तीन दिन के लिए 362 पटाखा दुकानदारों को मिलेगा अस्थाई लाइसेंस

तीन दिन के लिए 362 पटाखा दुकानदारों को मिलेगा अस्थाई लाइसेंस
  • दीपावली के पर्व पर वाराणसी में होता है करीब 80 करोड़ का कारोबार, पूर्वांचल तक होती सप्लाई
  • पटाखों के लाइसेंसधारी सिर्फ चार, जबकि दीपावली पर 31 स्थानों पर 362 पटाखों की दुकानें लगती हैं

वाराणसी (रणभेरी):  यकीन करना मुश्किल है कि दीपावली जैसे पर्व पर 80 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले धार्मिक और व्यापारिक नगरी वाराणसी में पटाखों के लाइसेंसधारी मात्र चार ही हैं। हैरानी की बात यह है कि नगर प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार दीपावली के दौरान शहर में 31 स्थानों पर 362 पटाखों की दुकानें सजती हैं, जिनमें स्थायी और अस्थायी दोनों शामिल हैं। सवाल उठता है कि जब लाइसेंसधारी केवल चार हैं, तो इतनी बड़ी संख्या में दुकानें कैसे और किनके संरक्षण में चलती हैं ? पड़ताल में सामने आया कि वाराणसी का दालमंडी इलाका पूरे पूर्वांचल में पटाखों के कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। यहां न केवल दीपावली के दौरान, बल्कि सालभर पटाखों की बिक्री होती रहती है। दालमंडी में दर्जनों दुकानें ऐसे ही चलती हैं, जिनके पास वैध लाइसेंस नहीं होते। यहां की गलियों में हर समय चिटपुटिया गन, बीड़ी बम, जलेबी और अन्य देशी पटाखे खुलेआम बिकते देखे जा सकते हैं। यही नहीं, यहां से ही पूर्वांचल के कई जिलों- जैसे आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और जौनपुर-तक पटाखों की सप्लाई होती है।

जानकार बताते हैं कि दीपावली के तीन-चार दिन पहले अस्थायी दुकानें भी बड़ी संख्या में खुल जाती हैं, जिनमें सुरक्षा नियमों और लाइसेंस की अनदेखी आम बात है। दालमंडी और हड़हा सराय पटाखों के थोक बाजार के रूप में प्रसिद्ध हैं, जबकि औरंगाबाद क्षेत्र में भी कई छोटी-बड़ी दुकानों पर पटाखों की बिक्री पूरे साल होती रहती है।

सवाल यह भी है कि जब प्रशासन को यह जानकारी है कि शहर में सैकड़ों बिना लाइसेंस दुकानें खुलती हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं होती ? क्या यह सब कुछ प्रशासन की मिलीभगत से होता है, या फिर दीपावली के मौके पर कानून-व्यवस्था पर आर्थिक हित भारी पड़ जाता है? दीपावली की रौनक के बीच यह सच्चाई कहीं न कहीं सुरक्षा और व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर चुनौती पेश करती है।

तीन दिन पहले लगेंगी दुकानें

दीपावली पर पटाखों की बिक्री के लिए प्रशासन ने शहर में निर्धारित स्थानों को पहले से चिह्नित कर रखा है। इनमें नाटी इमली का भरत मिलाप मैदान, बेनियाबाग मैदान और मच्छोदरी का मैदान प्रमुख हैं। हालांकि, निरीक्षण के दौरान इन स्थानों पर फिलहाल कोई दुकानें नहीं दिखीं। स्थानीय लोगों और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ करने पर जानकारी मिली कि पटाखों की दुकानें दीपावली के तीन दिन पहले लगाई जाएंगी। तब तक इन स्थलों की साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैयारी जारी है, ताकि बिक्री शुरू होने पर किसी तरह की अव्यवस्था या दुर्घटना न हो। प्रशासन ने निर्देश दिया है कि सभी दुकानदार लाइसेंस और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य रूप से करें।

31 स्थानों पर 362 दुकानें

शहर में दीपावली के अवसर पर पटाखों की बिक्री के लिए प्रशासन ने 31 स्थान चिह्नित किए हैं। इन स्थानों पर कुल 362 अस्थायी दुकानें लगाई जाएंगी। पटाखों की दुकान लगाने के लिए व्यापारी को फायर एंड सेफ्टी के सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य है। दुकानों में अग्निशमन यंत्र, रेत और पानी की व्यवस्था के साथ निर्धारित दूरी का पालन करना होता है। जिला प्रशासन और अग्निशमन विभाग के अधिकारी इन दुकानों की नियमित जांच करते हैं। यदि किसी दुकान में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं पाया गया, तो उसका टेम्परेरी लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जाता है। नियमों का उद्देश्य लोगों की सुरक्षा और दुर्घटनाओं से बचाव सुनिश्चित करना है।

यहां पर लगेंगी दुकानें

पटाखा की सबसे अधिक 50 दुकानें बेनिया पार्क में, बृज इन्क्लेव में 22, स्वयंवर वाटिका लंका में 21, कबीर नगर पार्क में 21 और आवास विकास कॉलोनी लालपुर में 20, मंडुवाडीह में 23, कटिंग मेमोरियल मैदान में 22 दुकानों का प्रस्ताव है। इसके अलावा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दुकान लगाने के लिए मांग की गयी है।

तीन दिन के लिए मिलता है लाइसेंस

अग्निशमन विभाग के सीएफओ आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि 31 स्थानों पर 362 अस्थायी दुकानें लगाई जाएंगी। दुकानदारों को पटाखा बेचने के लिए तीन दिन का लाइसेंस लेना होता है। हालांकि, अभी सूची पर अंतिम मुहर नहीं लगी है। कुछ दुकानों के लाइसेंस निरस्त भी किए जा सकते हैं, जो नियम का पालन नहीं करेंगे। पिछले दिनों एसीपी दशाश्वमेध के नेतृत्व में भी दुकानों की जांच की गई। पिछले मंगलवार को छापा मारकर 306 किलो अवैध पटाखे बरामद किए थे।

दुकानों में इनको रखना जरूरी

लाइसेंस वाली दुकानों में फायर एक्सटिंग्विशर, कम से कम दो बोरी बालू, 50 लीटर पानी भरा ड्रम और जिस जगह कई दुकानें हैं वहां एक दमकल जरूरी है। पटाखों की दुकानों के बीच में दो फीट का स्पेस, लाइटिंग की व्यवस्था दूरी पर होनी चाहिए। नंगे बिजली के तार नहीं होने चाहिए।

ये है जरूरी नियम

लाइसेंस वाली दुकानों में फायर एक्सटिंग्विशर होनी चाहिए। कम से कम दो बोरी बालू और 50 लीटर पानी भरा ड्रम होना चाहिए  एक दमकल जरूरी साथ ही पटाखों की दुकानों के बीच में दो फीट की दूरी होनी चाहिए  लाइटिंग की व्यवस्था दूरी पर होनी चाहिए, नंगे बिजली के तार नहीं होने चाहिए