चौकन्ना सीएम के चहेते चौकीदार भी चोरी रोकने में नाकाम

- "जनता का टूटा हुआ भरोसा किसी भी सरकार की बुनियाद हिला देता है।"
- सूबे के मुखिया की ईमानदार छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे उनके खासमखास
- सीएम योगी के जीरो टॉलरेंस के दावों को खुल्लम खुल्ला नीलाम कर रहे वीडीए बोर्ड के नामित सदस्य
- जनता पूछ रही सवाल...आखिर क्यों आंख बंद किए बैठे है वीडीए बोर्ड में शामिल सीएम के तीन खासमखास
- चौतरफा अवैध निर्माण पर सवालों के घेरे में सीएम के दूत की खामोशी
- कहीं वीडीए के जिम्मेदार अफसरों को लूट की छूट देकर बन तो नहीं गए सिस्टम का हिस्सा ?
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी): उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी सख्त प्रशासनिक शैली और ईमानदार छवि के लिए जाना जाता है। उनका "जीरो टॉलरेंस" का नारा भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन चुका है। परंतु, विडंबना देखिए कि उन्हीं के सबसे विश्वसनीय सिपाही जिन पर जनता की भलाई और व्यवस्था के संरक्षण का जिम्मा था आज सवालों के घेरे में हैं। सवाल उठ रहे हैं, भरोसेमंद चौकीदारों की नाकामी पर। सूबे के मुखिया के नाम का सहारा लेकर जिन पदाधिकारियों को विकास प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण निकायों में नामित किया गया, वही अब अवैध निर्माण, अनियमितताओं और खुलेआम लूटखसोट के हिस्सेदार बनते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यभार संभालने के साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया था। उनके 'जीरो टॉलरेंस' के सिद्धांत को पूरे प्रदेश में लागू करने के आदेश दिए गए थे। लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग नजर आ रही है। सबसे पहले तो अब वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) बोर्ड के भीतर बैठे सीएम के तीन खास मेंबरों की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। आम जनता पूछ रही है शहर के चप्पे चप्पे पर अवैध निर्माण आखिर किसके संरक्षण में फल-फूल रहे हैं ? सीएम के खास प्रतिनिधि आंख मूंदकर क्यों बैठे हैं ? क्या इन पदाधिकारियों को भी अब "लूट की छूट" वाली योजना में शामिल कर लिया गया है?
चौंकाने वाली है सीएम के दूतों की चुप्पी
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) बोर्ड में कुल 13 सदस्य है। इन 13 में 10 सदस्य प्रशानिक है बाकी के 3 शासन की ओर से नामित शासन के ही लोग हैं। विदित हो कि शासन की ओर से जो तीन सदस्य नामित है उसमें अम्बरीष सिंह भोला, साधना वेदांती और प्रदीप अग्रहरि शामिल है। इन तीन सम्मानित सदस्यों में अम्बरीष सिंह भोला को सीएम योगी का सबसे ज्यादा खासमखास माना जाता है। सीएम के इन तीन प्रतिनिधियों से यह उम्मीद थी कि वे वीडीए में हो रहे हर गड़बड़ी पर सख्त रुख अपनाएंगे, लेकिन लोगों के उम्मीदों पर पानी फेरते हुए यह मानिंद सदस्य मौन साधे बैठे हैं। उनकी चुप्पी ने जनता का भरोसा तोड़ा है। यह चुप्पी तमाम आशंकाओं को जन्म देती है। क्या ये भी भ्रष्टाचार में हिस्सेदार बन गए हैं ? या फिर उन्हें भी ऊपर से आदेश है चुप रहने का ? या फिर सिस्टम के दबाव में उनकी नीयत बदल गई ? जनता पूछ रही है कि क्या योगी सरकार का 'रामराज्य' केवल नारों तक सीमित रह गया है ? भ्रष्टाचार पर कार्रवाई केवल विरोधियों तक सीमित क्यों है ? जब अपने ही चहेते फेल हो जाएं तो फिर बदलाव कैसे आएगा ?
भ्रष्टाचार की जड़ में मिलीभगत का खेल
सूत्र बताते हैं कि वीडीए के कई उच्चाधिकारियों ने स्थानीय बिल्डरों से सांठगांठ कर रखी है। मोटी रकम के बदले नियमों को ताक पर रखकर नक्शे पास होते हैं, अवैध निर्माणों पर आंखें मूंद ली जाती हैं। और यह सब 'ऊपर' तक पहुंचने वाले हिस्से के बगैर संभव नहीं। इन सारे अवैध कामों के लिए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। अवैध निर्माण के लिए फर्जी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किए जा रहे हैं, प्रतिबंधित क्षेत्र में बिल्डिंगें खड़ी हो रही हैं। बिना मानचित्र स्वीकृत के बहुमंजिला इमारत खड़ा हो जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के भीतर बैठे सरकार के आंख,कान और जुबान रूपी ये पदाधिकारी भी अब इस सिस्टम का ही अभिन्न हिस्सा बनकर अपनी ही सरकार की छवि को दीमक की तरह चाटकर कमजोर करने वाली भूमिका में दिखाई दे रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही यदि मुख्यमंत्री के करीबी लोग ही भ्रष्ट सिस्टम का हिस्सा बन जाए तो फिर ईमानदारी की उम्मीद किससे की जायेगी, ऐसे हालात में जीरो टॉलरेंस का दावा अब बेतुका मज़ाक साबित हो रहा है।
सीएम साहब अंजान या गुमराह कर रहे उनके खासमखास
सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी को लेकर आज भी जनता में सबसे ऊपर हैं। लेकिन जब उनके द्वारा नियुक्त किए गए प्रतिनिधि और अधिकारी ही भ्रष्टाचार का संरक्षण करने लगें, तो जनता का सीधा सवाल उन्हीं से होगा। क्या सीएम के आदेश केवल कागजों तक सीमित हैं ? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल दिखावे के लिए है ? क्या जनता के भरोसे के साथ फिर से विश्वासघात किया जाएगा ? क्योंकि योगी आदित्यनाथ जब वाराणसी आए थे और सर्किट हाउस में अधिकारियों संग बैठक की थी तो खुले शब्दों में कहा था किसी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दास्त नहीं की जाएगी। क्या उस मीटिंग में सीएम के दूतों ने कभी वाराणसी विकास प्राधिकरण में व्याप्त लूट को अपने सीएम से नहीं बताया ? क्या सीएम के दूत ही सीएम को गुमराह कर रहे हैं ? आज जरूरत इस बात की है कि मुख्यमंत्री अपने इन खासमखास चौकीदारों की भूमिका की समीक्षा करें, वरना वे न केवल अपनी ईमानदार छवि खो देंगे, बल्कि जनता का भरोसा भी टूट जाएगा। और इतिहास गवाह है कि जनता का टूटा हुआ भरोसा किसी भी सरकार की बुनियाद हिला देता है।
बेलगाम हो गए वाराणसी विकास प्राधिकरण के जिम्मेदारान
वाराणसी विकास प्राधिकरण के जिम्मेदारान पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। वजह स्पष्ट है कि इन्हें कार्रवाई का कोई भय नहीं है। सूत्र बताते है अवैध निर्माण के लिए वसूली गई मोटी रकम का हिस्सा नीचे से ऊपर तक बांटा जाता है। ऐसे में कार्रवाई करे तो कौन ! सभी तो चोर-चोर मौसेरे भाई बनके सिस्टम को लूट रहे हैं। अपने पदों पर वर्षों से जमे अफसर अपने निजी लाभ के लिए नीति बनाने लगे हैं। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधियों ने जनता की आवाज उठाने के बजाय व्यवस्था के भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बनना चुन लिया। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से की गईं शिकायतें महीनों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रहती हैं। शिकायतकर्ता को परेशान कर उसे थका दिया जाता है। बड़े बिल्डर समूहों और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच गहरा गठबंधन बन गया है। कई मामलों में अवैध निर्माणों पर वीडीए के अफसर जानबूझकर कार्रवाई नहीं करते। सूत्रों का कहना है कि कुछ राजनैतिक रसूखदारों का संरक्षण भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। कई बार कार्रवाई की फाइलें "ऊपर से दबवा" दी जाती हैं।
अब फैसला मुख्यमंत्री को करना है
योगी आदित्यनाथ एक ईमानदार और निडर नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं। लेकिन यदि वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण शहर में उनके 'चौकीदार' ही चोरी रोकने में नाकाम रहें, तो इससे उनकी व्यक्तिगत छवि भी धूमिल होगी। आज वाराणसी के लोग पूछ रहे हैं...सीएम साहब, क्या आपके वचन सिर्फ भाषणों तक सीमित हैं ? क्या आपके चौकीदारों की नाकामी पर आप भी आंख मूंदे रहेंगे? या फिर आप जनता के साथ खड़े होकर सिस्टम को फिर से दुरुस्त करेंगे ? समय कम है। जनता की आवाज बुलंद हो रही है। अगर योगी आदित्यनाथ ने तुरंत सख्त कदम नहीं उठाए, तो वाराणसी को विश्व का सबसे सुंदर धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाने वाली योजना केवल सपना बनकर रह जाएगी।
पार्ट-7
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