गंगा कगारों के पार, तटवर्ती इलाकों में हाहाकार

सरैया, नक्खीघाट और ढेलवरिया में तीन दर्जन मकान पानी से घिरे
शीतला मंदिर डूबा, माता का मुखौटा अहिलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित
वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी में गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है। बुधवार को गंगा का पानी अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस मंच का ज्यादातर हिस्सा डूब गया। अब घाट पर ही श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी तक पानी पहुंच चुका है। बाढ़ को देखते हुए प्रशासन अब पूरे अलर्ट हो गई है। केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी बाढ़ बुलेटिन के अनुसार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 68.94 मीटर रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर में 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है। वाराणसी में चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से 1.56 मीटर नीचे है। अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस के मंच तक पानी पहुंच गया। दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला माता मंदिर में बीते देर रात पानी प्रवेश कर चुका था और शाम तक मंदिन डूब गया। मंदिर का सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही पानी से बाहर दिख रहा है। गंगा के मंदिर में प्रवेश के चलते मां शीतला का मुखौटा बीती रात ही आरती के बाद अहिल्याबाई स्टेट में अहिलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित कर दिया गया।
गंगा के जलस्तर में इजाफा होने से वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह का असर देखा जा रहा है। पुराना पुलकोहना क्षेत्र में नाले के जरिए वरुणा का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर चुका है। अधिकांश लोग अपना मकान खाली करने लगे हैं। वह सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं। मकानों में तीन से चार फीट तक पानी प्रवेश कर चुका है। पुलकोहना छोटी मस्जिद के पास नाले के पास रहने वाले अफनराज अहमद, मंगल कुमार, कैलाश, शांति देवी, सतना, शारदा देवी, राजकुमार, सीता देवी, बदरुद्दीन सहित दर्जनों लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है. इन्होंने किराए के मकान में शरण ली। बरुणा के किनारे रेलवे लाइन के निकट सलारपुर में तीन दिन पहले ही रात में नालों के जरिए बाढ़ का पानी बस्ती में घुस गया। आधा दर्जन मकान डूब गए हैं। बाढ़ का पानी आबादी को अपनी चपेट में लेने को आतुर है। घाटों को जलमग्न करने के बाद गंगा गलियों की ओर बढ़ने लगी हैं। दाब क्षेत्र की खेती इससे प्रभावित हो रही है। शहर में मंगलवार को पानी दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस चौकी तक पहुंच गया। जलस्तर बढ़ने से हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह हो रहा है। शीतला मंदिर में गंगा के प्रवेश होने की आशंका को देखते हुए पुजारी ने मंदिर से सामान हटाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। बताते चलें कि राजघाट पर चेतावनी 70.262 मीटर है जबकि खतरे का स्तर 71.262 मीटर है। उच्चतम बाढ़ स्तर 73.901 मीटर है।
रमना में शवदाह स्थल बाढ़ की चपेट में, किसान चिंतित
गंगा का जल स्तर लगातार बढ़ने से घाट किनारे रहने वालों की चिंता बढ़ गई है। जल्द ही नगवा नाले से पानी भीतर प्रवेश कर जाएगा जिससे नगवा हरिजन बस्ती, सोनकर बस्ती, साकेत नगर व रोहित नगर में नाले किनारे के मकानों में पानी जा सकता है। सामनेघाट स्थित ज्ञान प्रवाह के पास लगे फ्लैपर गेट के बाद दर्जनों कालोनियों में नाले से घुसने वाले पानी का संकट कम हो गया है। हालांकि जिलाधिकारी ने इन स्थानों पर पानी निकासी के लिए पंप लगाने के निर्देश दिए है। रमना गांव में तना शवदाह स्थल बाढ़ की चपेट में आ गया है। प्रधानपति अमित पटेल ने बताया कि अभी पांच फीट पानी बढ़ाने के बाद फसल को नुकसान होगा।
नाव पर बैठकर गंगा आरती देखने पर लगी रोक
गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जल पुलिस ने नौका पर बैठकर गंगा आरती देखने पर रोक लगा दी है। सभी नाविकों को सूचित किया गया है कि नाव पर बैठाकर किसी को गंगा आरती न दिखाएं। जल पुलिस प्रभारी निरीक्षक जल पुलिस राजकिशोर पांडेय ने बताया कि बाढ़ को देखते हुए गंगा में नावों का संचालन बंद कर दिया गया है। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती सांकेतिक रूप से होगी।
45 दिनों में 265 मिमी बारिश, 20 फीसद अधिक
शहर में मेघ जमकर बरस रहे हैं, इसके चलते मौसम खुशगवार हो गया है। अगले 48 घंटे में बनारस में अनवरत बारिश होने की संभावना है। 30 जून तक करीब 94.4 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो औसत से एक प्रतिशत कम रही लेकिन एक जुलाई से बारिश में वृद्धि हुई है। करीब 170 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है। इस तरह पिछले 45 दिनों में 264.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, यह औसत से 20 प्रतिशत अधिक है। मंगलवार को भी करीब 13 मिलीमीटर बारिश हुई। शहर में औसतन 0.1 मिलीमीटर बारिश हुई थी, लेकिन शाम सात बजे तक भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बाबतपुर कार्यालय पर 18.5 मिलीमीटर जबकि बीएचयू में 4.4 एमएम बारिश की गणना की।
नमो घाट का नमस्ते स्कल्पचर डूबा
वहीं, नमो घाट पर नमस्ते स्कल्पचर का निचला हिस्सा भी डूब गया है। अस्सी से राजघाट के बीच घाट के सभी मंदिर जलमग्न हो चुके हैं। कई मंदिरों के तो सिर्फ शिखर ही नजर आ रहे हैं। जल पुलिस प्रभारी ने राजकिशोर पांडेय ने बताया कि दशाश्वमेघ घाट पर होने वाली गंगा आरती अब सांकेतिक रूप से होगी। मणिकर्णिका घाट पर छतों पर और हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में शवदाह हो रहा है।