणिजी बताते हैं कि 1850 के पूर्व से इस मुहल्ले में तमिल वासियों के निवास का प्रमाण मिलता है। यहां पर कांची कामकोटि पीठ व मठ भी है। जो धार्मिक व सामाजिक तथा अन्य लोक उपकार की गतिविधियों का भी केन्द्र है। यहां पर दक्षिण भारत से आने वाले हजारों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। इनके चलते यहां पर रहने वाले कई लोगों की रोजी-रोटी भी चलती है। दक्षिण भारत से काशी आने वाला हर तीर्थयात्री यहां आकर सर्वप्रथम काशी विश्वनाथ धाम, अन्नपूर्णा मंदिर, विशालाक्षी देवी मंदिर का दर्शन पूजन करने के बाद काशी के कोतवाल कालभैरव का भी दर्शन करते हैं। हनुमानघाट में कई दुकानदारों ने पूड़ी कचौड़ी की अपनी दुकानें बंद करके दक्षिण भारतीय व्यंजन की दुकान खोल ली है। यहां पर लोगों को नाश्ते में इडली व मसाल डोसा, उपमा, बड़ा मिलता है। यहां भोजन में सांभर, रसम, गीली सब्जी (कुटू) व सूखी सब्जी तथा गुड़ का खीर, पापड़, अचार व मठठा तैयार किया जाता है। इन सब व्यंजनोंं को बना कर खिलाने वाला एक अलग से आदमी रखा गया है। दक्षिण भारत से काशी आने वाला दक्षिण भारतीय यहां पर कांची कामकोटि मठ-मंदिर, भारतीय भवन हनुमान घाट, केदारेश्वर मंदिर, नाट्यकोट्म अगत्स्यकुंड देखने अवश्य आते हैं।

शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के काशी आने पर बना था कांची कामकोटिश्वर मंदिर

हनुमानघाट में कांचीकामकोटिश्वर मंदिर भी व्यवस्थित है। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित कांची कामकोटिश्वर मंदिर में पंच प्रतिभा भी स्थापित है। इनमें शिव-पार्वती, विष्णु, सूर्य व गणेश हैें। कांची के शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती ने सम्पूर्ण भारत की पदयात्रा के क्रम में 21 जनवरी 1973 में काशी पधारे थे। वसंत पंचमी के शुभ मुहुर्त में काशी में दक्षिण भारतीय मंदिर में पंच देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यहां पर कार्तिकेय भी प्रतिष्ठित हैं। यहां पर प्रात: से लेकर  सांयकाल तक विभिन्न अनुष्ठान होते रहते हैं। यहां पर प्रात:, मध्याह्न व सायंकाल आरती होती है। जिसमें स्थानीय के अलावा दक्षिण भारतीय जमा होते हैं।

दो सौ वर्ष पूर्व हनुमानघाट में बना था मठ

हनुमानघाट स्थित कांची शंकराचार्य मठ की स्थापना लगभग दो सौ वर्ष पूर्व की गई थी। कांची कामकोटि मठ के 67वें आचार्य चन्द्रशेखर सरस्वती की आज्ञा से इस मठ का निर्माण किया गया। यहां पर आदिशंकराचार्य का विग्रह विराजमान है। यहां पर वेद शिक्षा, शास्त्र शिक्षा, वेद शास्त्र का अनुसंधान आदि का कार्य सन 1974 से चल रहा है। यहां पर कई विद्वान हुए जिसमें पद्मभूषण पट्टाभीराम शास्त्री, श्रीनिवास शास्त्री, सुब्रह्मण्यम शास्त्री, कंदनजी आदि रहे।

काशी में तमिल संगमम से मिलेगी एक नई दिशा

काशी में आयोजित तमिल संगमम से एक नई दिशा मिलेगी। इससे भारत की कला-संस्कृति व भाषा को एक नया आयाम मिलेगा। भारतीय भाषाओं का जो मूल स्वरूप है उसको पुन: सजाने का काम तमिल संगमम करेगा। यह विचार हनुमानघाट स्थित काम कांचीकामकोटि मठ मंदिर के प्रबंधक बीएस सुब्रह्मण्यम ने दी। कहा कि हमारे यहां परम्पराओं का लोप हो रहा था। इस कार्य में परिवार में रह रहे मातृश्क्त का सबल होना जरुरी है।