दालमंडी सड़क चौड़ीकरण का टेंडर 15 करोड़ में तय

दालमंडी सड़क चौड़ीकरण का टेंडर 15 करोड़ में तय

वाराणसी (रणभेरी सं.)। विश्वनाथ मंदिर के समीप चर्चित पूर्वांचल के प्रमुख मार्केट में से एक दालमंडी की सड़क चौड़ीकरण का लोक निर्माण विभाग ने टेंडर फाइनल कर दिया है। राकेश पांडेय को सड़क निर्माण के लिए 15 करोड़ का टेंडर दिया है। अधिशासी अभियंता केके सिंह ने बताया कि टेंडर हासिल करने वाली एजेंसी को अभी निर्माण कार्य प्रारम्भ करने की डेट नहीं दी गई है। दालमंडी सड़क चौड़ीकरण में मुआवजा से संबंधित फाइल अभी शासन में है। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही मुआवजा वितरण के साथ ही चौड़ीकरण और सड़क निर्माण हमला कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा। सड़क चौड़ीकरण से काशी विश्वनाथ मंदिर की राह आसान हो जाएगी। क्राउड मैनेजमेंट में भी पुलिस प्रशासन को सहूलियत होगी। दालमंडी के विकास के लिए योगी सरकार ने दो सौ करोड़ से अधिक का बजट स्वीकृत किया है।

दालमंडी सड़क चौड़ीकरण के विरोध में शाहनवाज खान बनाम यूपी स्टेट समेत 21 याचिकाएं अब तक दाखिल हो चुकी है। यह मामला हाई कोर्ट इलाहाबाद के समक्ष प्रस्तुत हुआ है, जिसमें याची (शाहनवाज खान) ने राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों के विरुद्ध रिट याचिका दाखिल की है। याची का कहना था कि वह वाराणसी के दालमंडी क्षेत्र में स्थित मकान संख्या सीके 39/5 का स्वामी है और उसका नाम नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज है। राज्य सरकार बिना किसी अधिग्रहण और मुआवजा दिए उसके मकान को तोड़ने और उसे बेदखल करने की योजना बना रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति कायम रखते हुए वाराणसी के जिलाधिकारी से एक सप्ताह में जवाब मांगा था।

वाराणसी जिला प्रशासन की तरफ से जवाब दाखिला किया गया। कहा गया किनिर्माण या भूमि का स्वामित्व आपसी सहमति या 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण से ही लिया जाएगा। वर्तमान में कोई तोड़फोड़ नहीं हो रही है। यदि भविष्य में ऐसा कुछ होगा, तो वह कानून के तहत ही किया जाएगा। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक विधिक रूप से स्वामित्व नहीं लिया जाता, तब तक याची को न तो बेदखल किया जा सकता है और न ही उसके निर्माण को गिराया जा सकता है। याचिका को राज्य सरकार के जवाब के आधार पर निस्तारित कर दिया गया।

मुआवजा पर हो रहा मंथन

दालमंडी में मुआवजा की प्रक्रिया को सरल करने की योजना हैं। सूत्रों की माने तो दालमंडी में नगर निगम, रुस्तम ए हिंद से लेकर अन्य सरकारी महकमों की जमीन पर लोग कई दशक से काबिज है। वह वर्षों से नगर निगम को टैक्स भी देते आए हैं। अधिकतर के पास खतौनी नहीं है लेकिन नगर निगम की तरफ से जारी पीला कार्ड जरूर है। सूत्रों की माने तो कैबिनेट में इसपर सहमति की तैयारी चल रही कि जिनके भी मकान, दुकान चौड़ीकरण की जद में आ रहे हैं, उनके मकान के टैक्स से संबंधित बिल मान्य होंगे लेकिन उसके लिए भी शर्ते लागू होंगी। नगर निगम, तहसील ने जमीन से सम्बंधित रिपोर्ट तैयार कर ली है। जिला प्रशासन ने शासन में मुआवजा से संबंधित फाइल भेज दी है।