वीसी को सोना,बाकी सबको चांदी ! 

वीसी को सोना,बाकी सबको चांदी ! 
  • ध्वस्तीकरण से बचने के लिए खरीद लिया सबका ईमान 
  • कार्रवाई से बचने के लिए सुनील अग्रवाल ने खोला ख़ज़ाना 
  • चलना था बुल्डोजर लेकिन बीच में आ गए भोला 
  • सवालों के घेरे में वीडीए वीसी पुलकित गर्ग का ईमान 
  • रविन्द्रपूरी के अवैध निर्माणकर्ताओं में सुनील अग्रवाल का पहला नाम, अब मची है हर तरफ होड़

अजीत सिंह 

वाराणसी (रणभेरी):   यह आस्था, संस्कृति और ज्ञान का भी केंद्र है। यह शहर धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्विक पहचान रखता है। वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, न केवल भारत की सर्वाधिक प्राचीन नगरी मानी जाती है, बल्किप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण यह शहर विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2014 के बाद से वाराणसी को एक आदर्श शहर बनाने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं लागू की गईं, जिनमें स्मार्ट सिटी योजना, हेरिटेज कॉरिडोर, सड़कों और घाटों का सुंदरीकरण सहित अनेकों बुनियादी ढांचे के कार्य शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 'बुलडोज़र नीति' के तहत राज्य में अवैध निर्माणों के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया है। लेकिन, जब यही नीति प्रधानमंत्री के क्षेत्र में निष्क्रिय दिखे और भ्रष्टाचार से ग्रस्त हो, तो यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि लोकतंत्र पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। वाराणसी के विकास की योजनाएं भले ही कागजों पर बेहतरीन दिखें, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे बहुत अलग है।

यहां के स्थानीय प्रशासन, विशेषकर वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े हो चुके हैं। जिन अधिकारियों पर शहर के सुव्यवस्थित विकास की जिम्मेदारी है, वही अधिकारी भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव में आकर अपने कर्तव्यों से विमुख हो रहे हैं। रविंद्रपुरी जैसे वीआईपी क्षेत्र में हो रहे या पूर्व में हुए अवैध निर्माण, और उन पर कार्रवाई के नाम पर दिखावा, इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे एक रसूखदार व्यक्ति और भ्रष्ट तंत्र मिलकर व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं। जब ज़िम्मेदार अधिकारी जनप्रतिनिधियों के दबाव में कार्य करना शुरू कर दें, तो व्यवस्था की पारदर्शिता और निष्पक्षता संदिग्ध हो जाती है।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के जोन 4 के भेलूपुर वार्ड के सबसे वीआईपी इलाका रविंद्रपुरी का है जहां एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माणों की इन दिनों बाढ़ आई हुई है। ऐसा नहीं कि यहाँ हो रहे अवैध निर्माणों की जानकारी वीडीए के अधिकारियों को नहीं है, लेकिन रसूखदारों के धन-बल के आगे वीडीए के जिम्मेदारान अंधे, गूंगे और बहरे बन चुके हैं। वाराणसी में धनबलियों और रसूखदारों के आगे वीडीए के अधिकारी अपना जमीर और ईमान पूरी तरह से गिरवी रख चुके है। एक तरफ जहां शहर में अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान दिखाकर विभाग अपने ही कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ आज भी शहर के सभी जोन अंतर्गत सैकड़ों ऐसे व्यवसायिक अवैध निर्माण है जो पूरे हो गए और वीडीए के अधिकारी बस नोटिस नोटिस का खेल, खेल रहे हैं। दरसअल इस नोटिस नोटिस के खेल के पीछे पहले तो धन्नासेठों से डील की जाती है फिर कुछ समय बाद उन्हें ढील दे दी जाती है। इतिहास गवाह है कि वीडीए का बुलडोजर कभी भी धन्नासेठों और रसूखदारों के अवैध मकान पर नहीं चला। अगर वीडीए के नोटिस-नोटिस वाले खेल का जीता-जागता उदाहरण देखना हो तो रविंद्रपुरी के एचएफएल क्षेत्र में पूर्ण रूप से अवैध बने चेतमणि जेम्स एंड ज्वेलर्स वाली इमारत को देखा जा सकता है। ये ऐसे अवैध निर्माण है जहां धन्नासेठों को खुलेआम वीडीए वीसी का संरक्षण प्राप्त है। जब आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी ने पूर्व में इस अवैध इमारत की खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था तो वीडीए के अधिकारी कुछ हरकत में आए थें और ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर इमारत को खाली करने का आदेश भी दे दिया। लेकिन यह आदेश असल में सिर्फ नोटिस-नोटिस का खेल बनकर ठंडे बस्ते में चला गया। सूत्रों की माने तो वर्तमान सरकार के एक चहेते पूर्व मंत्री के डील-डॉल और वीडीए बोर्ड के मेंबर व सीएम योगी के खासमखास के कारण ही वीडीए वीसी पुलकित गर्ग ने चेतमणी जेम्स एंड ज्वेलर्स वाली बिल्डिंग पर बुलडोज चलाने से कतरा रहे हैं।

दो-दो बार नोटिस फिर कार्रवाई  क्यों नहीं ?

भेलूपुर वार्ड के रविंद्रपुरी में एक आलिशान इमारत अवैध तरीके से एचएफएल एरिया में खड़ी कर दी गई। उस इमारत में बाकायदा ग्राउंड फ्लोर पर चेतमणि के नाम से ज्वेलरी का एक आलिशान शो रूम तथा प्रथम तल पर रूपदर्शी साडीज़ के नाम से साड़ी का एक शो-रूम भी खोल दिया गया। जब इस अवैध निर्माण की खबर सांध्य दैनिक समाचार पत्र रणभेरी ने पूर्व में प्रमुखता से प्रकाशित किया तो वीडीए के तत्कालीन अफसर एक्शन में आए थें और भवन स्वामी सुनील अग्रवाल को ध्वस्तीकरण का आदेश थमा दिया था। नोटिस के जरिए भवन को 15 दिन में खाली करने की मोहलत दी गयी थी। नोटिस में कहा गया था कि प्लाट नं.-68, भवन सं.-बी-27/92-सी-2-बी, रविन्द्रपुरी कालोनी, वार्ड-भेलूपुर, वाराणसी पर लगभग 80x150 वर्गफीट के क्षेत्रफल में बी+जी+3 तल का निर्माण कार्य किये जाने पर सम्पूर्ण अनधिकृत निर्माण के विरुद्ध उ.प्र. नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत नोटिस के माध्यम से हिदायत दिया गया है कि अवैध निर्माण को 15 दिन के अन्दर स्वतः हटा लें, अन्यथा प्राधिकरण अवैध निर्माण को ध्वस्त करा देगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी भवन स्वामी की होगी। साथ ही इसमें निमित्त होने वाला व्यय धारा-27(1) के तहत भू-राजस्व बकाये की भाँति वसूल किया जाएगा। लेकिन इसी बीच विभाग की दलाली करने वाले कुछ तथाकथित सफेदपोश इस अवैध निर्माण के आगे ढाल बनकर खड़े हो गए हैं।

वीसी को सोना, बाकि को चांदी !

सूत्रों ने बताया कि जिस इमारत में चेतमणि जेम्स एंड ज्वेलर्स है उसके मालिक सुनील अग्रवाल की गिनती शहर के धन्नासेठों में से है। धन्नासेठ होने के साथ-साथ इनके निजी ताल्लुकात वर्तमान सरकार के कई मंत्री और विधायक से भी है। यही वजह है कि मंत्री और विधायकों की पैरवी के कारण वीडीए के अधिकारी भीगी बिल्ली बनकर सिर्फ नोटिस नोटिस का खेल, खेल खेलते रहे। सूत्रों ने बताया कि जब चेतमणी जेम्स एंड ज्वेलर्स वाली सुनील अग्रवाल के अवैध बिल्डिंग पर दो-दो बार ध्वस्तीकरण के आदेश का नोटिस गया तभी सरकार के पूर्व मंत्री और सीएम के खासमखास व वीडीए बोर्ड के मेंबर अम्बरीष सिंह भोला की इंट्री हुई। यही से शुरू हुआ डीलिंग का खेल। सूत्रों ने यह भी बताया कि वीडीए से नोटिस जारी होने के बाद धन्नासेठ भवन स्वामी विधायक और सीएम के चहेते के शरण में जा पहुंचे। चुकी धन्नासेठ भवन स्वामी इनके खासम ख़ास है लिहाजा विधायक जी ने रविंद्रपुरी स्थित चेतमणि जेम्स एंड ज्वेलर्स वाले भवन को ध्वस्तीकरण से बचाने के लिए पूराजोर लगाया और वीडीए वीसी को अपने अर्दब में ले लिया। विभागीय सूत्रों की माने तो इस पूरे प्रकरण की फाइल ठंडे बस्ते में डालने के लिए भवन स्वामी एवं चेतमणि ज्वैल्स के मालिक ने वीडीए वीसी पुलकित गर्ग तोहफे में स्वर्ण आभूषण तक दे डाला और इनके अधीनस्थ विभागीय अधिकारियों को भी उनके कद के अनुरूप चांदी की जूतियां पहनाई गई।

पार्ट- 8 

रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए..... वीडीए जोनल संजीव कुमार ने पहुंचाया राजस्व को दो करोड़ का नुकसान