सीएमओ साहब ! खुद बीमार हो गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुरा

विगत 25 दिनों से नहीं हैं बिजली और पानी, तीन वार्डों को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले इस स्वास्थ्य केंद्र के हालात का जिम्मेदार कौन !
मरीज के इलाज के नाम पर बस की जा रही खानापूर्ति ईलाज के लिए भेजा जाता कहीं और
जांच की सुविधा का लगा बोर्ड बना है शो पीस, जांच के लिए भेजा जाता कबीरचौरा अस्पताल
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाए जाने के तमाम दावे जमीनी हकीकत पर खरे नहीं उतरते। इसका ताजा उदाहरण है जंगमबाड़ी वार्ड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुरा, जो पिछले 15 दिनों से बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
तीन घनी आबादी वाले वार्ड...मदनपुरा, जंगमबाड़ी और हौज कटरा की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला यह केंद्र अब खुद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। बिजली और पानी के अभाव में न केवल मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि केंद्र का सामान्य संचालन भी पूरी तरह ठप हो गया है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि टीकाकरण और वैक्सीनेशन में उपयोग की जाने वाली जीवनरक्षक दवाएं और वैक्सीन बिना बिजली के रखरखाव के कारण खराब होने की स्थिति में हैं। स्वास्थ्यकर्मी भी इन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं, जबकि मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग या जनप्रतिनिधि—सबकी चुप्पी संदेह पैदा करती है। वाराणसी जैसे वीवीआईपी संसदीय क्षेत्र में अगर ऐसा हाल है तो बाकी जिलों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस लापरवाही का जिम्मेदार आखिर कौन है ?
बिजली न होने से जीवनरक्षक दवाएं हो रहीं बर्बाद
इस स्वास्थ्य केंद्र में एंटी रेबीज, सांप के काटने की वैक्सीन और बच्चों के टीके जैसे जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध हैं, जो कि कई अन्य पीएचसी में नहीं होतीं। लेकिन उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कोल्ड चेन बिजली के बिना काम नहीं कर पा रही है। नतीजतन, इन महंगी दवाओं के खराब होने का खतरा बढ़ गया है। यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा भी है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि उन्होंने कई बार संबंधित जनप्रतिनिधियों, पार्षद और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर इस समस्या की जानकारी दी, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया। लोगों का कहना है कि रोजाना लगभग 100 से अधिक मरीज इस केंद्र का रुख करते हैं, लेकिन उन्हें यहां निराशा ही मिलती है। ऐसी हालत में सवाल ये उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग, वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इस बदहाली की जानकारी नहीं है ? अगर है तो अब तक बिजली आपूर्ति बहाल क्यों नहीं कराई गई ? क्या यह सिर्फ सिस्टम की असफलता है या फिर जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता ?
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल शर्मनाक है। एक तरफ सरकार डिजिटल हेल्थ मिशन और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, दूसरी तरफ जमीनी स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली तक की सुविधा उपलब्ध नहीं। यह विरोधाभास बताता है कि कहीं न कहीं जिम्मेदारों की प्राथमिकताएं गलत हैं। अब जरूरत है कि सीएमओ से लेकर स्थानीय विधायक और नगर निगम प्रशासन तक इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दें और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुरा को जल्द से जल्द स्वस्थ किया जाए। वरना मरीजों के साथ-साथ पूरा तंत्र बीमार हो जाएगा।
खानापूर्ति बनकर रह गया है इलाज
स्थानीय लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों के अनुसार, बिजली की अनुपस्थिति के कारण स्वास्थ्य केंद्र में किसी भी प्रकार की जांच संभव नहीं हो पा रही है। मरीजों को महज देखने की औपचारिकता पूरी की जा रही है और फिर कबीरचौरा अस्पताल या अन्य बड़े केंद्रों की ओर रेफर कर दिया जाता है। यही हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर लगे जांच की सुविधा वाले बोर्ड का है, जो अब महज शो पीस बनकर रह गया है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुरा खुद बीमार हाल में है। पिछले 25 दिनों से यहां न बिजली है, न पानी। बिजली न होने से टीके खराब हो रहे हैं। जांच की सुविधा होने के बावजूद मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है। पीएम के संसदीय क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा फेल साबित हो रहा है। जिम्मेदार अधिकारी एसी में बैठकर आंख मूंदे हैं, जबकि कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं। इस लापरवाही से मरीजों की जान खतरे में है।
गोपाल यादव, पूर्व पार्षद जंगमबाड़ी वार्ड, वाराणसी
मुझे कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद मैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदनपुरा गया। वहां दो टीके तो लगाए गए, लेकिन टिटनस का इंजेक्शन नहीं दिया गया। आज जब मैं विवेकानंद अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टरों ने पूछा कि अब तक टिटनस क्यों नहीं लगवाया। मैंने बताया कि यह लापरवाही मदनपुरा पीएचसी की है, जहां न तो मरीजों को सही जानकारी दी जाती है और न ही उचित इलाज मिलता है। अगर कल को किसी मरीज की जान चली जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? ऐसे गैरजिम्मेदार रवैये पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। रोहित गुप्ता, गणेश महल, जंगमबाड़ी