सावन से पहले खतरनाक स्तर पर गंगा का जलस्तर

वाराणसी (रणभेरी सं.)। सावन शुरू होने से पहले ही गंगा नदी का जलस्तर इस बार वाराणसी में खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। गंगा की चढ़ती जलधारा न सिर्फ घाटों के धार्मिक अनुष्ठानों को बाधित कर रही है, बल्कि आम जनजीवन को भी गहरे संकट में डाल रही है। शहर के प्रमुख घाटों- दशाश्वमेध, मणिकर्णिका, हरिश्चंद्र सहित अन्य 84 घाटों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। हरिश्चंद्र घाट की गलियों तक पानी पहुंचने से शवदाह की प्रक्रिया अब गलियों में ही की जा रही है।
गुरुवार की रात 8 बजे तक गंगा का जलस्तर 65.40 मीटर तक पहुंच गया था, जो 48 घंटे पहले की तुलना में करीब 2 मीटर अधिक है। शुक्रवार सुबह 8 बजे जल आयोग की ताजा रिपोर्ट में जलस्तर 65.70 मीटर दर्ज किया गया। इस दौरान जलस्तर बढ़ने की गति औसतन 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे रही, जबकि गुरुवार की रात यह दर 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार अभी जलस्तर में स्थिरता आने या घटने की कोई संभावना नहीं है, जिससे घाट किनारे के क्षेत्रों में और भी अधिक जलभराव की आशंका है।
बढ़ते जलस्तर के कारण नाव संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। दशाश्वमेध घाट से होकर बाबा विश्वनाथ के गंगाद्वार तक जाने वाला रास्ता पूरी तरह डूब गया है। मणिकर्णिका घाट जैसे महाश्मशान पर भी केवल एक ही शवदाह स्थल शेष बचा है, जिससे अंतिम संस्कार में भारी दिक्कतें हो रही हैं। नाविकों, घाट पर पूजा कराने वाले पुरोहितों और पर्यटकों पर आश्रित दुकानदारों की कमाई पर गहरा असर पड़ा है।
अस्सी घाट के नाविक अज्जू बताते हैं, सावन आज से शुरू हुआ है और घाट डूबने लगे हैं। इस बार तो भादो तक काम मिलने की उम्मीद भी कम है। प्रशासन ने घाटों पर आने-जाने वालों की सुरक्षा के लिए जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमों को तैनात कर दिया है। पुलिस कमिश्नर ने सभी विभागों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
सावन पर आने वाले कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए घाट किनारे जल पुलिस और एनडीआरएफ को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत पुलिस कमिश्नर की तरफ से विभागों को दी गई है।
गंगा के बढ़ते जलस्तर से किसान चिंतित
रेती पर उगाई गई सब्जियों की फसल डूबने का खतरा, प्रशासन से मदद की गुहार
वाराणसी (रणभेरी सं.)। गंगा नदी का जलस्तर निरंतर बढ़ रहा है। इससे नदी किनारे रेती पर खेती करने वाले किसानों की फसलें खतरे में हैं। कैथी, ढकवा, मोलनापुर, चंद्रावती, रामपुर, गौरा, मुरीदपुर, परनापुर और बर्थरा के किसान चिंतित हैं। किसानों ने इस बार परोरा, नेनुआ, तरोई, लौकी, करैला, भिंडी, परवल, तरबूज और खरबूजे की खेती की है। गंगा का पानी तेजी से रेती की ओर बढ़ रहा है। स्थानीय किसान चंदन निषाद, सुजीत निषाद, राजकुमार, शिवकुमार और महेश निषाद पीढ़ियों से यहां खेती कर रहे हैं। किसान शिवकुमार ने बताया कि उनकी 5 बीघा तरोई की फसल डूबने के कगार पर है। हर साल फसल डूबने की समस्या आती है। लेकिन न तो कोई मुआवजा मिलता है और न ही अधिकारी मौके पर आते हैं। किसान महेश निषाद के अनुसार, उन्होंने कई बार गंगा किनारे खेती करने वाले किसानों के लिए स्थायी राहत नीति की मांग की है। प्रशासन से अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फसलों के डूबने से वाराणसी की सब्जी मंडियों में हरी सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इससे सब्जियों के दाम बढ़ सकते हैं।