आशा कर्मियों का वाराणसी में जोरदार धरना, 30 हजार वेतन और सरकारी दर्जा की मांग

आशा कर्मियों का वाराणसी में जोरदार धरना,  30 हजार वेतन और सरकारी दर्जा की मांग

दुर्गाकुंड स्थित CMO कार्यालय पर सैकड़ों महिलाओं ने किया प्रदर्शन, 15 दिसंबर से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर की चेतावनी

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में बुधवार को आशा एवं आशा संगिनी कर्मियों ने दुर्गाकुंड स्थित मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) कार्यालय पर चेतावनी दिवस के रूप में धरना प्रदर्शन किया। सैकड़ों महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार नारेबाज़ी की और 30 हजार रुपये मासिक वेतन तथा राज्य सरकार के कर्मचारी का दर्जा देने की मांग दोहराई।

प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने चेताया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे कार्य बंद कर अगले चरण में व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

आशा यूनियन के जिलाध्यक्ष ने बताया कि वर्ष 2025 में किए गए कार्यों की आधार, प्रोत्साहन राशि, राज्य प्रदत्त प्रतिपूर्ति और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियानों की भुगतान राशि अब तक लंबित है। इसके अलावा 2019 से बकाया प्रोत्साहन राशि पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस संबंध में कई बार मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मिशन निदेशक को पत्र भेजे जा चुके हैं।

संगठन ने आरोप लगाया कि गोल्डन आयुष्मान कार्ड और आधार आधारित ABHA ID बनाने में आशा कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन 225 करोड़ रुपये के भुगतान में से एक रुपये तक की अदायगी नहीं की गई। 1 नवंबर को पूर्ण कार्यबंदी के बावजूद सरकार की ओर से न तो भुगतान किया गया और न ही त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई गई।

आशा यूनियन ने स्पष्ट किया कि उनकी 14 सुत्रीय प्रमुख मांगें हैं। यदि सरकार निर्धारित समय सीमा में वार्ता कर इन मांगों का समाधान नहीं करती है, तो 15 दिसंबर से प्रदेश भर में स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित कार्य प्रभावित होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। संगठन ने चेतावनी दी कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार लिखित रूप में उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती।